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आपस में भिड़े शिया और सुन्नी सांसद, जमकर चले लात-घूंसे और जूते... इराक की संसद में हंगामे का VIDEO वायरल

इराक की संसद में मंगलवार को भारी हंगामा हुआ जब शिया और सुन्नी सांसदों के बीच संघीय सेवा और राज्य परिषद के उम्मीदवारों को लेकर विवाद बढ़ते-बढ़ते हाथापाई में बदल गया. इस दौरान सुन्नी सांसद राद अल-दहलाकी पर हमला हुआ और उनकी आंख में चोट आई. संसद अध्यक्ष महमूद अल-मशहदानी की गैरहाजिरी में सत्र चला, लेकिन मामला पूरी तरह अराजक हो गया.

07 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
07:18 AM )
आपस में भिड़े शिया और सुन्नी सांसद, जमकर चले लात-घूंसे और जूते... इराक की संसद में हंगामे का VIDEO वायरल
Image: Gemini AI

इराक की राजधानी बगदाद से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने देश की राजनीतिक अस्थिरता और गहराते सांप्रदायिक तनाव को फिर से उजागर कर दिया है. मंगलवार को इराक की संसद में कुछ ऐसा हुआ जिसने वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. संसद के भीतर सांसदों के बीच सिर्फ बहस नहीं हुई बल्कि हाथापाई, गाली-गलौच और एक-दूसरे पर जूता फेंकने की घटना हुई.

क्यों हुआ संसद में हाथापाई?

दरअसल, यह घटना उस वक्त हुई जब संसद में संघीय सेवा और राज्य परिषद के पदों के लिए वोटिंग हो रही थी. ये पद बेहद अहम माने जाते हैं क्योंकि इनके जरिए सरकारी सेवाओं और कानूनी सलाह के स्तर पर नियुक्तियां होती हैं. आमतौर पर ऐसे पदों को लेकर शिया और सुन्नी राजनीतिक गुटों के बीच पहले से सहमति बनती रही है ताकि संतुलन बना रहे. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तकद्दुम गठबंधन के कुछ सुन्नी सांसदों ने शिया गुटों के साथ मिलकर इन दोनों पदों पर केवल शिया उम्मीदवारों के लिए मतदान कर दिया. इस फैसले से संसद के भीतर मौजूद सुन्नी सांसदों का गुस्सा फूट पड़ा. उनका मानना था कि यह वोटिंग एकतरफा और राजनीतिक सहमति के खिलाफ है.

पहले संसद के स्पीकर ने किया विरोध 

सबसे पहले इस फैसले का विरोध स्पीकर महमूद अल-मशहदानी ने किया. उन्होंने न केवल संसद से वॉकआउट किया बल्कि कहा कि यह फैसला सुन्नी समुदाय के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है. स्पीकर के बाहर जाते ही संसद में अराजकता फैल गई. इसके बावजूद प्रथम उपसभापति मोहसिन अल-मंडलावी की अध्यक्षता में सत्र चलता रहा. लेकिन माहौल बिगड़ चुका था. तनाव उस वक्त अपने चरम पर पहुंच गया, जब शिया सांसद अला अल-हैदरी ने एक घिनौनी सांप्रदायिक गाली दे दी. यह टिप्पणी सीधी सुन्नी सांसद राद अल-दहलाकी की ओर थी. देखते ही देखते दोनों गुटों के सांसद आमने-सामने आ गए. हाथापाई शुरू हो गई. आरोप है कि लगभग 50 सांसदों ने मिलकर राद अल-दहलाकी पर हमला कर दिया. उन्हें बुरी तरह पीटा गया. उनकी आंख में गंभीर चोट आई है.

हमले का वीडियो हो रहा वायरल 

इस हमले का वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे संसद हॉल में सांसद एक-दूसरे पर टूट पड़े. कुर्सियां हिलने लगीं, जूते चले और गालियों की बौछार होने लगी. इस बीच कुछ सांसद बीच-बचाव करते नजर आए लेकिन भीड़ बेकाबू हो चुकी थी. एक चश्मदीद सूत्र ने इराकी न्यूज़ एजेंसी अल-साआ से बातचीत में बताया कि तकद्दुम गठबंधन और अन्य सुन्नी दलों के सांसद पूरी तरह असहाय नजर आए. कोई भी आगे नहीं आया. सिर्फ एक सुन्नी सांसद महमूद अल-कैसी ने बहादुरी दिखाई और भीड़ के बीच जाकर राद अल-दहलाकी को बचाने की कोशिश की.

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब इराकी संसद में इस तरह की हिंसा हुई हो. मई 2024 में भी संसद अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सांसदों के बीच हाथापाई हुई थी. उस समय यह पद छह महीने से खाली था. तब भी यही दो गुट  शिया और सुन्नी आमने-सामने थे. इराक में लंबे समय से सत्ता को लेकर इन दोनों समुदायों के बीच तनातनी चल रही है. और यह झगड़ा अब संसद जैसे सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्थान में भी खुलकर सामने आ रहा है. इराक की सामाजिक और धार्मिक संरचना को समझना भी जरूरी है. इराक एक शिया बहुल मुस्लिम देश है. यहां की जनसंख्या का लगभग 55 से 65 प्रतिशत हिस्सा शिया मुसलमानों का है. वहीं सुन्नी मुसलमानों की आबादी भी 35 से 40 प्रतिशत के बीच है. दोनों समुदायों के बीच सत्ता और संसाधनों के बंटवारे को लेकर वर्षों से विवाद रहा है.

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बताते चलें कि इराक की संसद में हुई इस घटना को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती हैं बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव को भी हवा देती हैं. जब संसद के भीतर इस तरह की अराजकता होती है, तो आम जनता का भरोसा राजनीतिक व्यवस्था से उठने लगता है. इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि इराक में राजनीतिक स्थिरता अभी भी एक दूर का सपना है. चुनाव, नियुक्तियां, पदविभाजन सब कुछ सांप्रदायिक चश्मे से देखा जा रहा है. और जब तक ऐसा होता रहेगा, तब तक इस देश का भविष्य अनिश्चित बना रहेगा.

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