धरती पर मौजूद है यमराज की कचहरी, यहां होता है आत्मा के स्वर्ग या नरक जाने का फैसला!
वैसे तो हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मरण तक कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं. उनमें से एक मान्यता है कि व्यक्ति के मरने के बाद उसे स्वर्ग मिलेगा या फिर नरक, इसका फैसला यमराज की कचहरी में होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यमराज की कचहरी धरती पर भी मौजूद है. माना जाता है कि यहां शरीर त्यागने के बाद आत्मा सबसे पहले आती है. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें…
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक में से कहां जाएगी? इसका फैसला यमराज की कचहरी में होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि मृत्यु के देवता कहे जाने वाले यमराज की कचहरी सिर्फ यमलोक में ही नहीं, बल्कि धरती पर भी लगती है, जहां व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब होता है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भटियात में स्थित है एक रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर, जिसे यमराज की कचहरी कहा जाता है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसे भटियात में यह मंदिर बहुत ही साधारण सा दिखता है, मानो एक छोटा सा घर हो. लेकिन, कोई भी यहां आने से कतराता है.
मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा सबसे पहले कहां जाती है?
इस मंदिर की मान्यता बेहद विशेष और रहस्यमयी है. कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा सबसे पहले इसी स्थान पर आती है. यहां भगवान चित्रगुप्त आत्मा के सभी अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा जांचते हैं.
कहां तय होता है कि आत्मा को स्वर्ग मिलेगा या नरक?
मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष माना जाता है. इसी कमरे में आत्मा को लाया जाता है, जहां चित्रगुप्त अपनी बही 'अग्रसंधानी' से उस आत्मा के जीवन भर के कर्म पढ़ते हैं. इसके बाद आत्मा को सामने वाले कक्ष यानी यमराज की अदालत में ले जाया जाता है और वहीं तय होता है कि आत्मा को स्वर्ग भेजा जाएगा या नरक.
मंदिर में जाने से क्यों कतराते हैं लोग?
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इस मंदिर में चार द्वार हैं, जो तांबे, लोहे, सोने और चांदी के बने हुए माने जाते हैं. मान्यता है कि आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार इन द्वारों में से किसी एक से स्वर्ग या नरक की ओर भेजा जाता है. स्थानीय लोग इस मंदिर से कतराते हैं. यहां का माहौल इतना गंभीर और रहस्यमयी है कि अधिकतर लोग मंदिर को बाहर से ही प्रणाम कर लेते हैं. कोई भी इसके अंदर जाने की हिम्मत नहीं करता.
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