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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान का कार्यकाल मई 2026 तक बढ़ा, रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल 30 मई 2026 तक या अगले आदेश तक बढ़ाया गया है.'

25 Sep, 2025
( Updated: 25 Sep, 2025
02:33 PM )
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान का कार्यकाल मई 2026 तक बढ़ा, रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के कार्यकाल को बढ़ा दिया गया है. भारत के मौजूदा चीफ को लेकर रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी साझा की है. बता दें कि 30 सितंबर 2022 को अनिल चौहान बतौर CDS नियुक्त किए गए थे. उनकी नियुक्ति 3 साल के लिए हुई थी और 30 सितंबर को कार्यकाल पूरा भी हो रहा था, लेकिन, अब 30 मई 2026 तक के लिए उनकी सेवा का विस्तार कर दिया गया है. 

CDS अनिल चौहान का कार्यकाल बढ़ा

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल 30 मई 2026 तक या अगले आदेश तक के लिए मंजूरी दे दी है.' 

कौन हैं अनिल चौहान? 

बता दें कि CDS अनिल चौहान साल 1981 में भारतीय सेना में कमीशंड हुए थे, उनका करियर प्रमुख कमान में स्टाफ नियुक्तियों के लिए काफी शानदार रहा है. भारतीय सेना में उनकी सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेवा पदक और कई अन्य सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है. हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' में उन्होंने तीनों सेनाओं को एकजुट कर बेहतर तालमेल का प्रदर्शन दिया था. इसका श्रेय भी उन्हें मिला था. फिलहाल वह तीनों सेनाओं के एकीकरण के कार्य में जुटे हुए हैं, जो भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है. 

'ऑपरेशन सिंदूर' अभी भी जारी'

बता दें कि जुलाई महीने में दिल्ली के सुब्रतो पार्क में आयोजित एक रक्षा संगोष्ठी में CDS अनिल चौहान ने कहा था कि 'भविष्य में भारतीय सेना को सूचना योद्धाओं, प्रौद्योगिकी योद्धाओं, विद्वान योद्धाओं की भी जरूरत पड़ेगी. युद्ध के इस बदलते परिदृश्य में भविष्य के सैनिक को सूचना, तकनीक और विद्वान योद्धाओं तीनों का मिश्रण होना आवश्यक होगा.' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि 'युद्ध के मैदान में कोई भी उपविजेता नहीं होता और किसी भी सेना को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. कुछ स्तर की तैयारी हमेशा बनाए रखनी चाहिए. हम सबके सामने 'ऑपरेशन सिंदूर' इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है और यह अभी जारी है. हमारी तैयारी का स्तर काफी ऊंचा होना चाहिए और यह चौबीसों घंटे, पूरे साल चलते रहना चाहिए.'

सेना की भूमिकाओं पर भी दिया था जोर 

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CDS अनिल चौहान ने यह भी कहा है कि 'भविष्य के युद्ध में न केवल पारंपरिक युद्ध भूमिकाओं में बल्कि तकनीकी, सूचनात्मक और मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी कुशल व्यक्तियों का ही वर्चस्व होगा. इनमें आधुनिक योद्धाओं को बहु-क्षेत्रीय अभियानों में निपुण होना चाहिए. उसके अलावा तकनीकी योद्धा, सूचना योद्धा और विद्वान योद्धा के रूप में भी कार्य करना चाहिए.' उन्होंने समकालीन सैन्य अभियानों में विद्वानों की बढ़ती जटिल भूमिका पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि 'परिदृश्य सैन्य विद्वानों की टीमों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की मांग करता है.'

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