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7 साल बाद आया चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले का फैसला, 28 दोषियों को मिली आजीवन कारावास

Chandan Gupta Case: उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 जनवरी 2018 की सुबह जब यात्रा निकाली गई तो चंदन गुप्ता अपने भाई विवेक गुप्ता और अन्य साथियों के साथ था।

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03 Jan 2025
( Updated: 11 Dec 2025
01:52 AM )
7 साल बाद आया चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले का फैसला, 28 दोषियों को मिली आजीवन कारावास
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Chandan Gupta Murder Case: कासगंज के चर्चित चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले में लखनऊ की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को सजा का ऐलान कर दिया है। एनआईए स्पेशल कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्याकांड के सभी 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में सात साल बाद फैसला आया है। इससे पहले, गुरुवार को एनआईए स्पेशल कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्या मामले 28 आरोपियों को दोषी करार दिया था, जबकि दो को बरी कर दिया था।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से .....

7 साल बाद मिली सभी दोषियों को सजा (Chandan Gupta Murder Case)

दरअसल, उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 जनवरी 2018 की सुबह जब यात्रा निकाली गई तो चंदन गुप्ता अपने भाई विवेक गुप्ता और अन्य साथियों के साथ था। जैसे ही यह तिरंगा यात्रा कासगंज के तहसील रोड स्थित जीजीआईसी गेट के पास पहुंची तो सलीम, वसीम, नसीम और अन्य लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया था। हालांकि, जब चंदन की ओर से जुलूस रोकने पर आपत्ति दर्ज कराई गई तो मौके पर हालात बिगड़ गए और आरोपियों के समूह ने उन पर पथराव कर दिया। यही नहीं, जुलूस के दौरान फायरिंग भी की गई। मुख्य आरोपियों में से एक सलीम ने चंदन गुप्ता पर गोली चलाई थी, जिसके बाद वह घायल हो गया।

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उस समय 100 से अधिक लोगों की हुई थी गिरफ्तारी (Chandan Gupta Murder Case)

घटना के बाद चंदन का भाई और अन्य साथी उसे कासगंज थाना लेकर गए थे, जहां से उसे तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया, मगर गोली लगने के कारण चंदन की मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी वसीम, नसीम, सलीम के साथ 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, कई लोगों को बाद में छोड़ दिया गया था। चंदन के पिता ने करीब छह साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। इससे पहले आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया था। 

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