‘अब युद्ध बंद करो, वरना…’, अलास्का वार्ता से पहले ट्रंप का पुतिन को कड़ा अल्टीमेटम
रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं और हालात अब भी तनावपूर्ण हैं. 15 अगस्त को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होने वाली है, जिसे शांति प्रयासों के लिए अहम माना जा रहा है. बैठक से पहले ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर रूस युद्ध नहीं रोकता तो उसे टैरिफ, प्रतिबंध समेत “बहुत गंभीर” परिणाम भुगतने होंगे.
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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब चौथे साल में प्रवेश कर चुका है. तीन साल से अधिक समय से दोनों देश लगातार एक-दूसरे पर हमलावर हैं. कभी ड्रोन की गड़गड़ाहट तो कभी मिसाइल की बरसात यूक्रेन और रूस के आसमान पर जंग का यह साया लगातार मंडरा रहा है. कई देशों ने इस खूनी संघर्ष को रोकने की कोशिश की, लेकिन हर प्रयास नाकाम रहा. युद्धविराम पर सहमति आज तक नहीं बन सकी. ऐसे में कल यानी 15 अगस्त को अलास्का में एक अहम मुलाकात होने जा रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठकर इस युद्ध को खत्म करने पर बातचीत करेंगे. यह मीटिंग सिर्फ रूस और यूक्रेन के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि अगर यह सफल रही तो हजारों जानें बच सकती हैं. इस बीच मुलाकात से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर उसने यूक्रेन में जारी युद्ध नहीं रोका, तो उसे “बहुत गंभीर” परिणाम भुगतने होंगे.
ट्रंप का सख्त संदेश
अलास्का में होने वाली बैठक से ठीक पहले ट्रंप ने रूस को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है. वॉशिंगटन स्थित केनेडी सेंटर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कहा कि अगर रूस यूक्रेन में युद्ध रोकने के लिए सहमत नहीं होता, तो उसे “बहुत गंभीर” परिणाम भुगतने होंगे. जब एक रिपोर्टर ने पूछा कि अगर पुतिन बैठक के बाद भी युद्ध रोकने से इनकार करते हैं, तो क्या अमेरिका कोई कार्रवाई करेगा? ट्रंप ने बिना हिचक जवाब दिया–"हां, रूस को कड़े अंजाम भुगतने होंगे." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन नतीजों में आर्थिक टैरिफ, कड़े प्रतिबंध और अन्य कदम शामिल हो सकते हैं. ट्रंप के लहजे से साफ था कि इस बार वे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं.
दूसरी बैठक पर भी रहेगा जोर
ट्रंप ने कहा कि अलास्का में होने वाली यह पहली बैठक आगे के लिए एक “दरवाज़ा” खोलेगी. अगर यह सफल रही तो दूसरी बैठक तुरंत आयोजित की जाएगी, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भी शामिल होंगे. ट्रंप ने यहां तक कहा कि अगर दोनों देश चाहें तो वे खुद भी उस बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हैं. उनका कहना था, “मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि यह खून-खराबा रुके.”
"Will Russia face any consequences if Vladimir Putin does not agree to stop the war after your meeting on Friday?"@POTUS: "Yes, they will." pic.twitter.com/lLfbR0iHxj
— Rapid Response 47 (@RapidResponse47) August 13, 2025
बाइडेन पर सीधा हमला
इस मौके पर ट्रंप ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी वार किया. उन्होंने कहा, “यह संघर्ष बाइडेन की नीतियों का नतीजा है. अगर मैं राष्ट्रपति होता तो हम इस हालत में होते ही नहीं. लेकिन अब मैं आया हूं इसे ठीक करने.” ट्रंप का यह बयान अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर बहस को तेज कर सकता है, क्योंकि यूक्रेन संकट पर अमेरिका की भूमिका हमेशा विवादों में रही है.
शांति का संदेश और पूर्व की उपलब्धियां
ट्रंप ने अपने संबोधन में शांति का संदेश भी दिया. उन्होंने दावा किया कि पिछले छह महीनों में उन्होंने पांच बड़े युद्ध रोके हैं. इसके अलावा, उन्होंने ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह खत्म करने का भी ज़िक्र किया. उनका कहना था, “अगर इस संघर्ष को रोककर हम कई जान बचा सकते हैं, तो इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती.”
यूरोपीय नेताओं की नजर भी अलास्का पर
ट्रंप के बयान से ठीक पहले उन्होंने यूरोपीय नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक भी की थी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने इस दौरान कहा कि ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्धविराम को अपनी प्राथमिकता में रख रहे हैं. वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन “ब्लफ” कर रहे हैं और यूक्रेन पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि रूस पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने में सक्षम दिख सके.
Excellent meeting today with our European partners and President Trump, ahead of his upcoming meeting with President Putin on August 15 in Alaska.
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) August 13, 2025
Unity and strong alignment with our allies on the priorities:
→ Nothing about Ukraine should be decided without the Ukrainians.… pic.twitter.com/DqGAfDd9fs
रूस की रणनीति
वर्तमान में रूस यूक्रेन के लगभग 1,14,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है, जो यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का करीब 19 फीसदी है. इसमें क्रिमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क और कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं. रूस चाहता है कि युद्ध की मौजूदा स्थिति को स्थायी कर दिया जाए, ताकि वह इन इलाकों पर अपना नियंत्रण बरकरार रख सके. रूस का तर्क है कि ये इलाके ऐतिहासिक रूप से उसके हैं, जबकि यूक्रेन इसे साफ तौर पर खारिज करता है. राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि वे अपने नियंत्रण वाले किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि यह न केवल असंवैधानिक होगा, बल्कि भविष्य में रूस के लिए फिर से आक्रमण करने का बहाना भी बन जाएगा.
दुनिया की उम्मीदें अलास्का बैठक से जुड़ी
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार मानते हैं कि अलास्का में होने वाली यह बैठक युद्धविराम की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है. हालांकि, चुनौतियां कम नहीं हैं. पुतिन के लिए अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ना राजनीतिक रूप से मुश्किल है, वहीं यूक्रेन के लिए अपनी ज़मीन छोड़ना राष्ट्रीय अस्मिता का सवाल है.
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बता दें कि ट्रंप की सख्त चेतावनी और वार्ता की पहल ने हालात में नई हलचल जरूर पैदा की है. अब पूरी दुनिया की नजरें इस मुलाकात पर टिकी हैं. क्या यह बैठक दुनिया को एक नई शांति का रास्ता दिखाएगी या फिर यह भी कई असफल प्रयासों की तरह इतिहास में दर्ज हो जाएगी, इसका जवाब 15 अगस्त को मिलना शुरू होगा.
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