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सिर्फ 17 हजार में AK-47... कैसे म्यांमार से बिहार पहुंचता है बाहुबलियों का 'फेवरेट' हथियार, NIA ने खोले राज

म्यांमार में 17 हजार रुपए में मिलने वाली AK-47 बिहार पहुंचते-पहुंचते 7 लाख की हो जाती है. ये पूरा रैकेट बेहद ही सफाई से भारत के कई राज्यों में हथियार पार्ट्स में पहुंचाता है जो यहां मौजूद तस्कर असेंबल करते हैं.

28 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
10:18 AM )
सिर्फ 17 हजार में AK-47... कैसे म्यांमार से बिहार पहुंचता है बाहुबलियों का 'फेवरेट' हथियार, NIA ने खोले राज

बिहार (Bihar) के मुंगेर जिले को AK-47 की फैक्ट्री माना जाता है. छोटे-मोटे बदमाशों से लेकर खूंखार गैंगस्टर तक तक का ऑर्डर मुंगेर आता है, लेकिन बिहार में अपराधी अब मुंगेर निर्मित AK-47 नहीं बल्कि म्यांमार निर्मित हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जो मणिपुर, नागालैंड से होते हुए बिहार पहुंच रही है. ये दावा हम नहीं बल्कि खुद बिहार पुलिस ने किया है. कैसे म्यांमार के हथियार बिहार के अपराधियों का नया शौक बन गए और कैसे काम करती है ये पूरी सप्लाई चेन जानते हैं. 

बिहार की मुजफ्फरपुर पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है. पुलिस का दावा है कि यहां नागालैंड से AK-47 की तस्करी हो रही है. इसके तहत जो AK-47 दीमापुर में 5 लाख रुपए की होती है, वो बिहार के मुजफ्फरपुर आते–आते 7 लाख की हो जाती है. AK-47 साबुत नहीं आती बल्कि उसके अलग-अलग पार्ट्स बिहार पहुंचते हैं और यहां असेंबल कर उसे हथियार का रूप दिया जाता है. 

केस डायरी में कई खुलासे 

साल 2024 जून महीने में मुजफ्फरपुर पुलिस ने AK 47 से जुड़े एक केस की जांच की. इस जांच में खुलासा हुआ कि बिहार में जो AK 47 बरामद हो रही हैं वो नागालैंड से लाई जा रही हैं. पुलिस ने इस मामले की केस डायरी भी कोर्ट में सबमिट की. केस की जांच नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कर रही है. जांच में सामने आया कि नागालैंड से AK 47 चोरी छुपे पहले बिहार लाई जाती है और इसे यहां अपराधियों को लाखों में बेचा जाता है.  

पुलिस की केस डायरी के साथ-साथ आर्मी इंटेलिजेंस, BSF और पुलिस के आलाधिकारियों से मिले इनपुट भी एक बड़े रैकेट की ओर इशारा करते हैं. 

बिहार में AK-47 के नागालैंड रैकेट का भंडाफोड़ कैसे हुआ? 

6 मई 2024 बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन के बाहर पुलिस ने हथियार तस्करों विकास और सत्यम को अरेस्ट किया था. उनके पास से AK-47 में लगाए जाने वाले लैंस और बट बरामद हुए. पुलिस ने जब दोनों से पूछताछ की तो उन्हें AK-47 का ऑर्डर वही के देवमुनि राय उर्फ अनीश ने दिया था जो कि कुढ़नी पंचायत के प्रधान का बेटा था. अगले ही दिन पुलिस ने अनीश को भी धर दबोचा. उसके पास से AK-47 भी बरामद होती है. इसी AK-47 के लिए लेंस और बट ऑर्डर किए गए थे. कुछ ही दिनों के अंदर पुलिस इस केस में नागालैंड के दीमापुर से हथियार तस्कर अहमद अंसारी को भी अरेस्ट किया जाता है. तीनों को पटना के बेउर जेल भेज दिया जाता है. इसके बाद NIA इस जांच में जुट जाती है कि बिहार में AK-47 सप्लाई करने वाला नेटवर्क आखिर कहां से संचालित हो रहा है. 

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बिहार में ये बैन हथियार कई बाहुबलियों, माफियाओं के साथ-साथ अपराधियों और रसूखदार लोगों तक AK-47 पहुंच रही है. अपराधी बिहार की कानून व्यवस्था को धता बताकर धड़ल्ले से दहशत बरपा रहे हैं. क्योंकि उन्हें हथियार पहुंचाने वाला पूरा रैकेट काम कर रहा है. 

दीमापुर से अरेस्ट हथियार तस्कर अहमद अंसारी ने आर्मी इंटेलिजेंस की टीम के साथ पूछताछ में कई खुलासे किए. अहमद अंसारी ने  नागालैंड के स्थानीय हथियार तस्करों से संबंध होने की बात को स्वीकार किया, हथियार सप्लाई भी स्वीकार की. नागालैंड और मणिपुर में हथियार की तस्करी करने वाले तस्कर स्थानीय वहां के उग्रवादी संगठनों से जुड़े होते हैं. जबकि नागालैंड और मणिपुर में AK 47 म्यांमार से आती है. न केवल AK-47 बल्कि विस्फोटक और बाकी हथियार भी म्यांमार से आते हैं. 

गोल्डन ट्रायंगल से हो रही तस्करी 

रिपोर्ट्स में BSF के एक अधिकारी के जरिए बताया गया कि भारत में विदेशी अवैध हथियारों का जखीरा गोल्डन ट्रायंगल के जरिए आ रहा है. जो कि म्यांमार, कंबोडिया और थाइलैंड को मिलाकर तैयार किया गया है. तीनों देशों से ड्रग्स और हथियार बड़े पैमाने पर सप्लाई होते हैं. 

चूंकि भारत–म्यांमार का बॉर्डर जंगल और पहाड़ों के बीच है. जिससे आसानी से तस्कर भारत में एंट्री कर हथियार पहुंचाते हैं. हालांकि यहां सुरक्षा के लिए असम राइफल्स तैनात रहती हैं, लेकिन शातिर तस्कर फुलप्रूफ प्लान के साथ वारदात को अंजाम देते हैं. 

वहीं, लोकल पुलिस ने भी बिहार में हथियार तस्करी के तार नागालैंड से जुड़े होने की पुष्टि की. दीमापुर से अरेस्ट अहमद अंसारी बिहार से ही है. ऐसे में उसे अच्छे से पता है बिहार तक, यहां के माफियाओं तक कैसे हथियार पहुंचाने हैं. पुलिस को उसके घर से दो वॉकी टॉकी भी बरामद हुए थे. NIA की टीम ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए हाजीपुर, सारण और मुजफ्फरपुर में एक साथ छापेमारी की थी. इसके बाद पकड़े गए मुखिया के बेटे के घर से भी छापेमारी की गई. पुलिस की जांच में साफ होता गया कि बिहार में AK-47 की तस्करी का कनेक्शन म्यांमार से है जो नागालैंड और मणिपुर के रास्ते बिहार में हथियार पहुंचाते हैं. 

म्यांमार में 17 हजार, बिहार में 7 लाख कीमत

म्यांमार में जिस हथियार की कीमत 17 हजार रुपए है वही हथियार बिहार में आते-आते 7 लाख है. हालांकि यह दाम म्यांमार के अवैध हथियार बाजार के हैं. सबसे पहले यह खुलासा मुजफ्फरपुर पुलिस ने किया था लेकिन इस पूरे रैकेट के तार कई जगहों से जुड़ने के बाद NIA ने केस को अपने हाथ में ले लिया. जो इन सवालों का पता लगाने में जुट गई, इस हथियार की तस्करी कैसे हो रही है? कौन से लोग या किस तरह के संगठन इसकी तस्करी में जुटे हैं? 

शराब माफियाओं के बयान से मिले सबूत 

कोर्ट में दायर मुजफ्फरपुर पुलिस की केस डायरी में शराब माफियाओं के बयान से भी अहम सबूत मिले. वे माफिया जिन्होंने तस्करों से अवैध हथियार खरीदे थे. इसके बाद आर्मी इंटेलिजेंस, BSF के जवानों ने भी तस्करी की ओर इशारा किया. जांच एजेंसी को जो इनपुट मिले उनमें हथियारों के विदेशी रैकेट का भंडाफोड़ होता चला गया.

म्यांमार-चीन बॉर्डर पर होता है तस्करी का खेल 

दीमापुर अवैध हथियारों की तस्करी का गढ़ बन चुका है. AK-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार यहां पड़ोसी देश म्यांमार से आते हैं. नागालैंड से ये हथियार देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाए जाते हैं. 

जानकारी के मुताबिक, म्यांमार में अवैध हथियारों की सबसे पहली एंट्री मणिपुर के मोरेह में होती है. बताया जाता है मणिपुर हिंसा के दौरान भी म्यांमार से सप्लाई हुए हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. म्यांमार और मणिपुर के बीच हथियार सप्लाई करने की कड़ी स्थानीय लोग ही बने. ये लोग बॉर्डर इलाकों के पास ही रहते हैं. इन्हें दुर्गम रास्तों और सीक्रेट रूट की पूरी जानकारी होती है. तस्कर मणिपुर के मोरेह और म्यांमार के बीच कालादान नदी वाले रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. इस दौरान सुरक्षा के तमाम इंतजाम तस्कर साथ में रखते हैं. 

दीमापुर से तय होती है कीमत 

सीक्रेट इनपुट के मुताबिक, हथियारों की खेप के मणिपुर पहुंचने के बाद उन्हें अलग-अलग गाड़ियों में छिपाकर, अलग-अलग तरीकों से नागालैंड की राजधानी दीमापुर पहुंचाया जाता है. इस स्टॉक को जमा करने के लिए एक खास ठिकाना होता है. इसके बाद भारत के अलग-अलग राज्यों में डील के अनुसार हथियार पहुंचाए जाते हैं. म्यांमार के AK-47 की कीमत दीमापुर में 5 लाख होती है (जिस कीमत पर तस्कर बेचते हैं) दूसरे राज्यों में इसे 7 लाख रुपए तक में बेचा जाता है. जो पार्ट्स के जरिए बेचे जाते हैं. 

दूसरे राज्यों में कैसे भेजे जाते हैं हथियार? 

असॉल्ट राइफल AK-47 की कुल लंबाई 34.3 इंच होती है. जबकि इसका कुल वजन 4 किलो 300 ग्राम का होता है. इसे बनाने में अलग-अलग तरह के टोटल 15 पार्ट्स लगते हैं. साबुत हथियार पहुंचाना रिस्की है इसलिए इसकी सप्लाई पार्ट्स में होती है. बिहार या UP जिस भी राज्य में सामान डिलीवर करना होता है वहां ट्रेनों से अलग-अलग पार्ट्स भेजे जाते हैं. पार्सल बुकिंग तस्करों की मदद करती है. 

कैसे होती है AK-47 असेंबल? 

AK-47 के पार्ट्स फिट करना तस्करों और इसे हैंडल करने वालों के लिए बाएं हाथ का खेल है. 15 अलग-अलग पार्ट्स को असेंबल करने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगता. महज कुछ ही मिनट में ये पूरा हथियार असेंबल हो जाता है. ये पार्ट्स बट, पिस्टल ग्रीप, मैगजीन, ट्रिगर, चार्जिंग हैंडल, इंजेक्शन पोर्ट, रिसीवर, हैंड गार्ड, रियर साइट, बैरल जैकेट, बैरल, फ्लैश होल्डर और फ्रंट साइट हाउसिंग होते हैं. 

असम, नागालैंड और मणिपुर में एक्टिव उग्रवादी संगठन ही हथियारों का इस्तेमाल और तस्करी कर रहे हैं. 

उग्रवादी संगठनों में ये नाम शामिल 

  • नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM)
  • यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA)
  • नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB)
  • मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (MPLF) 
  • मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA)
  • कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KNO) 
  • कुकी संगठन
  • उल्फा -आई (ULFA-I)

मणिपुर पुलिस ने बांग्लादेश बॉर्डर पर कार्रवाई की थी. यहां से चीन नेशनल फ्रंट (CNA) के एक नेता समेत 5 तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से बरामद अवैध हथियार और गोली की बड़ी खेप को जब्त किया. इस कार्रवाई के तहत कुल 6 पीस AK-47, 13 मैगजीन और 10 हजार गोली बरामद की गई थी. 

एजेंट के जरिए होती है डील

भारत से हथियार खरीदने वाले उग्रवादी संगठनों और म्यांमार में बैठे अवैध हथिायार के कारोबारियों के बीच एक एजेंट डील कराता है. ये डील बड़े पैमाने पर होती है. कीमत का भुगतान सबसे ज्यादा हवाला के जरिए होता है. फिर दूसरा माध्यम बिटकॉइन भी होता है. भारत के अंदर ये डील ज्यादातर कैश के जरिए ही होती है. हालांकि भारत में भी पेमेंट का बिटकॉइन मोड़ सामने आया था.

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AK-47 हथियार का इस्तेमाल आम लोग नहीं कर सकते. यह केवल सुरक्षा बलों और पुलिस के इस्तेमाल के लिए ही है, लेकिन बिहार में सिलसिलेवार कई लोगों के पास AK-47 बरामद हुई तो सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए. बाहुबली नेताओं, माफियाओं, अपराधी और छोटे-मोटे बदमाश भी AK-47 का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. फिलहाल NIA की कार्रवाई जारी है आरोपियों से पूछताछ के बाद पूरी सप्लाई चेन पर ही वार की तैयारी हो रही है. 

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