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बंदर पकड़ो, इनाम पाओ! महाराष्ट्र सरकार ने शुरू की नई योजना

Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने सभी अधिकारियों, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस योजना को अच्छे से लागू करने के निर्देश दिए हैं. उद्देश्य यह है कि मानव और वन्यजीव सह-अस्तित्व मजबूत हो और संघर्ष की स्थिति कम से कम हो.

Image Source: Social Media

Maharashtra Government: महाराष्ट्र सरकार ने हाल के वर्षों में बढ़ते बंदरों के कारण लोगों को परेशान होने और फसलों को नुकसान पहुँचने की घटनाओं को गंभीरता से देखा. इसके समाधान के लिए सरकार ने वन विभाग के माध्यम से एक नया नियम यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है. इस एसओपी का मुख्य उद्देश्य यह है कि बंदरों को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित तरीके से पकड़कर उन्हें उनके प्राकृतिक आवास यानी जंगल में वापस छोड़ा जाए. इस कदम से न केवल लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि वन्यजीवों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा.

प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम और उनका काम


इस एसओपी के तहत राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विशेष प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम बनाई जाएगी. ये टीम उन क्षेत्रों में तैनात होंगी, जहाँ बंदरों के कारण लोगों को परेशान होना पड़ता है. टीम का काम होगा उपद्रवी या बार-बार बस्ती में आने वाले बंदरों को पकड़कर सुरक्षित तरीके से कम से कम 10 किलोमीटर दूर किसी जंगल में छोड़ना. इस प्रक्रिया में बंदरों को कोई चोट नहीं पहुंचेगी और स्थानीय लोगों की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित रहेगी. इससे मनुष्यों और बंदरों के बीच झगड़े कम होंगे और दोनों सुरक्षित रहेंगे.

स्थानीय लोगों को आर्थिक प्रोत्साहन

सरकार ने योजना को और प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय लोगों को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया है. वन विभाग के अनुसार, यदि कोई प्रशिक्षित स्थानीय व्यक्ति बंदरों को पकड़कर रेस्क्यू करता है, तो उसे पैसे भी मिलेंगे.

10 बंदरों तक: प्रति बंदर 600 रुपये


10 से अधिक बंदर: प्रति बंदर 300 रुपये


एक मामले में अधिकतम: 10,000 रुपये


इसके अलावा, यात्रा खर्च के लिए भी पैसा दिया जाएगा. अगर कोई व्यक्ति पाँच बंदरों तक पकड़ता है, तो उसे 1,000 रुपये तक यात्रा भत्ता मिलेगा. पाँच से अधिक बंदर पकड़ने पर अलग यात्रा भत्ता नहीं मिलेगा. यह व्यवस्था पारदर्शी और नियंत्रित तरीके से अभियान को चलाने के लिए बनाई गई है .

बंदरों का सुरक्षित पुनर्वास


वन विभाग का कहना है कि इस योजना से बंदरों को उनके प्राकृतिक जंगल में सुरक्षित रहने का अवसर मिलेगा. जब बंदरों को बस्तियों से दूर रखा जाएगा, तो वे प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रहेंगे और मनुष्यों को भी परेशान नहीं करेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तरीका मानवीय, स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल है. यह न केवल लोगों को सुरक्षित रखेगा बल्कि बंदरों को भी उनके लिए सही माहौल देगा.

सरकार की दिशा और उम्मीदें


महाराष्ट्र सरकार ने सभी अधिकारियों, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस योजना को अच्छे से लागू करने के निर्देश दिए हैं. उद्देश्य यह है कि मानव और वन्यजीव सह-अस्तित्व मजबूत हो और संघर्ष की स्थिति कम से कम हो. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक पहल है. आने वाले समय में यह योजना अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है.

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