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एक हादसे ने बदल दिया विदेशी हेनरिक्स का धर्म, ईसाई धर्म छोड़ सनातन धर्म में की वापसी | Varanasi

Sanantan Dharma सात समंदर पार लिथुआनिया से महादेव की काशी आए हेनरिक्स सासनौस्कस के साथ,जो सनातन धर्म से इस कदर प्रभावित हुए कि ईसाई धर्म छोड़ कर सनातन धर्म अपना लिया और अपना नाम भी बदल कर हेनरिक्स से केशव कर लिया

20 Oct, 2024
( Updated: 20 Oct, 2024
01:05 PM )
एक हादसे ने बदल दिया विदेशी हेनरिक्स का धर्म, ईसाई धर्म छोड़ सनातन धर्म में की वापसी | Varanasi

कहते हैं सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है, जिसके विचारों, परंपराओं, मान्यताओं और संस्कृति से देश दुनिया के तमाम लोग प्रभावित होते रहे हैं और कभी कभी तो इतने प्रभावित हो जाते हैं कि अपना धर्म छोड़ कर सनातन धर्म अपना लेते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ सात समंदर पार लिथुआनिया से महादेव की काशी आए हेनरिक्स सासनौस्कस के साथ, जो सनातन धर्म से इस कदर प्रभावित हुए कि ईसाई धर्म छोड़ कर सनातन धर्म अपना लिया और अपना नाम भी बदल कर हेनरिक्स से केशव कर लिया।

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महादेव की काशी में दिखी सनातन धर्म की ताकत

कहते हैं महादेव की काशी में जो भी कदम रखता है, वो यहीं का होकर रह जाता है। सात समंदर पार लिथुआनिया के रहने वाले हेनरिक्स सासनौस्कस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जो एक बार काशी आए तो यहीं के होकर रह गये। अपना धर्म भी छोड़ दिया और अपना नाम भी बदल लिया। अब हेनरिक्स को लोग केशव के नाम से जानते हैं, क्योंकि 17 अक्टूबर को ही हेनरिक्स ने काशी के ब्रह्म निवास मठ में पूरे विधि विधान के साथ सनातन धर्म में वापसी कर ली। इस दौरान अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी भी मौजूद रहे, जिनकी मौजूदगी ने हेनरिक्स ने सनातन धर्म की दीक्षा ली।

सनातन धर्म में वापसी कराने के साथ ही हेनरिक्स से भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी करवाया गया। तो वहीं मौके पर मौजूद जितेंद्रानंद सरस्वती ने उनकी घरवापसी पर बताया…

स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, महामंत्री, अखिल भारतीय संत समिति हेनरिक्स ने सनातन धर्म की दीक्षा लेने से पहले भारतीय वस्त्र धारण किये और अनुष्ठान में बैठे और इस दौरान सनातन की पूरी प्रक्रिया का पालन किया। सनातन में वापसी के बाद हेनरिक्स का नाम केशव हो गया है और उनका गोत्र कश्यप रखा गया है। सनातन धर्म अपनाने के बाद उन्होंने रुद्राभिषेक भी किया।

पूरे विधि विधान के साथ सनातन धर्म अपनाने वाले हेनरिक्स ने बताया कि साल 2021 में दरअसल लिथुआनिया में उनका एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गये थे। हालात ये हो गये थे कि उन्हें करीब छ महीने तक अस्पताल में ही गुजारना पड़ा था। इसी दौरान उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आये, जिनसे प्रभावित होकर हेनरिक्स गीता का पाठ करने लगे। अध्यात्म से उनका ऐसा जुड़ाव हुआ कि काशी आकर सनातन धर्म में वापसी कर ली।

मेरा नाम हेनरिक्स है और मैंने अपनी इच्छा से सनातन धर्म में वापसी की है क्योंकि ये मेरी खुशी थी। मैं सनातन धर्म और गीता के बारे में और भी ज्यादा जानना चाहता हूं। 2021 में मदर्स डे के दिन पुल से गिरकर मैं घायल हो गया था, मुझे दिमागी चोट लगी थी जिसकी वजह से 6 महीने तक अस्पताल में रहा। मेरे लिये ये बहुत ही संघर्ष भरा दिन था। भगवान श्रीकृष्ण को मैं धन्यवाद देता हूं जिनसे मैं जुड़ा और मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की ताकत मिली, हरे कृष्णा हरे रामा।

लिथुआनिया के रहने वाले हेनरिक्स ने अपना ईसाई धर्म भी छोड़ दिया और नाम भी छोड़ दिया। अब से उनका नाम केशव है। अखिल भारतीय संत समिति की ओर से जिसका प्रमाण पत्र भी उन्हें दिया गया। आपको बता दें ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी विदेशी की सनातन धर्म में वापसी हुई हो। इससे पहले अमेरिकन न्यूजिशियन जैरी गार्सिया ने भी जिंदगी भर सनातन धर्म का पालन किया था और निधन के बाद उनकी अस्थियों का विसर्जन भी ऋषिकेश में गंगा में प्रवाहित किया गया था।





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