CM योगी का मॉडल बना मिसाल... UP की तर्ज पर बिहार में नीतीश सरकार बनाएगी पांच एक्सप्रेस-वे, जानें क्या है प्लान
उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेस-वे मॉडल से प्रेरित होकर बिहार सरकार सात निश्चय-3 के तहत पांच एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारी में है. निजी साझेदारी से बनने वाली इन परियोजनाओं को 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
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उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों, प्रदेशभर में बिछे सड़कों के जाल और राजधानी लखनऊ से जुड़ने वाले एक्सप्रेसवे नेटवर्क ने राज्य के विकास को नई गति दी है. सीएम योगी के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि आज देश-दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां उत्तर प्रदेश में निवेश कर रही हैं. अब योगी सरकार के इसी यूपी मॉडल को पड़ोसी राज्य बिहार में अपनाने की तैयारी है. बिहार में निजी साझेदारी के तहत एक्सप्रेसवे निर्माण की योजना बनाई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पथ निर्माण विभाग एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश का फॉर्मूला अपनाने पर विचार कर रहा है.
बिहार सरकार ने सात निश्चय-3 के तहत प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं को धरातल पर उतारने की तैयारी तेज कर दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई थी. देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में होने के चलते बिहार सरकार ने यूपी मॉडल को आधार बनाकर अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है. सात निश्चय-3 में कुल पांच एक्सप्रेसवे के निर्माण का फैसला लिया गया है, जिन्हें वर्ष 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इन योजनाओं को अमल में लाने के लिए पथ निर्माण विभाग ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक भी की है, जिसमें परियोजनाओं की रूपरेखा और आगे की कार्ययोजना पर मंथन किया गया.
UP में बिछा स्टेट एक्सप्रेस-वे का जाल
बिहार में हुई समीक्षा के दौरान यह तथ्य सामने आया कि फिलहाल देश में कुल नौ एक्सप्रेसवे संचालित हैं, जिनमें बिहार का पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे भी शामिल है. इन सभी को नेशनल एक्सप्रेसवे का दर्जा प्राप्त है, जिसके चलते इनके निर्माण की लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है. इसके विपरीत, राज्य सरकारों द्वारा विकसित किए जाने वाले एक्सप्रेस-वे को स्टेट एक्सप्रेस-वे की श्रेणी में रखा जाता है. उत्तर प्रदेश इस मामले में देश में अग्रणी बना हुआ है, जहां वर्तमान में 14 स्टेट एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इनमें यमुना एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे पहले से चालू हैं, जबकि गंगा एक्सप्रेस-वे के भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है. बाक़ी नौ एक्सप्रेस-वे अलग-अलग चरणों में निर्माणाधीन हैं. जानकारों के अनुसार, इस तेज रफ्तार इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से उत्तर प्रदेश में निवेश, रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों को और मजबूती मिलेगी.
किसी स्वतंत्र संस्था के गठन पर हो रहा विचार
उत्तर प्रदेश मॉडल के बारे गहन अध्ययन से यह सामने आया है कि राज्य ने सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर एक्सप्रेस-वे विकास की मजबूत नींव रखी. शुरुआती चरण में राज्य सरकार ने बजट से इस परियोजना को आगे बढ़ाया, लेकिन बढ़ती लागत को देखते हुए बाद में यूपी एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया गया. इस व्यवस्था में सरकार परियोजनाओं की गारंटर की भूमिका निभाती है, जिससे वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करना आसान हो जाता है. नेशनल हाईवे की तर्ज पर स्टेट एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली के जरिए निर्माण लागत की भरपाई की जाती है, जिससे राज्य सरकार पर सीधा वित्तीय दबाव नहीं पड़ता. इसी मॉडल को अपनाने के लिए बिहार में भी एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण या किसी स्वतंत्र संस्था के गठन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, ताकि परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से पूरी हो सकें. बता दें कि सात निश्चय-3 के तहत बिहार में जिन पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना बनाई गई है, उनमें पटना-पूर्णिया, गोरखपुर-सिलीगुड़ी, रक्सौल-हल्दिया, बक्सर-भागलपुर और वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे शामिल हैं. इन मार्गों के बनने से राज्य के औद्योगिक, व्यापारिक और लॉजिस्टिक नेटवर्क को नई मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
एक्सप्रेस-वे योजना पर कई विभाग करेंगे काम
एक्सप्रेसवे परियोजनाओं का उद्देश्य सिर्फ तेज और सुगम यातायात उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि राज्य में उभर रहे नए क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी देना और औद्योगिक गतिविधियों को गति देना भी है. इसी वजह से एक्सप्रेसवे के मार्ग निर्धारण की प्रक्रिया बहु-विभागीय समन्वय के तहत की जाएगी. पथ निर्माण विभाग के साथ-साथ नगर विकास और उद्योग विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों से विचार-विमर्श कर रूट को अंतिम रूप दिया जाएगा. प्रस्तावित मार्ग पर मुख्य सचिव स्तर की बैठक में चर्चा होगी और सहमति बनने के बाद इसे सरकार की औपचारिक मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
बता दें उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेस-वे मॉडल से प्रेरित होकर बिहार भी अब बुनियादी ढांचे के विस्तार की दिशा में तेज कदम बढ़ाने की तैयारी में है. निजी साझेदारी, संस्थागत ढांचे और बहु-विभागीय समन्वय के जरिए एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यदि यह योजना सफल होती है तो बिहार में आवागमन के साथ-साथ उद्योग, निवेश और रोजगार के नए अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे.
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