दुनिया से छिप कर इस संत ने की कैलाश पर्वत पर तपस्या !
कैलाश पर्वत यानी देवों के देव महादेव के निवास स्थान को हिन्दू और बौद्ध धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है, लेकिन इस पर्वत पर जिसने भी चढ़ने की कोशिश की है, वो हर बार नाकामयाब ही हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यहां हेलीकॉप्टर भी रास्ता भटक जाता है या किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। वहीं नासा ने भी कैलाश पर्वत के सामने घुटने टेक दिए हैं, लेकिन 11वीं सदी के मिलारेपा ने इस कैलाश पर्वत पर फतह करके ये रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
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कैलाश पर्वत यानी शिव पार्वती का निवास स्थान जहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं, जिसके रहस्यों को नासा भी सुलझा नहीं पाया है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को सैकड़ों लोग फतह कर चुके हैं लेकिन 6,600 मीटर की ऊंचाई वाले इस पर्वत पर जाने से नासा, चीन भी घबराया हुआ है। इतना ही नहीं अभी तक कोई हेलीकॉप्टर भी यहाँ नहीं पहुँच पाया है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि जो नासा चाँद तक पहुँच गया है, वो कैलाश पर्वत के रहस्यों को सुलझाने में नाकामयाब हो रहा है। जिसने भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की है, वो कभी ज़िंदा नहीं बचा है, लेकिन एक शख़्स ऐसा है जो कैलाश पर्वत पर गया और ज़िंदा भी लौट आया। आइए जानते हैं कौन है ये शख़्स जिसने कैलाश पर्वत पर फतह हासिल की और आखिर क्या कारण है कि नासा भी कैलाश पर्वत के रहस्यों को सुलझाने में नाकामयाब हो रहा है।
कैलाश पर्वत यानी जहां भगवान शिव रहते हैं, इस पर्वत के कई रहस्य ऐसे हैं जिन्हें आज भी कोई सुलझा नहीं पाया है। कहते हैं जो भी इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करता है, वो कभी ज़िंदा नहीं लौटता है। लेकिन बौद्ध भिक्षु मिलारेपा एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 11वीं सदी में कैलाश पर्वत पर चढ़ाई भी की और वापस ज़िंदा भी लौट कर आए, लेकिन मिलारेपा ने पर्वत से आने के बाद कुछ नहीं बताया… जिसके बाद ये आज तक एक रहस्य बना हुआ है। आपको बता दें कि मिलारेपा अपने आपको 80 लोगों का हत्यारा मानते थे। वजह ये बताई जाती है कि उनके प्रतिशोध की आग ने 80 लोगों की जान ले ली। इसके बाद उन्हें इतना पछतावा हुआ कि वो आध्यात्म की राह पर निकल गए और कैलाश यात्रा के बाद उन्होंने कई सालों तक साधना की और साधना के बाद वापस लौट कर अपने गुरु मार्पा के पास गए। मार्पा ने उन्हें अंधेरे कमरे में बंद कर दिया, इसके बाद उन्होंने अपनी तंत्र साधना पूरी की।
कैलाश पर्वत के अनसुलझे रहस्य
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार इस पर्वत के पास धन कुबेर की नगरी है, और ऐसा भी माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे कर्म करता है, उसे मृत्यु के बाद भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत पर निवास मिलता है। लेकिन अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हेलीकॉप्टर भी यहां आकर रास्ता भूल जाता है या किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। वहीं पृथ्वी के एक ओर उत्तरी ध्रुव है और दूसरी ओर है दक्षिणी ध्रुव, दोनों के बीच में स्थित है हिमालय, और हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत… यही वजह है कि यहां अलौकिक घटनाएँ होती हैं, ऐसा भी कहा जाता है कि मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत के पास जाने से एक निरंतर ध्वनि सुनाई देती है। और कहते हैं कि ध्यान से सुनने पर ये ध्वनि डमरू और ओंकार की आवाजों की तरह सुनाई देती है। वैसे वैज्ञानिकों का कहना है कि ये आवाजें बर्फ़ के पिघलने की हो सकती हैं।
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कैलाश पर्वत सनातनियों की आस्था का प्रतीक
देवों के देव महादेव के निवास स्थान कैलाश पर्वत पर आज भी कई लोगों की अटूट आस्था है। संसार के नाशक के रूप में माने जाने वाले शिव ज्ञान और वैराग्य का प्रतीक हैं, लेकिन जो लोग इस 6,600 मीटर ऊंचे पर्वत पर चढ़ नहीं सकते, वो आज भी दूर से भगवान शिव को नमन करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद पाते हैं। इसी के साथ ये पर्वत हिन्दू, जैन, और बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है और इसी पर्वत के बारे में संस्कृत साहित्यों के अनेकों काव्यों में भी बताया गया है, जैसे कि महाकवि माघ द्वारा रचित शिशुपालवधम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग में कैलाश पर्वत का वर्णन मिलता है।इसके साथ ही आपको जानकारी देते चले कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी पार्वती कुंड में शिव पूजन करने आ चुके है… वैसे आपको भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत पर चढ़कर ज़िंदा वापस आने वाले पहले व्यक्ति के बारे में जानकर कैसा लगा?
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