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भारत के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बीआर गवई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में देश के 52वें मुख्य न्यायधीश के रूप में को शपथ दिलाई. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड समेत कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे.

14 May, 2025
( Updated: 14 May, 2025
02:02 PM )
भारत के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस बीआर गवई ने बुधवार को शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को राष्ट्रपति भवन आयोजित एक समारोह में CJI पद की शपथ दिलाई. इस दौरान जस्टिस बीआर गवई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का अभिवादन किया.

सेवानिवृत हो चुके मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के स्थान पर मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेने वाले बीआर गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है. इन्होंने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में अब अपने पद को संभाल लिया है. जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने की थी. संजीव खन्ना का मौजूदा कार्यकाल 13 मई को समाप्त हुआ है. इसी तरह अब बीआर गवई आने वाले 6 महीनों तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम करेंगे. वह इसी साल नवंबर में सेवानिवृत्त होंगे. 

CJI के सामने हैं कई चुनौतियां 

देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस गवई के सामने न्यायिक संस्थाओं में विश्वास और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है, जो बीते काफी समय से निरंतर बनी हुई है. उनके शपथ ग्रहण समारोह इस दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि वह अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश बने हैं. 

जस्टिस गवई की न्यायिक यात्रा

जस्टिस बीआर गवई का जन्म महाराष्ट्र की अमरावती में 24 नवंबर 1960 को हुआ था. स्कूली शिक्षा और वकालत करने के बाद जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की. उन्होंने शुरुआती दौर में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और न्यायाधीश स्वर्गीय श्री राजा एस भोंसले के साथ कार्य किया. इसी तरह 2 साल बाद यानी 1987 में उन्होंने स्वतंत्र वकालत की शुरुआत की. इसके बाद नागपुर खंडपीठ में वैधानिक और प्रशासनिक कानून के मामलों में विशेषज्ञता हासिल की. इसके अलावा उन्होंने नागपुर और अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय जैसी कई सार्वजनिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व भी किया. इसके अलावा उनको 17 जनवरी 2000 को नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया. जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए. न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर 2003 को मुंबई हाई कोर्ट का अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 12 नवंबर साल 2005 को उन्हें स्थायी न्यायधीश की भूमिका में काम करने का मौका मिला.

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