RBI का बड़ा फैसला, Repo Rate 5.5% पर बरकरार, लोन सस्ता होने की उम्मीद खत्म
RBI ने रेपो रेट को जस का तस बनाए रखा है ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जा सके और महंगाई पर भी काबू पाया जा सके.
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RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की ताजा बैठक में यह तय किया गया है कि फिलहाल रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. यानी, इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस निर्णय पर सभी सदस्यों ने सहमति जताई है. रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंक को पैसा उधार देता है. इस दर के बढ़ने या घटने से होम लोन, कार लोन जैसी चीजों के दाम प्रभावित होते हैं. इस साल जून में RBI ने पहले ही 50 आधार अंक यानी आधा प्रतिशत की कटौती कर दी थी, लेकिन अब तक इस दर में कुल 1% की कमी हुई है.
देश की अर्थव्यवस्था में सुधार
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भले ही दुनिया भर में आर्थिक चुनौतियां बढ़ रही हैं, लेकिन भारत में इस साल अच्छी बारिश (मॉनसून) और कुछ और वजहों से पहले तीन महीनों में विकास दर बेहतर रही है. मौद्रिक नीति समिति ने इसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है कि अभी न तो ब्याज दरें बढ़ाई जाएं और न ही घटाई जाएं, बल्कि मौजूदा स्तर पर स्थिर रखा जाए. इस वित्त वर्ष में देश की जीडीपी यानी आर्थिक विकास दर लगभग 6.8% रहने का अनुमान है, जो पहले 6.5% बताया गया था.
महंगाई पर भी नजर
मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई को भी कम करने के लिए उठाए गए कदमों को देखा है. GST की दरों में कटौती और अन्य उपायों के चलते महंगाई के स्तर को इस साल 2.6% के करीब रहने का अनुमान है, जो पहले 3.1% था. हालांकि, कुछ विदेशों में टैरिफ यानी आयात-निर्यात पर टैक्स की बढ़ोतरी के कारण अगले कुछ महीनों में आर्थिक वृद्धि दर में थोड़ा धीमापन आ सकता है। इस वजह से, आरबीआई ने मौद्रिक नीति को तटस्थ यानी न कड़ा और न ढीला रखने का निर्णय किया है.
इस साल अब तक कितना बदलाव हुआ है?
इस साल जून 2025 में RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) की कटौती की थी, जो लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर थी. लेकिन अगस्त और अब अक्टूबर में कोई बदलाव नहीं किया गया. अगर पूरे साल की बात करें तो अब तक रेपो रेट में कुल मिलाकर 1% की कटौती की जा चुकी है, जिससे यह अब 5.5% पर आ गई है.
क्या होता है रेपो रेट और इसका असर?
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रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं जिस पर RBI देश के बैंकों को पैसे उधार देता है. जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देना शुरू कर सकते हैं. इससे लोन सस्ते हो जाते हैं और आम लोगों को फायदा मिलता है. इसी तरह, जब रेपो रेट बढ़ाया जाता है, तो लोन महंगे हो जाते हैं. इस बार RBI ने रेपो रेट को जस का तस बनाए रखा है ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जा सके और महंगाई पर भी काबू पाया जा सके.
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