भारत पर झूठ फैलाने वाले ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो की X ने खोल दी पोल, फैक्ट चेक करने को लेकर अब मस्क पर हुए आगबबूला
ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से केवल मुनाफाखोरी के लिए तेल खरीद रहा है. एक्स पर उनकी पोस्ट पर फैक्ट-चेक कम्युनिटी नोट लगने के बाद नवारो भड़क गए और एलन मस्क पर गलत सूचनाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. नोट में कहा गया कि भारत की तेल खरीद ऊर्जा सुरक्षा के लिए है और उसने कोई प्रतिबंध नहीं तोड़ा है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता और अपना दोस्त बताया. ट्रंप का यह बयान भारत के सख्त रुख और लगातार हो रही आलोचनाओं के बीच आया. हालांकि, उनके वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो को इतनी बात समझ नहीं आई कि राष्ट्रपति ट्रंप की अकड़ क्यों ढीली पड़ी. नवारो ने एक बार फिर भारत के रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर निशाना साधा. लेकिन इस बार उनकी पोस्ट पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने फैक्ट-चेक करते हुए कम्युनिटी नोट जोड़ दिया. इसके बाद नाराज नवारो भड़क उठे और एलन मस्क पर तीखा हमला बोल दिया.
मुनाफाखोरी के लिए तेल नहीं खरीद रहा भारत: एक्स
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए पीटर नवारो ने लिखा, 'भारत केवल मुनाफे के लिए रूस से तेल खरीदता है. आक्रमण से पहले उसने एक बूंद भी नहीं खरीदा था. भारत सरकार का स्पिन मशीन तेजी से चल रहा है. यूक्रेनियनों की हत्या बंद करो. अमेरिकी नौकरियां छीनना बंद करो.' उनका यह बयान अचानक नहीं आया. दरअसल, एक्स ने एक दिन पहले उनकी ही पोस्ट के नीचे फैक्ट चेक के तौर पर कम्युनिटी नोट जोड़ दिया था. इस नोट में कहा गया था कि भारत की रूसी तेल खरीद ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत है, न कि केवल मुनाफाखोरी के लिए. साथ ही यह भी बताया गया कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया है. यही नहीं, अमेरिका खुद भी रूस से कुछ वस्तुएं आयात करता है, जो उसके दोहरे रवैये को उजागर करता है. कम्युनिटी नोट से नाराज नवारो भड़क उठे और उन्होंने इसे प्रोपेगैंडा करार दिया. साथ ही एलन मस्क पर आरोप लगाया कि वे गलत सूचनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं.
Wow. @elonmusk is letting propaganda into people's posts. That crap note below is just that. Crap. India buys Russia oil solely to profiteer. It didn't buy any before Russia invaded Ukraine. Indian govt spin machine moving high tilt. Stop killing Ukranians. Stop taking… https://t.co/Uj1NMUrVOM
— Peter Navarro (@RealPNavarro) September 6, 2025
नवारो ने पहले भी लगाए हैं आरोप
यह पहली बार नहीं है जब नवारो ने भारत पर इस तरह के बयान दिए हों. वह पहले भी कई बार भारत को निशाना बना चुके हैं. उन्होंने यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' बताया था और यहां तक कहा था कि भारत 'क्रेमलिन की लॉन्ड्री' बन चुका है. ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में भी नवारो ने कहा था, 'शांति की राह आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर गुजरती है.' इन बयानों से यह साफ होता है कि नवारो लगातार भारत को यूक्रेन युद्ध में जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करते रहे हैं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी इन दलीलों को उतना महत्व नहीं मिला है जितना वे चाहते हैं.
भारत का कड़ा जवाब
भारत ने नवारो के ताजा आरोपों को खारिज करते हुए साफ संदेश दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने नवारो के गलत और भ्रामक बयानों को देखा है और उन्हें स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं. भारत अमेरिका के साथ अपने ठोस एजेंडे पर केंद्रित है और हमें विश्वास है कि यह रिश्ता आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ेगा.' भारत का यह रुख बताता है कि नई दिल्ली किसी भी दबाव की राजनीति से प्रभावित नहीं होने वाली. रूस से तेल खरीद को भारत ने हमेशा ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित से जोड़ा है. भारत ने बार-बार यह दोहराया है कि वह अपने नागरिकों की जरूरतों और आर्थिक मजबूती को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है.
अमेरिका की निराशा
इस पूरे विवाद के बीच अमेरिका के भीतर भी अलग-अलग सुर सुनाई दे रहे हैं. वाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने शुक्रवार को कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी व्यापार टीम भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर निराश हैं. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे सकारात्मक विकास की उम्मीद रखते हैं. इस बयान से साफ है कि अमेरिका भारत के फैसलों से पूरी तरह खुश नहीं है, लेकिन फिर भी वह रिश्तों को बिगाड़ने के मूड में नहीं दिखता.
क्या है असल मुद्दा?
भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है, बल्कि आम जनता को महंगे तेल के बोझ से भी बचा रहा है. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने हमेशा यह कहा है कि उसके फैसले उसकी राष्ट्रीय जरूरतों और हितों के अनुसार होते हैं.
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दूसरी ओर अमेरिका और उसके सहयोगी देश चाहते हैं कि रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए, ताकि वह यूक्रेन पर युद्ध न चला सके. ऐसे में भारत का रूस से तेल खरीदना उन्हें खटकता है. लेकिन यह भी सच है कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून या प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं किया है.
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