'चाहती हूं भारत भाषाई आतंक के बिना फले-फूले', बंगाली भाषी प्रवासियों पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ ममता का निशाना
मैं चाहती हूं कि भारत भाषाई आतंक के बिना फले-फूले. यह बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही है. उन्होंने भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों के कथित उत्पीड़न को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच यह बात कही.
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बंगाली भाषी प्रवासियों के कथित उत्पीड़न को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच ममता बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख किया. इस दौरान ममता ने यह आशा जताई कि लोग ऐसे भारत को लेकर जागरुक होंगे जहां रवींद्रनाथ की भाषा, बांग्ला, को सभी नागरिकों का सम्मान, गरिमा और प्यार मिलेगा.
कवि रवींद्रनाथ टैगोर को सीएम ने किया श्रद्धा अर्पित
ममता बनर्जी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "मैं विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करती हूं. वे हर पल हमारे हृदय में निवास करते हैं. वे हमारी आत्मा के कवि हैं, और मैं आज उन्हें अपने हृदय की गहराइयों से स्मरण करती हूं. वे हमारे संरक्षक और हमारे पथ प्रदर्शक हैं". बनर्जी ने यह टिप्पणी टैगोर की 84वीं पुण्यतिथि के दिन की, जो बंगाली कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के 22वें दिन पड़ती है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, हर दिन उनकी यादों का स्मृति दिवस है. हम कवि को याद करते हैं और साल भर, दिन-रात उनका उत्सव मनाते हैं.
ममता बोली 'वह राष्ट्र फले-फूले, जहां भाषा का कोई आतंक न हो'
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राष्ट्र जागृत हो जहां रवीन्द्रनाथ की भाषा बांग्ला को सभी नागरिकों का सम्मान, गरिमा और प्रेम मिले. वह राष्ट्र फले-फूले जहां भाषा का कोई आतंक न हो, बनर्जी ने बताया कि राज्य सरकार ने गुरुवार ने गुरुवार को टैगोर की स्मृति में झारग्राम जिले में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. उन्होंने कहा कि कल झारग्राम में हमारा एक सरकारी कार्यक्रम था. वहां हमें अनेक विद्वानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला. उस अवसर पर हमने विश्व कवि को नमन किया. उस कार्यक्रम से पहले हमने सोशल मीडिया पर भी सार्वजनिक रूप से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
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