Advertisement

शी जिनपिंग की सत्ता खतरे में? 75 साल के जनरल ने उड़ाई नींद, 15 दिनों से चीनी राष्ट्रपति के गायब होने की असली वजह सामने आई!

पिछले 2 हफ्ते से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गायब नजर आ रहे हैं. इस बीच न तो उनकी कोई तस्वीर नजर आई, न ही कोई बयान और न ही वह ब्रिक्स सम्मेलन में नजर आए. इस बीच उनकी अनुपस्थिति में सेना के एक 75 वर्षीय जनरल की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है, जो चीनी सेना के दूसरे सबसे बड़े अधिकारी हैं. ऐसे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि शी जिनपिंग के लिए वह खतरा बनते जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि कौन है वह शख्स जो चीन की सत्ता के करीब माने जा रहे हैं?

पिछले 15 दिनों से दुनिया भर की नजरें  चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर टिकी हुई है कि आखिर अचानक से वह कहां गायब हो गए? न तो वह चीनी मीडिया में नजर आ रहे हैं न ही उनका कोई बयान या उनकी तस्वीर नजर आ रही है. हैरानी की बात यह है कि पिछले 12 साल के अंदर ऐसा पहली बार हुआ है, जब शी जिनपिंग ब्रिक्स सम्मेलन में भी नजर नहीं आए. उनके अचानक से गायब होने के पीछे की कई बड़ी वजहें सामने आ रही है, लेकिन असल वजह और असल कहानी जो निकलकर सामने आई है, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि उनकी सत्ता अब खतरे में है. चीनी राष्ट्रपति के लिए एक 75 साल का शख्स लगातार खतरा बनता जा रहा है, यह PLA के नंबर 2 अधिकारी हैं. तो चलिए समझते है इसके पीछे की पूरी कहानी ? 

शी जिनपिंग की पार्टी में बदलाव की चर्चा

बता दें कि बीते 30 जून को पुलिस ब्यूरो की एक असामान्य बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी के संस्थापक ढांचे में बदलाव पर काफी देर तक चर्चा हुई. चीन की सरकारी एजेंसी Xinhua ने इस बैठक को रूटीन सुधार बताया, लेकिन जानकार इसे पॉवर ट्रांसफर का भी संकेत मान रहे हैं. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के लिए सिर्फ एक शख्स का नाम बार-बार सामने आ रहा है. वह है 75 वर्षीय जनरल झांग यूशिया, वर्तमान PLA के नंबर दो अधिकारी होने के साथ वह जिनपिंग के बाद सबसे प्रभावशाली शख्स माने जाते हैं.

कौन हैं झांग यूशिया जो शी जिनपिंग के लिए खतरा बन रहे? 

बता दें कि चीनी सशस्त्र बलों की कमान संभालने वाली एक संस्था है PLA, जिसके सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के पहले उपाध्यक्ष झांग यूशिया हैं. यह वही पद है, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ठीक नीचे आता है. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति या गैरमौजूदगी में झांग चीन के सबसे बड़े पद पर हैं. झांग युद्ध के अनुभवी जनरल हैं और 1979 के चीन वियतनाम युद्ध में भी हिस्सा ले चुके हैं. वह पुराने जनरल झांग जोंगशुन के बेटे हैं, वर्तमान और पूर्व में उनकी चीन की सेना और सत्ता में मजबूत पकड़ रही है.

जनरल झांग को मिला चीन के पुराने नेताओं का समर्थन

वर्तमान में चीन में जो भी घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, उसमें झांग की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है. उनको चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ और पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ जैसे पार्टी के अनुभवी नेताओं का समर्थन प्राप्त है. यह वही लोग हैं, जो शी जिनपिंग की सत्ता में केंद्रीकरण और उनके कई फैसलों से असहमत रहे हैं. इनमें हू जिंताओ वही नेता हैं, जिन्हें साल 2022 में पार्टी कांग्रेस के दौरान सार्वजनिक रूप से हॉल से बाहर ले जाया गया था. 

क्या है इस टकराव की पूरी कहानी? 

एक समय में झांग यूशिया जिनपिंग के काफी करीबी माने जाते थे, लेकिन PLA में भ्रष्टाचार और अंदरूनी सफाई के नाम पर शी ने अपने कई विश्वस्त अफसरों को हटाया और झांग की पकड़ उस दौरान कमजोर होती गई. ऐसे में शी जिनपिंग जब कमजोर पड़े हैं, तो उनकी स्थिति काफी मजबूत होती जा रही है. उनके लिए सबसे बड़ा फायदा है कि देश के अफसर के अलावा कई बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त है. दूसरी तरफ झांग अब शी के कई सैन्य रिफॉर्म्स को पलट रहे हैं, और पार्टी के भीतर वांग यांग जैसे पुराने चेहरों को वापस लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. वह ठीक वैसा ही कर रहे है, जिस सिस्टम को जिनपिंग ने 12 सालों में गढ़ा था.

सत्ता में कमजोर होते जा रहे हैं चीनी राष्ट्रपति

अगर देखा जाए तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब भी औपचारिक तौर पर राष्ट्रपति, पार्टी प्रमुख और सैन्य प्रमुख हैं, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम बताता है कि पर्दे के पीछे उनके कई विश्वस्त साथियों को हटाया जा रहा है. उनकी सत्ता की नींव डगमगाती नजर आ रही है. आपको बता दें कि साल 2023 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. जब विदेश मंत्री किन गांग और रक्षा मंत्री ली शांगफू भी महीनों तक लापता रहे थे और फिर अचानक चुपचाप से हटा दिए गए. वहीं शी जिनपिंग भी खुद दो हफ्ते से गायब हैं.

शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में झांग ने कई बैठकें की

इससे पहले मई में जब शी जिनपिंग दो हफ्तों तक लगातार अनुपस्थित रहे थे, तो उस दौरान झांग यूशिया ने CMC के अन्य टॉप जनरल्स लियू झेनली और झांग शेंगमिन के साथ कथित रूप से कई गोपनीय बैठकें कीं थी. इन बैठकों में झांग ने सेना पर अपनी पकड़ और मजबूत की. वहीं बीजिंग में हाल ही में एक देर रात सैन्य गश्त ने सबका ध्यान खींचा. इसको लेकर कई जानकारों का मानना है कि यह एक छोटा सा संकेत था कि सेना का नियंत्रण अब शी जिनपिंग के हाथों में नहीं है. बल्कि झांग यूशिया के पास है.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

अधिक →
अधिक →