Chhath Puja 2024: आज से शुरू हो रहा है महापर्व छठ, भूल कर भी ना करें ये गलती
Chhath Puja 2024: छठी माई, जो प्रकृति की देवी मानी जाती हैं, इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रती कठिन व्रत रखते हैं। माना जाता है कि इस पर्व में व्रतधारी द्वारा की गई हर साधना और तपस्या से उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होता है। लेकिन छठ पूजा के दौरान कई महत्वपूर्ण नियम होते हैं, जिनका पालन न करना व्रत की सफलता को प्रभावित कर सकता है। यहां कुछ खास बातें हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए:
Chhath Puja 2024: भारत में छठ महापर्व का महत्व विशेष रूप से उत्तर भारत में देखा जाता है, खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में। छठ पूजा का पर्व प्रकृति, जल, और सूर्य की आराधना का पर्व है, जिसमें छठी माई की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार, 5 नवंबर 2024 से हो चुकी है, और यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस दौरान श्रद्धालु सख्त नियमों का पालन करते हैं और कड़े व्रत रखते हैं ताकि सूर्य देवता और छठी माई की कृपा प्राप्त हो सके।
छठ पूजा का महत्व गहरा है। यह पर्व संतान की समृद्धि, परिवार की खुशहाली, और मनोकामना की पूर्ति के लिए मनाया जाता है। सूर्य, जो जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा का स्रोत हैं, और छठी माई, जो प्रकृति की देवी मानी जाती हैं, इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रती कठिन व्रत रखते हैं। माना जाता है कि इस पर्व में व्रतधारी द्वारा की गई हर साधना और तपस्या से उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होता है। लेकिन छठ पूजा के दौरान कई महत्वपूर्ण नियम होते हैं, जिनका पालन न करना व्रत की सफलता को प्रभावित कर सकता है। यहां कुछ खास बातें हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए:
1. पूजा की सामग्री जैसे ठेकुआ, फल, और गन्ना, सभी का विशेष महत्व होता है। इन्हें बिना नहाए छूना अशुद्ध माना जाता है, इसलिए हमेशा पूजा से पहले स्नान करें और सामग्री को पवित्र रखें।
2. छठ पूजा के दौरान पूरे परिवार के लिए सिर्फ सात्विक भोजन ही बनाएं। प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है। यह समय परिवार और समाज को शुद्धता का संदेश देता है।
3. छठ महापर्व में स्वच्छता का बहुत महत्व होता है। व्रतधारी और उनके परिवार को इस दौरान विशेष ध्यान रखना चाहिए कि घर का वातावरण स्वच्छ रहे। इसका उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना है।
4. व्रतधारी को भूमि पर सोना चाहिए, उन्हें पलंग पर सोने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भूमि पर सोने से व्रत का फल और अधिक बढ़ता है।
5. छठ पूजा के चारों दिन दाढ़ी, नाखून, या बाल काटने जैसे कामों से बचें। इन दिनों में केवल धार्मिक गतिविधियों पर ध्यान देना आवश्यक है।
6. छठ के चार दिनों में कुछ खास चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है, जैसे कि मूली, गाजर, और कच्ची हल्दी। इसे धार्मिक दृष्टि से सही नहीं माना जाता है। यह परहेज व्रतधारियों के मन को शुद्ध और संयमित बनाए रखने के लिए होता है।
वैसे आपको बता दें कि छठ महापर्व चार दिनों में संपन्न होता है, और प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और नियम होते हैं। आइए, इस पर्व के हर चरण को विस्तार से समझते हैं।
1. पहला दिन: नहाय-खाय (5 नवंबर 2024)
छठ पूजा की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है। इस दिन व्रतधारी सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात या लौकी-चावल जैसे सात्विक भोजन का विशेष महत्व होता है। नहाय-खाय का मुख्य उद्देश्य शरीर और आत्मा को शुद्ध करना होता है ताकि व्रती पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत के लिए तैयार हो सके।
2. दूसरा दिन: खरना (6 नवंबर 2024)
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन है और इसे ‘लोहंडा’ भी कहा जाता है। इस दिन व्रतधारी दिनभर निराहार रहकर शाम को सूर्यास्त के बाद अर्घ्य के रूप में प्रसाद का सेवन करते हैं। खरना के दिन गुड़, चावल, और गाय के दूध से बना प्रसाद खाया जाता है। माना जाता है कि खरना व्रत के दौरान किए गए तप और नियमों का पालन करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3. तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024)
तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है, जिसमें डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने परिवार और मित्रों के साथ तालाब, नदी, या घाट पर एकत्रित होते हैं और वहां पूजा करते हैं। संध्या अर्घ्य के दौरान व्रतधारी थाल में ठेकुआ, फल, गन्ना, और नारियल जैसे पूजा सामग्रियों को लेकर अर्घ्य देते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे स्वास्थ्य, शक्ति और संतान सुख के लिए आवश्यक माना गया है।
4. चौथा दिन: उषा अर्घ्य (8 नवंबर 2024)
अंतिम दिन को उषा अर्घ्य का दिन कहा जाता है। इस दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो पूजा का समापन है। सुबह के इस अर्घ्य में व्रतधारी अपनी पूर्ण आस्था के साथ भगवान सूर्य और छठी माई को श्रद्धा से अर्घ्य देते हैं। इस दिन प्रसाद को सभी परिजनों और मित्रों के बीच वितरित किया जाता है, जिससे परिवार और समाज के सभी लोग एक साथ मिलकर इस महापर्व का आनंद उठा सकें।
छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसमें सूर्य को अर्घ्य देने से पानी में रहने वाले सूक्ष्मजीवों का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, उगते और डूबते सूर्य की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मनुष्य का मन और मस्तिष्क संतुलित रहते हैं। तो ऐसे में इस छठ पर्व पर पूरी श्रद्धा के साथ इन नियमों का पालन करें और छठी माई और सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करें।