Bangladesh सीमा से आए दिव्यांग बाबा ने Maha Kumbh की व्यवस्था पर क्या कहा ?
एक पैर से हैं दिव्यांग फिर भी महाकुंभ में स्नान करने के लिए बांग्लादेश की सीमा से प्रयागराज चले आए बुजुर्ग बाबा ने सुनिये सरकार की व्यवस्था को लेकर क्या कुछ कहा ?
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प्रयागराज की धरती पर महाकुंभ तो हर बारह साल बाद आयोजित होता है। लेकिन इस बार का महाकुंभ इसलिये भी खास है क्योंकि बारह महाकुंभ मेले के बाद यानि पूरे 144 सालों बाद इस महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यही वजह है कि देश दुनिया के कोने कोने से सनातनी श्रद्धालु महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने आ रहे हैं।एक ऐसे ही श्रद्धालु बांग्लादेश के बॉर्डर से महाकुंभ में स्नान करने के लिए प्रयागराज आए हैं। जिनका नाम है रंजीत पाल।और उससे भी बड़ी बात ये है कि रंजीत पाल एक पैर से दिव्यांग हैं। लेकिन इसके बावजूद महाकुंभ में आस्था उन्हें प्रयागराज के संगम तट तक ले आई।और ट्रेन से पहले प्रयागराज रेलवे स्टेशन आए। उसके बाद पैदल ही एक पैर के सहारे संगम तट तक पहुंचे।
एक हादसे में पैर गंवाने वाले अजीत पाल जिस पश्चिम बंगाल राज्य से आते हैं वहां गंगा सागर में मकर संक्रांति के दिन भव्य मेला लगता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। लेकिन इसके बावजूद सत्तर साल के बुजुर्ग अजीत पाल गंगा सागर का स्नान छोड़ कर प्रयागराज चले आए जिससे महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगा सकें। क्योंकि इस महाकुंभ के लिए बाबा करीब दो महीने से तैयारी कर रहे थे।
संगम में स्नान करने आए बुजुर्ग बाबा महाकुंभ की तैयारी से तो बहुत खुश हैं।लेकिन कड़ाके की ठंड में ठहरने की बेहतर व्यवस्था ना होने की वजह से उन्हें खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है। फिर भी उनकी आस्था कमजोर नहीं पड़ी। यहां प्रयागराज में संगम स्नान के बाद बुजुर्ग बाबा सीधे अयोध्या जाएंगे। जहां परिवार के साथ राम लला के दर्शन भी करेंगे।
योगी सरकार ने महाकुंभ की तैयारी तो जोरदार की है।लेकिन अजीत पाल जैसे ना जाने कितने दिव्यांग श्रद्धालु होंगे। जो दूर दूर से महाकुंभ में स्नान के लिए प्रयागराज आ रहे हैं।ऐसे श्रद्धालुओं के लिए भी प्रशासन को कम से कम ठहरने और सर ढंकने के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन से संगम तट तक आने जाने के लिए भी कोई ना कोई व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे दिव्यांग श्रद्धालुओं को संगम आने में कोई परेशानी ना हो।
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