AC कोच या 'शराब तहखाना? लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन में एक नहीं, दो नहीं, पूरे 150 बोतले बरामद
लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. कोच में कूलिंग न होने के कारण एसी का जब डक्ट खोला गया, तो उसमें शराब की बोतलें भरी मिलीं, पूरे कोच की तलाशी ली गई तो 150 से ज्यादा बोतलें बरामद हुईं, दिलचस्प ये हैं कि, लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस में इससे पहले भी शराब की तस्करी की घटना हो चुकी है, फिर भी प्रशासन सोया हुआ है.
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यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें. क्योंकि रेलवे का शासन-प्रशासन शराब की सुरक्षा व्यवस्था में लगा हुआ है वो भी VVIP ट्रीटमेंट के साथ, एसी कोच में तलाशी अभियान के दौरान उसमें शराब की 150 बोतलें भरी मिलीं.
गलती या फिर साज़िश, जवाबदेह सिर्फ रेलवे
कमाल कर दिया….भारतीय रेलवे ने एक बार फिर अपनी सुरक्षा व्यवस्था का लोहा मनवा दिया और इस बार यह लोहा शराब की बोतलों से बना है. मज़ाक़ मत समझिए सच है ये, जिस ट्रेन को यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाना है, वो ट्रेन शराब को मंजिल तक पहुंचा रही है. बक़ायदा एसी कोच में वो भी शराबबंदी वाले राज्य बिहार में.
पूरा मामला ये है कि, लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में कूलिंग न होने के कारण एसी का डक्ट खोला गया, तो उसमें शराब की बोतलें भरी मिलीं. पूरे कोच की तलाशी ली गई तो 150 से ज्यादा बोतलें बरामद हुईं, दिलचस्प ये हैं कि, लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस में इससे पहले भी शराब की तस्करी की घटना हो चुकी है, फिर भी प्रशासन सोया हुआ है.
किसकी मिलीभगत, उठ रहे सवाल
अब सवाल ये उठता है कि, इतनी बड़ी मात्रा में शराब की बोतलें ट्रेन के भीतर कैसे गई ? चेकिंग प्वाइंट पर क्या सही से चेकिंग नहीं की गई ? किसकी मिलीभगत से शराब एसी डक्ट में पहुंची ?
चेकिंग के नाम पर दावा तो रेलवे ऐसा करता है कि, एक सुई भी बिना इज़ाज़त के अंदर नहीं जा सकती, परिंदा भी पर नहीं मार सकता, क्योंकि आप कैमरे की निगरानी में हैं. डिटेक्टटर से बचना आसान नहीं है, अब हो सकता है कि, उस कैमरे में सुई क़ैद कर ली जाती हो, लेकिन शराब की बोतलें नहीं. हो सकता है सुई को डिडेक्टर डिडेक्ट कर लेता हो, लेकिन शराब की बोतलें उसकी रेंज से बाहर हो, क्योंकि पूरी प्लानिंग के साथ शराब की बोतलों का पास उपर से ही बनाया गया हो. फ़िलहाल अब जब मामला खुल कर सामने आ गया है तो कार्रवाई भी शुरु हो गई, ग़ज़ब की तत्परता भी दिखाई जा रही हैं, लेकिन इतनी बड़ी लापरवाही से समझ सकते हैं कि, रेलवे के क्या हाल है, अभी तो जो रेलवे कहता है कि, यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. शायद अब इसमें थोड़ा बदलाव करने की ज़रूरत है जिसके बाद कहा जाए यात्रियों की सुरक्षा तो ठीक बात है लेकिन शराब को सुरक्षित पहुंचाना भी हमारी प्राथमिकता है.
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