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चंद्रयान 3 के बाद भारत ने रचा एक और इतिहास, SpaDex मिशन को मिली सफलता

ISRO ने स्पेडेक्स मिशन की सफलता के साथ इतिहास रच दिया है. इस मिशन के तहत भारत ने उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया पूरी कर ली. ये मिशन ISRO के आगामी ऑपरेशन की सफलता में अहम साबित होगा.

17 Jan, 2025
( Updated: 17 Jan, 2025
03:32 PM )
चंद्रयान 3 के बाद भारत ने रचा एक और इतिहास, SpaDex मिशन को मिली सफलता
चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत ने एक और कीर्तिमान हासिल कर लिया है।इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानि ISRO ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। ISRO ने स्पेडेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक डॉक कर दिया है। यानि इसरो ने पृथ्वी की कक्षा में दो उपग्रह स्थापित कर दिए हैं। ये मिशन ISRO के आगामी ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाएगा।

रूस, चीन और अमेरिका के बाद भारत इस मिशन को सफल करने वाला चौथा देश बन गया है इस मिशन के तहत दो स्पेस क्राफ्ट को अंतरिक्ष में इस तरह से जोड़ा गया कि वो एक सिस्टम की तरह काम करेंगे।

इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता के बाद PM मोदी ने देश को बधाई दी।उन्होंने X पोस्ट के जरिए कहा, "ISRO के हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है" 

वहीं, UP के CM योगी आदित्यनाथ ने भी ISRO की टीम और देशवासियों को बधाई दी. योगी ने X पोस्ट के जरिए कहा, "इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर ISRO की टीम को बधाई। भारत सफलतापूर्वक अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता हासिल करने वाला चौथा देश बन गया। जो हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं में एक बड़ी छलांग है। भारत के लिए यह गौरव का क्षण है जय हिंद "

स्पेडेक्स मिशन पर ISRO के आगामी कई मिशन की सफलता निर्भर करती है जैसे चंद्रयान 4, मिशन गगनयान. इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना में भी यह बेहद अहम साबित होगा। क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए डॉकिंग तकनीक बेहद अहम है। जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगी।

कैसे पूरी हुई डॉकिंग प्रक्रिया ?


30 दिसंबर 2024 को ISRO ने स्पेडेक्स मिशन लॉन्च किया। दो छोटे सैटेलाइट चेजर और टारगेट दोनों अलग-अलग कक्षा में स्थापित किया गया ।दोनों ने 28800 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरी ।दोनों को जमीन से गाइड कर एक-दूसरे के करीब लाया गया ।


डॉकिंग प्रक्रिया के दौरान रेंज फाइंडर और डॉकिंग कैमरे का इस्तेमाल किया गया। अब आगे दोनों के बीच बिजली ट्रांसफर करके इन्हें अनडॉक किया जाएगा और अपने अपने पेलोड में काम करने के लिए छोड़ दिया जाएगा। 

अमेरिका, चीन और रूस ने कब की थी डॉकिंग ? 


भारत से पहले अमेरिका, चीन और रूस ने वर्षों पहले ये उपलब्धि हासिल कर ली थी। अमेरिका ने अपने दो स्पेसक्राफ्ट की अंतरिक्ष में डॉकिंग 16 मार्च 1966 की थी।जबकि रूस ने 30 अक्टूबर 1967 में पहली बार डॉकिंग की थी। वहीं चीन की बात करें तो उसकी पहली स्पेस डॉकिंग 2 नवंबर 2011 में हुई थी। 

अब भारत का नाम भी इस लिस्ट में जुड़ गया है माना जा रहा है भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए यह मिशन की सफलता मील का पत्थर साबित होगा। वहीं, ISRO के लिए एक और खुशी की बात ये भी है कि इस मिशन की सफलता के साथ ही केंद्रीय कैबिनेट ने श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड को मंजूरी दे दी। इसके लिए 3985 करोड़ रुपए की लागत आएगी। तीसरे लॉन्च पैड के बनने के बाद अंतरिक्ष कार्यक्रमों की रफ्तार में और तेजी आएगी।

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