ट्रंप के जख्म पर नोबेल विजेता मचाडो ने लगाया मरहम! अमेरिकी राष्ट्रपति को समर्पित किया Peace Prize
मारिया कोरिना मचाडो ने शुक्रवार को अपना नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की जनता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करने का ऐलान किया, इसके पीछे उन्होंने वेनेजुएला की जनता और ट्रंप का देश के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को निर्णायक समर्थन देना बताया.
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शांति के लिए नोबेल पाइज पाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एड़ी चोटी का दम लगा दिया, लेकिन उनका ये सपना तब चकनाचूर हो गया जब पीस प्राइज वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया माचोडो को मिल गया. ट्रंप को इससे निराशा हाथ लगी. लेकिन भले ही ट्रंप नोबेल पाने में फेल रहे हों, पर अब मारिया माचोडो ने एक ऐसी पहल की जिससे ट्रंप को शांति मेल जाएगी.
मारिया कोरिना मचाडो ने शुक्रवार को अपना नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की जनता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करने का ऐलान किया, इसके पीछे उन्होंने वेनेजुएला की जनता और ट्रंप का देश के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को निर्णायक समर्थन देना बताया.
ट्रंप के लिए क्या बोलीं मारिया कोरिना?
मारिया ने पुरस्कार जीतने के बाद एक्स पर लिखा, “मैं यह पुरस्कार वेनेजुएला के पीड़ित लोगों और राष्ट्रपति ट्रंप को हमारे मकसद के लिए उनके खास समर्थन के लिए समर्पित करती हूं!”
साथ ही मारिया ने आगे कहा कि हम जीत की दहलीज पर हैं और आज, पहले से कहीं ज़्यादा, हम राष्ट्रपति ट्रंप, अमेरिका की जनता, लैटिन अमेरिका की जनता और दुनिया के लोकतांत्रिक देशों पर स्वतंत्रता और लोकतंत्र हासिल करने के लिए अपने प्रमुख सहयोगियों के रूप में भरोसा करते हैं.
बता दें मारिया पिछले एक साल से वेनेज़ुएला की सरकार के निशाने पर हैं, मारिया ने चुनावों में सत्तावादी वामपंथी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर धांधली का आरोप लगाया है.
क्यों मिला मारिया मचोडा को नोबेल?
मारिया को नोबेल पीस प्राइस अपने देश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष करने के लिए मिला है. उन्होंने अंहिसा के दम पर तानाशाही शासन को खत्म करने की मुहिम चलाई थी. इसके साथ ही मारिया ने वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने की लंबी लड़ाई भी लड़ी.
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मारिया को नोबेल शांति पुरस्कार देने पर नोबेल समिति ने कहा कि, आज जब दुनिया के कई हिस्सों में तानाशाही बढ़ रही है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, ऐसे समय में मारिया मचाडो जैसे लोगों की हिम्मत उम्मीद जगाती है. समिति ने कहा, लोकतंत्र ही स्थायी शांति की शर्त है. जब सत्ता हिंसा और डर के जरिए जनता को दबाने लगती है, तो ऐसे साहसी लोगों को सम्मान देना जरूरी हो जाता है.
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