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चीन में जीनपिंग के बाद चोटी के नेता माने जाने वाले शख्स से मिले PM मोदी, आखिर कौन है ये व्यक्ति?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के सचिवालय पहुंचे और महासचिव कै क्यू से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने भारत–चीन सहयोग को मजबूत बनाने पर चर्चा की.

31 Aug, 2025
( Updated: 31 Aug, 2025
10:53 PM )
चीन में जीनपिंग के बाद चोटी के नेता माने जाने वाले शख्स से मिले PM मोदी, आखिर कौन है ये व्यक्ति?
Source: Social Media

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के सचिवालय पहुंचे और पार्टी के महासचिव कै क्यू से मुलाकात की. कै क्यू, सत्तारूढ़ पार्टी की पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य हैं। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत–चीन सहयोग को और मजबूत बनाने पर विचार-विमर्श किया.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) चीन का सत्तारूढ़ राजनीतिक दल है, जिसकी स्थापना 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के साथ हुई थी. सीसीपी आज भी पीआरसी की संस्थापक और प्रमुख राजनीतिक ताकत बनी हुई है.

किन मुद्दों पर हुई बातचीत?

सचिवालय की मुलाकात से पहले, प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानजिन में द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान मोदी ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. वहीं, शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं हैं और दोनों देशों की जिम्मेदारी है कि वे अपने लोगों की भलाई और वैश्विक समाज की प्रगति के लिए सुधार करें. शी जिनपिंग ने बातचीत में ड्रैगन और हाथी की प्रतीकात्मक तुलना करते हुए कहा कि “दुनिया बड़े बदलावों से गुजर रही है और ऐसे समय में दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में सहयोगी बनना चाहिए।” यह पीएम मोदी और शी जिनपिंग की लगभग सात साल बाद पहली द्विपक्षीय वार्ता थी. गलवान झड़प के बाद यह पहला मौका है जब पीएम मोदी चीन पहुंचे. मोदी यहां एससीओ समिट में हिस्सा लेने आए हैं, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता शामिल हैं.

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बताते चलें कि इस बैठक और द्विपक्षीय वार्ता को दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं बल्कि भविष्य में भारत–चीन आर्थिक, रणनीतिक और वैश्विक स्तर पर सहयोग को बढ़ाने की संभावनाओं का संकेत देती है. एससीओ समिट में दोनों नेताओं की यह बातचीत न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी दोनों देशों की साझेदारी को नया आयाम दे सकती है.

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