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नहीं चल पाएगी ट्रंप की दादागिरी... मोदी और जिनपिंग की चीन में मौजूदगी के बीच पुतिन ने दे दिया मास्टर प्लान

रूस के राष्ट्रपति पुतिन रविवार को SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन के तियानजिन पहुंचे. उन्होंने कहा कि रूस और चीन ने ब्रिक्स देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा डालने वाले 'भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों' के खिलाफ एकजुट रुख अपनाया है. पुतिन ने मॉस्को और बीजिंग की वैश्विक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक में सुधार की दिशा में सहयोग पर भी जोर दिया.

31 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:55 AM )
नहीं चल पाएगी ट्रंप की दादागिरी... मोदी और जिनपिंग की चीन में मौजूदगी के बीच पुतिन ने दे दिया मास्टर प्लान
Vladimir Putin (File Photo)

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रविवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने रूस और चीन के बीच मजबूत साझेदारी और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एकजुट रुख की अहमियत पर जोर दिया. पुतिन ने कहा कि रूस और चीन ने ब्रिक्स देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा डालने वाले 'भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों' के खिलाफ साझा रणनीति अपनाई है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर शुल्क लगाने की धमकी दी थी.

वैश्विक चुनौतियों से निपटना हमारी प्राथमिकता: पुतिन

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' से बातचीत में कहा कि मॉस्को और बीजिंग महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने पर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिक्स संगठन की क्षमता को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत करना उनकी प्राथमिकता है. पुतिन के अनुसार, रूस और चीन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में सुधार के लिए भी समर्थन करते हैं. पुतिन की यह बातें सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को संदेश हैं कि अब ब्रिक्स के देश अमेरिकी दबाव में नहीं आने वाले, बल्कि नए रास्तों और नए विज़न पर काम करेंगे.

BRICS में कौन-कौन देश हैं शामिल

ब्रिक्स एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. हाल ही में सऊदी अरब, ईरान, इथियोपिया, मिस्र, अर्जेंटीना और संयुक्त अरब अमीरात इसके नए सदस्य बन चुके हैं. पुतिन का मानना है कि तियानजिन में होने वाला SCO शिखर सम्मेलन 10-सदस्यीय संगठन को नई गति देगा और समकालीन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की इसकी क्षमता को बढ़ाएगा.

पीएम मोदी से होगी पुतिन की मुलाकात

पुतिन ने कहा, "एससीओ शिखर सम्मेलन यूरेशियाई क्षेत्र में एकजुटता को बढ़ाने का अवसर है और इससे एक अधिक न्यायसंगत बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में मदद मिलेगी." उनके इस बयान से साफ संकेत मिलता है कि रूस और चीन मिलकर वैश्विक आर्थिक दबावों और प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं. शिखर सम्मेलन के दौरान, पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. दोनों नेताओं के बीच यह बैठक न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती देगी, बल्कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श का अवसर भी प्रदान करेगी. इसके अलावा, पुतिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी वार्ता करेंगे और द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित परेड में शामिल होंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन का यह कदम अमेरिका को स्पष्ट संदेश देने के बराबर है. उन्होंने यह दिखाया कि रूस और चीन वैश्विक आर्थिक दबावों के बावजूद ब्रिक्स और SCO जैसे मंचों पर एकजुट हैं. इसके साथ ही, दोनों देशों की यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं में सुधार और वैश्विक नीति निर्माण में संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी संकेत देती है.

निवेश परियोजनाओं के सुधार पर करेंगे काम: पुतिन

पुतिन ने कहा कि रूस और चीन के बीच सहयोग का केंद्र बिंदु ब्रिक्स सदस्यों के आर्थिक विकास को बाधित करने वाले प्रतिबंधों के खिलाफ साझा रुख अपनाना है. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश ब्रिक्स के बुनियादी ढांचे और निवेश परियोजनाओं में सुधार के लिए मिलकर काम करेंगे. यह पहल वैश्विक व्यापार और निवेश को नए सिरे से दिशा देने की क्षमता रखती है. इस शिखर सम्मेलन का महत्व सिर्फ आर्थिक मुद्दों तक ही सीमित नहीं है. SCO और ब्रिक्स जैसे मंचों पर नेताओं की बातचीत वैश्विक राजनीति में बहुध्रुवीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी निर्णायक भूमिका निभाती है. पुतिन का जोर इस बात पर है कि वैश्विक व्यवस्था को और अधिक न्यायसंगत और स्थिर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है.

ब्रिक्स देश हो रहे एकजुट

विश्लेषकों के अनुसार, पुतिन और चीन के बीच इस तरह का स्पष्ट और संयुक्त रुख यह दिखाता है कि वैश्विक आर्थिक दबावों और नीतिगत प्रतिबंधों के समय भी ब्रिक्स और SCO सदस्यों का सहयोग मजबूत है. यह न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाता है, बल्कि वैश्विक बहुध्रुवीय व्यवस्था में नई गतिशीलता लाने की संभावना भी बढ़ाता है. SCO और ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन केवल आर्थिक सहयोग का माध्यम नहीं हैं. ये संगठन वैश्विक राजनीति, सुरक्षा और आर्थिक नीतियों में संतुलन बनाने के मंच भी हैं. पुतिन का चीन आगमन और वहां दिए गए बयान इस बात का सबूत हैं कि रूस और चीन वैश्विक चुनौतियों के सामने अपने साझा रुख को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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बता दें कि इस शिखर सम्मेलन से यह भी उम्मीद की जा रही है कि ब्रिक्स और SCO देशों के बीच निवेश, व्यापार और सामाजिक-आर्थिक विकास के नए अवसर पैदा होंगे. पुतिन का संदेश साफ है, वैश्विक दबाव और भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों के बावजूद, रूस और चीन एकजुट हैं और ब्रिक्स देशों की सामूहिक शक्ति को मजबूत करना उनकी प्राथमिकता है.

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