भारत-रूस की गहराती दोस्ती देख चिढ़ा अमेरिका, हथियारों की डील पर जताया विरोध, ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रंप का दिखा था दूसरा चेहरा
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने एक इंटरव्यू में कहा कि 'भारत सरकार ने कुछ ऐसी चीजें की हैं, जो आम तौर पर अमेरिका को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं.' लुटनिक ने उदाहरण के जरिए समझाया कि 'आप आम तौर पर रूस से अपना सैन्य उपकरण खरीदते हैं. अगर आप रूस से अपने हथियार खरीदने जा रहे हैं, तो यह अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है.
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भारत और रूस के बीच कई दशकों की दोस्ती है. इस दोस्ती को देख दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जो हमेशा से जलते और सुलगते हैं. कई देशों ने दोनों देशों की दोस्ती में दरार डालने की भी कोशिश की, लेकिन इसके बावजूद इसमें कोई भी दरार पैदा नहीं हुआ. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत संकट की घड़ी में था. तब रूस और इजराइल में ही अपनी सच्ची दोस्ती का फर्ज निभाया था. इस दौरान अमेरिका का भारत के प्रति दूसरा चेहरा देखने को मिला था. एक तरफ दुश्मन मुल्क पाकिस्तान को फंडिंग में मदद पहुंचाई थी, तो दूसरी तरफ भारत की कार्रवाई का विरोध भी जताया था. अमेरिका का विरोध सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. वह भारत की तरक्की और मजबूत आपके व्यवस्था को भी नहीं देख सकता. उसने दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी एप्पल को भारत में व्यापार करने से भी रोकने की कोशिश की, लेकिन उसमें बात सफल नहीं हुआ. इस बीच धीरे-धीरे करके खुद अमेरिकी अधिकारी भारत के प्रति अपने देश का असली चेहरा सामने ला रहें हैं.अमेरिकी वाणिज्य मंत्री का भारत के प्रति एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है. जिसमें उन्होंने भारत द्वारा रूस से हथियार खरीदने और ब्रिक्स देशों का सदस्य होने पर कड़ी आपत्ति जताई है.
'रूस से हथियार खरीदने पर अमेरिका ने जताई नाराजगी'
बता दें कि भारत ने हमेशा से अमेरिका और रूस से रिश्ते बेहतर रखने की पूरी कोशिश की है. इसमें वह सफल भी रहा है. दोनों देशों के साथ किसी भी मसले पर बातचीत बिना किसी दबाव और हित के मुताबिक हुआ है, लेकिन जब से अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ है और डोनाल्ड ट्रंप जब से दूसरी बार गद्दी संभाले हैं, तभी से ही उनका भारत विरोधी बयान देखने को मिल रहा है. अमेरिका ने रूस रूस से हथियार खरीदने का भी विरोध जताया है.
क्या कहा अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने?
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने एक इंटरव्यू में कहा कि 'भारत सरकार ने कुछ ऐसी चीजें की हैं, जो आम तौर पर अमेरिका को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं.' लुटनिक ने उदाहरण के जरिए समझाया कि 'आप आम तौर पर रूस से अपना सैन्य उपकरण खरीदते हैं. अगर आप रूस से अपने हथियार खरीदने जा रहे हैं, तो यह अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है. मुझे लगता है कि भारत अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो कि एक लंबा रास्ता तय करता है और इस तरह की चीजें ब्रिक्स का हिस्सा होने के नाते उस रिश्ते को बनाती हैं, जो कि ओह, चलो डॉलर और डॉलर के आधिपत्य का समर्थन नहीं करते हैं.'
ट्रंप ने इस मुद्दे पर बात की - अमेरिका
अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने आगे कहा किअमेरिका में दोस्त बनाने और लोगों को प्रभावित करने का तरीका नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप ने सीधे भारत को इस मुद्दे पर सलाह दी है. वहां की सरकार इस मुद्दे को संबोधित करें और स्थिति में सुधार करें.
रूस को दुश्मन समझता है अमेरिका
बता दे कि अमेरिका हमेशा से रूस को अपना दुश्मन समझता है. अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं. रूस भी दुनिया के ताकतवर देश में अपनी पकड़ रखता है. उसके पास कई ऐसे हथियार है, जो दुनिया को बेचता है. भारत के द्वारा हथियार खरीदना भी रूस की ताकत में इजाफा कर रहा है. यह बात ट्रंप सरकार को रास नहीं आ रही है.
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