Operation Sindoor में राफेल की गूंज – हिलाल अहमद का एक्शन देख दंग हुआ दुश्मन!
7 मई 2025 को पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" में भी उनका नाम परोक्ष रूप से सामने आया है. यह ऑपरेशन दरअसल अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए एक बड़े आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया में चलाया गया, जिसमें कई निर्दोष लोगों और जवानों की जान गई थी.
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Operation Sindoor: हिलाल अहमद राथर राफेल जेट उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट हैं. वह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले से हैं और एक कश्मीरी मुसलमान हैं. उनका नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है. हाल ही में 7 मई 2025 को पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" में भी उनका नाम परोक्ष रूप से सामने आया है. यह ऑपरेशन दरअसल अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए एक बड़े आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया में चलाया गया, जिसमें कई निर्दोष लोगों और जवानों की जान गई थी.
हिलाल अहमद राथर, अनंतनाग, कश्मीर के निवासी और एक कश्मीरी मुसलमान हैं, जिन्होंने भारतीय वायुसेना (IAF) में एक गौरवशाली और प्रेरणादायक करियर बनाया है. उन्होंने वायुसेना में 3,000 से अधिक उड़ान घंटे बिना किसी दुर्घटना के पूरे किए हैं, जो उनके अनुशासन, तकनीकी कौशल और गहराई से जुड़े अनुभव को दर्शाता है. हिलाल अहमद को Mirage-2000 और MiG-21 जैसे महत्वपूर्ण फाइटर जेट्स पर उड़ान भरने का अनुभव रहा है, जो उन्हें भारतीय वायुसेना के शीर्ष पायलटों में से एक बनाता है. इसी विशेषज्ञता ने उन्हें राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाला पहला भारतीय बनने का गौरव दिलाया — एक ऐतिहासिक उपलब्धि.
ऑपरेशन सिंदूर और हिलाल अहमद की अप्रत्यक्ष भूमिका
7 मई 2025 को लॉन्च हुए ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि पाहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकवादी हमले से जुड़ी है. हालांकि हिलाल अहमद का नाम सीधे इस ऑपरेशन की रणनीति से नहीं जोड़ा गया है, लेकिन उनके जैसे वरिष्ठ और अनुभवी सैन्य अधिकारियों का अप्रत्यक्ष योगदान भारत की सैन्य तत्परता और क्षमता के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है. यह ऑपरेशन दर्शाता है कि आज की भारतीय वायुसेना कितनी सक्षम है और इसके पीछे वर्षों की योजना, तकनीकी सुदृढ़ता और नेतृत्व छिपा हुआ है — जिसमें हिलाल अहमद जैसे अधिकारी शामिल हैं.
भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में अहम भूमिका
जब भारत ने फ्रांस से राफेल फाइटर जेट्स की खरीदारी की, तब हिलाल अहमद को फ्रांस में भारतीय वायुसेना का “एयर अटैची” (Air Attaché) नियुक्त किया गया. इस भूमिका में उन्होंने राफेल विमानों की डिलीवरी और हथियार प्रणाली के एकीकरण (Weaponization) की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि ये फाइटर जेट्स भारत की सैन्य जरूरतों के अनुरूप तैयार किए जाएं और समय पर डिलीवरी हो. यह कदम भारत की रक्षा क्षमता को मजबूती देने के लिहाज़ से एक रणनीतिक और निर्णायक मोड़ साबित हुआ.
राफेल को फ्रांस से भारत तक लाने की ऐतिहासिक उड़ान
हिलाल अहमद ने न केवल राफेल जेट्स की तकनीकी और रणनीतिक तैयारी सुनिश्चित की, बल्कि खुद भी उन राफेल विमानों को फ्रांस से भारत तक उड़ाकर लाने वाली टीम का हिस्सा रहे. यह कार्य केवल एक सैन्य उड़ान नहीं, बल्कि भारत के लिए एक राष्ट्र गौरव और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम था। इस ऐतिहासिक मिशन में उनकी भूमिका केंद्र में रही और वह राफेल के भारतीय इतिहास के स्थायी अध्याय का अभिन्न हिस्सा बन गए.
आधुनिक भारतीय वायुसेना के निर्माण में नेतृत्व
राफेल से जुड़ी उनकी भूमिका भले ही सबसे चर्चित रही हो, लेकिन हिलाल अहमद का योगदान इससे कहीं अधिक व्यापक है. उन्होंने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से और अधिक सशक्त, लचीला और आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण रणनीतिक योगदान दिया है. उनकी नेतृत्व क्षमता ने वायुसेना को मौजूदा समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया है — चाहे वह सीमाओं की रक्षा हो, आतंक के खिलाफ ऑपरेशन हो या भविष्य के लिए तैयार रहने की योजना.
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