देवघर में क्यों होती है रावण की पूजा? आखिर क्यों नहीं होता दहन, पौराणिक कथा से समझें वजह
रावण दहन आने वाला है, पूरे देश में रावण दहन बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. इसलिए मान्यता है कि रावण को जलाने से बुराई का नाश होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं देश में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता है.
Follow Us:
विजयादशमी के अवसर पर पूरे भारत में रावण दहन की परंपरा बेहद ही प्रचलित है. विजयादशमी पर रावण का पुतला जलाना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि झारखंड के देवघर शहर में यह परंपरा बहुत ही अलग है. यहां रावण दहन नहीं होता. बल्कि उसकी पूजा की जाती है. अब ऐसा क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं…
देवघर की पावन धरती से रावण का गहरा संबंध है. कहा जाता है कि देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इसकी स्थापना से रावण की गहरी तपस्या और भगवान शिव के प्रति उनकी असीम भक्ति की कहानी जुड़ी हुई है. इसे रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है.
रावण और भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथा
मान्यता है कि लंकापति रावण ने कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे आत्मलिंग यानी शिवलिंग लंका ले जाने का वरदान मांगा. लेकिन, एक शर्त थी कि अगर रावण ने रास्ते में कहीं भी शिवलिंग को रखा तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा. शिवलिंग लेकर जाते समय रावण को लघुशंका लगी और उसने पास ही के एक चरवाहे से शिवलिंग को पकड़ने का आग्रह किया. चरवाहे ने शिवलिंग पकड़ा और रावण लघुशंका के लिए चला गया. लेकिन जिस चरवाहे से उसने शिवलिंग पकड़ने का आग्रह किया था वह कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु थे. क्योंकि देवताओं को यह जरा भी मंजूर नहीं था कि किसी अधर्मी के राज में शिवलिंग को रखा जाए. ऐसे में देवताओं की योजना के बाद भगवान विष्णु ने चरवाहे का रूप धारण कर शिवलिंग को वहीं रख दिया और शिवलिंग वहां स्थापित हो गया.
आखिर क्यों विजयदशमी के दिन रावण दहन नहीं किया जाता है?
यही कारण है कि देवघर के लोग रावण को राक्षसराज की बजाय भगवान शिव का अनन्य भक्त मानते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. उनके द्वारा की गई तपस्या और शिव की उपासना का वर्णन पुराणों में मिलता है. इसलिए विजयादशमी के दिन जब पूरे देश में रावण दहन होता है तब देवघर में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता.
किन जगहों पर रावण दहन नहीं किया जाता?
यह भी पढ़ें
इसके अलावा, मध्य प्रदेश के मंदसौर, उत्तर प्रदेश के बिसरख और गढ़चिरौली में कुछ जगहों पर भी विजयादशमी के दिन रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि रावण की पूजा की जाती है. खासकर, गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय के लोग रावण को अपने कुल देवता के रूप में पूजते हैं.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें