भारत-कनाडा विवाद के बीच पन्नू हत्या साजिश की जांच रिपोर्ट ने मचाया तहलका
खालिस्तानी आतंकी और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का मामला भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव का कारण बन गया था। इस मामले की जांच के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2023 में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया।
16 Jan 2025
(
Updated:
10 Dec 2025
09:17 AM
)
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भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में खलबली मचाने वाले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का मामला अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। इस मामले में भारत सरकार की तरफ से गठित उच्चस्तरीय समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी है। रिपोर्ट में साजिश रचने वाले प्रमुख व्यक्ति की पहचान करते हुए उसके खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
पन्नू की हत्या की साजिश का मामला
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो खालिस्तानी अलगाववादी संगठन "सिख फॉर जस्टिस" का प्रमुख था, को अमेरिका में रहते हुए कई गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा था। पन्नू भारत सरकार के लिए एक कुख्यात आतंकवादी था और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज थे। जुलाई 2023 में अमेरिकी एजेंसियों ने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय एजेंसियां भी शामिल हैं। इस आरोप के बाद, नवंबर 2023 में भारत के गृह मंत्रालय ने एक विशेष समिति का गठन किया ताकि इस मामले की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
जांच समिति ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले की तहकीकात की। जांच के दौरान पता चला कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में काम करने वाले एक अधिकारी, विकास यादव, ने आपराधिक तत्वों के साथ मिलकर पन्नू की हत्या की साजिश रची थी। यादव को पहले ही निलंबित कर दिया गया था और उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस की विशेष प्रकोष्ठ ने मामला दर्ज किया हुआ है। समिति ने पाया कि यादव के आपराधिक तत्वों और ड्रग तस्करी से जुड़े लोगों के साथ संबंध थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह साजिश केवल भारत-अमेरिका के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक गहरी साजिश का हिस्सा थी, जिससे भारत की छवि भी खराब हुई।
रिपोर्ट में अमेरिकी और भारतीय एजेंसियों के सहयोग की प्रशंसा की गई है। संबंधित व्यक्ति, जो पहले से ही आपराधिक गतिविधियों में शामिल था, के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा और निगरानी प्रणाली में सुधार का सुझाव दिया गया है। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
भारत और अमेरिका के संबंधों पर असर
यह मामला उस समय सामने आया जब भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर तनाव बढ़ा हुआ था। कनाडा ने भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद, अमेरिका ने भी पन्नू की हत्या की साजिश का मामला उठाया, जिससे भारत-अमेरिका के संबंध असहज हो गए। हालांकि, समिति की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह साजिश कुछ व्यक्तियों की व्यक्तिगत गतिविधियों का परिणाम थी और इसमें सरकार या एजेंसी की कोई आधिकारिक भूमिका नहीं थी।
क्या कहती है समिति की रिपोर्ट?
समिति ने सुझाव दिया है कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेज की जाए। खुफिया एजेंसियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। सुरक्षा तंत्र में सुधार के लिए नई तकनीक और प्रक्रियाओं को अपनाया जाए। समिति ने यह भी कहा कि इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा होना चाहिए ताकि भारत-अमेरिका संबंधों को सामान्य किया जा सके।
पन्नू की हत्या की साजिश का यह मामला न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया है, बल्कि भारत की खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। समिति की रिपोर्ट ने साजिश के गुनहगारों की पहचान करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आने वाले समय में इस मामले की कानूनी कार्रवाई और सुरक्षा तंत्र में सुधार से यह देखना होगा कि भारत इस विवाद से कैसे उभरता है और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करता है।
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