Advertisement

Woke AI पर राष्ट्रपति ट्रंप ने लगा दिया बैन, भारत पर इस आदेश का क्या प्रभाव पड़ेगा, जानिए

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी एजेंसियों में "Woke AI" के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है. यह कदम न केवल अमेरिका की आंतरिक नीतियों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक AI नीति-निर्माण पर भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता है.

24 Jul, 2025
( Updated: 24 Jul, 2025
06:30 PM )
Woke AI पर राष्ट्रपति ट्रंप ने लगा दिया बैन, भारत पर इस आदेश का क्या प्रभाव पड़ेगा, जानिए
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी एजेंसियों में वोक (Woke) AI के उपयोग पर रोक लगाने का एक कड़ा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर दिया है. अपने आदेश में ट्रंप ने आरोप लगाया है कि ऐसे AI से फैक्ट्स प्रभावित होते हैं. ट्रंप ने अपने आदेश में कहा, कई AI सिस्टम्स विविधिता, समानता, समावेशन (डाइवर्सिटी, इक्विटी, इंक्लूजन यानी डीईआई) जैसे वैचारिक एजेंडों से प्रभावित हैं, जिससे इतिहास, विज्ञान और तथ्यों की विश्वसनीयता पर आंच आती है." आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब से एजेंसियां केवल उन्हीं लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) को खरीद सकेंगी जो सत्य और वैचारिक तटस्थता के दो सिद्धांतों का गंभीरता से पालन करेंगे.
 
आदेश की प्रमुख बातें
- AI को वैचारिक तटस्थ बनाना जरूरी: ट्रंप प्रशासन के अनुसार, AI मॉडल्स को केवल सच्चाई और वस्तुनिष्ठता के आधार पर जवाब देने चाहिए. उन्हें किसी विचारधारा, जैसे DEI, को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए.
- अनुबंध में सख्ती: नए आदेश के अनुसार, LLM विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मॉडल Unbiased एआई प्रिंसिपल का पालन करें, वरना उनका अनुबंध रद्द किया जा सकता है और decommissioning कॉस्ट भी उन पर ही डाला जाएगा.
 
इसके साथ ही ट्रंप ने ये भी दावा किया कि उनका देश दुनिया का उन्नत AI ढांचा तैयार करेगा. उन्होंने कहा, " मेरा प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव साधन का उपयोग करेगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका पृथ्वी पर कहीं भी सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली और सबसे उन्नत AI बुनियादी ढांचे का निर्माण और रखरखाव कर सके."
 
Woke का मतलब
वोक शब्द मूल रूप से एक सकारात्मक सामाजिक शब्द था, जिसका मतलब- सामाजिक अन्याय, नस्लवाद, लैंगिक भेदभाव, अलगाववाद जैसे मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करना है, लेकिन हाल के वर्षों में इसका अर्थ और इस्तेमाल बदल चुका है. ये शब्द इन दिनों खुद को पोलिटिकली करेक्ट साबित करने की कोशिश के तहत किया जाता है.
 
Woke की आलोचना क्यों?
- ये ऐतिहासिक तथ्यों की जगह सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देता है.
- विचारों की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप लाता है.
- AI जैसे तकनीकी माध्यमों में भी आदर्शवाद थोपता है.
 
भारत के लिए अहम है आदेश
भारत में भी AI टूल्स पर नैतिक और वैचारिक दखल पर चर्चा तेज हो रही है. अमेरिका का यह आदेश दिखाता है कि अब सवाल केवल तकनीकी दक्षता का नहीं, बल्कि किस विचारधारा से प्रशिक्षित हुआ AI है का भी है. इसके साथ ही एक बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या AI को पूरी तरह वैचारिक रूप से तटस्थ बनाया जा सकता है? अगर हाँ, तो इसका निर्धारण कौन करेगा?
 
पिछले कुछ वर्षों में भारत में Woke संस्कृति, उदारवादी पूर्वाग्रह, और राष्ट्रवाद बनाम वैश्विकतावाद जैसे मुद्दों ने डिजिटल नीतियों और सार्वजनिक विमर्श को गहराई से प्रभावित किया है. ऐसे माहौल में अमेरिका द्वारा हाल ही में घोषित की गई AI नीति भारत के लिए भी बहस का एक अहम मुद्दा बन सकती है. डोनाल्ड ट्रंप का यह आदेश महज एक तकनीकी दस्तावेज़ नहीं है—यह वैश्विक AI नीति निर्माण की दिशा और उसके पीछे की विचारधारा को पुनर्परिभाषित करने वाला एक राजनीतिक वक्तव्य भी है. अब सवाल यह नहीं रह गया कि AI कितना 'स्मार्ट' है, बल्कि यह है कि वह किस वैचारिक दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.
 
 

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें