Advertisement

नमाज न अदा करने पर 2 साल की जेल और 60 हजार का जुर्माना...इस मुस्लिम देश की कट्टरता देख हिल गई दुनिया, जमकर हो रही आलोचना

मलेशिया के तरेंगानू राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए एक ऐसा सख्त कानून लागू किया गया है, जिसे तोड़ने पर 2 साल की जेल और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. यह नियम पुरुषों पर लागू होगा. यहां कोई भी व्यक्ति अगर शुक्रवार के जुम्मे की नमाज में बिना वैध कारण बताए अनुपस्थित रहता है, तो उसे इस कठोर दंड से गुजरना होगा.

नमाज न अदा करने पर 2 साल की जेल और 60 हजार का जुर्माना...इस मुस्लिम देश की कट्टरता देख हिल गई दुनिया, जमकर हो रही आलोचना

मलेशिया के एक राज्य में ऐसा सख्त कानून लागू किया गया है, जिसको सुनने के बाद आपकी भी रूह कांप जाएगी. इस देश ने उन मुस्लिम देशों की कट्टरता को भी पीछे छोड़ ऐसा कानून लागू किया है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है. इसे मानवाधिकारों के खिलाफ बताया गया है. 

नमाज में गैरहाजिर होने पर 2 साल की जेल और भरना पड़ेगा जुर्माना 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलेशिया के तरेंगानू राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए एक ऐसा सख्त कानून लागू किया गया है, जिसे तोड़ने पर 2 साल की जेल और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. यह नियम पुरुषों पर लागू होगा. हालांकि, राहत की बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति शुक्रवार की नमाज से गैरहाजिर होता है, तो उसे अपने वैध कारणों के बारे में बताना होगा. 

क्या है इस नए कानून में? 

मलेशिया के इस नए कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति पहली बार अपराध करता है, तो उसे 2 साल की जेल और 3,000 रिंग्गिट यानी 60 हजार रुपए भरने पड़ सकते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले भी यह नियम लागू था, जिसमें तीन बार जुम्मे की नमाज छोड़ने पर 6 महीने की जेल और 1,000 रिंग्गिट का जुर्माना था. ऐसे में अब उसी कानून को और भी ज्यादा सख्त कर दिया गया है. इस नियम के सख्त पालन और लोगों को जानकारी देने के लिए मस्जिद में साइन बोर्ड लगाए जाएंगे. इसके अलावा धार्मिक दलों और जनता की शिकायतों के आधार पर नियम को तोड़ने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी. 

दुनिया भर में हो रही कड़ी आलोचना 

मलेशिया के इस नए कानून को लेकर दुनिया के कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने विरोध जताया है. सभी ने इसे मानवाधिकारों के खिलाफ बताया है. कई लोगों का कहना है कि मलेशिया ने पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान और कई अन्य इस्लामिक देशों को भी पछाड़कर बर्बरता की एक अलग तस्वीर पेश की है. वहीं एशिया ह्यूमन राइट्स एंड लेबर एडवोकेट्स के निदेशक फिल रॉबर्टसन की तरफ से कहा गया है कि 'धर्म की स्वतंत्रता का मतलब व्यक्ति को मानने या न शामिल होने का अधिकार है. रॉबर्टसन ने इसको लेकर मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से कानून को तुरंत वापस लेने की खास अपील की है. वहीं सरकार ने इस मामले पर कहा है कि यह सजा सिर्फ आखिरी विकल्प के तौर पर लागू की जाएगी. 

पाकिस्तान और सऊदी अरब में नमाज को लेकर कानून 

यह भी पढ़ें

दुनिया के मुस्लिम देशों में शामिल पाकिस्तान की कुल आबादी में 97 प्रतिशत मुस्लिम हैं. पाकिस्तान की आबादी 24 करोड़ है, इनमे 85 से 90 प्रतिशत सुन्नी और लगभग 10 से 15 प्रतिशत शिया मुस्लिम हैं. यहां पर जुम्मे की नमाज के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है. हालांकि, धार्मिक ग्रंथो के अपमान पर फांसी व आजीवन कारावास का प्रावधान है. वहीं सऊदी अरब की पूरी आबादी मुस्लिम समुदाय से है. यहां पर शरिया कानून को सबसे ऊपर माना जाता है. इसके अलावा धर्म परिवर्तन पर मृत्युदंड और गैर मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से पूजा की अनुमति नहीं है. 

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें