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चामुंडी पहाड़ियों का रहस्य: महिषासुर वध से जुड़ा चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास जानें!

चामुंडेश्वरी मंदिर न केवल कर्नाटक की प्राचीन आस्था का केंद्र है, बल्कि यह शक्ति, साहस और भक्ति का अद्भुत प्रतीक भी है. वहीं महिषासुर वध की पौराणिक कथा से जुड़ा यह शक्तिपीठ भक्तों को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है. हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन कर मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. चलिए मंदिर के बारें में विस्तार से जानते हैं...

20 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
09:55 AM )
चामुंडी पहाड़ियों का रहस्य: महिषासुर वध से जुड़ा चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास जानें!

विश्व भर में 18 महाशक्तिपीठ मंदिर हैं, जिनका उल्लेख आदि शंकराचार्य ने किया था. इन महाशक्तिपीठ को मां सती और भगवान शिव से जोड़ा गया है. माना जाता है कि जहां-जहां मां सती के अंग गिरे, वहां महाशक्तिपीठ स्थापित हुए. 18 महाशक्तिपीठ में से एक कर्नाटक की चामुंडी पहाड़ियों में प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर है, जिसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है.

चामुंडेश्वरी मंदिर कहां स्थित है?
प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर पैलेस से 13 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है, जहां सीढ़ियों से चढ़कर भक्त मां के स्वरूप के दर्शन के लिए जाते हैं. मंदिर परिसर तक पहुंचाने वाली सीढ़ियों का भी अपना महत्व है. सीढ़ियों की बनावट इतनी ऊंची और खड़ी है कि जैसे-जैसे भक्त एक-एक सीढ़ी को पार करते हैं, वैसे ही उनके पाप कटने लगते हैं. चामुंडेश्वरी देवी शक्तिपीठ को क्रौंच पीठम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में इस स्थान को क्रौंच पुरी के नाम से जाना जाता था.

क्या है चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास?
अगर मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह मां सती के गिरे केश, राक्षस महिषासुर और राजा चामराजेंद्र वाडियार से जुड़ा है. माना जाता है कि इसी स्थल पर मां सती के केश गिरे थे और इस मंदिर की स्थापना की गई. पहाड़ियों में राक्षस महिषासुर की प्रतिमा भी बनी है. माना जाता है कि राक्षस महिषासुर का अहंकार और अत्याचार बढ़ गया था, तब त्रिदेव ने मां शक्ति का आह्वान किया और मां चामुंडेश्वरी प्रकट हुईं. महिषासुर को वरदान था कि वो त्रिदेव के हाथों से नहीं मरेगा और एक महिला उसका संहार करेगी.

चामुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा!
इसके अलावा, यह भी किंवदंती है कि 1573 में राजा चामराजेंद्र वाडियार मां भगवती की पूजा में लीन थे और तभी आसमान से उनके ऊपर बिजली गिरी. बिजली गिरने से सिर्फ उनके केश को नुकसान पहुंचा. लोगों का मानना है कि खुद मां भगवती ने राजा की रक्षा की थी और उन्होंने ही मंदिर का निर्माण कराया था.

क्या है चामुंडेश्वरी मंदिर की खासियत?
मां चामुंडेश्वरी के मंदिर में अन्य देवी-देवताओं को भी स्थान दिया गया है. मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान श्रीगणेश की मूर्ति दिखाई देगी. थोड़ा आगे बढ़ने पर गर्भगृह के ठीक सामने नंदी महाराज की भारत की सबसे बड़ी प्रतिमा विराजमान है. गर्भगृह के बाहर भगवान हनुमान भी मां की सेवा में विराजमान हैं.

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कब और किसने करवाया मंदिर का निर्माण?
माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में होयसल शासकों ने कराया था. मंदिर के प्रवेश द्वार पर चांदी के द्वार लगे हैं, जो द्रविड़ संस्कृति की वास्तुकला को खास बनाते हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 1000 सीढ़ियां पार करनी होती हैं और बीच-बीच में भक्तों को छोटे-छोटे उपमंदिर के भी दर्शन होते रहते हैं.

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