'सिर पर बंदूक रखकर कोई डील नहीं करा सकता...', पीयूष गोयल ने बर्लिन में दी US को दो टूक चेतावनी, कहा- हम मजबूर नहीं हैं
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत किसी दबाव में आकर नहीं, बल्कि विश्वास और दीर्घकालिक साझेदारी के आधार पर व्यापार करता है. बर्लिन ग्लोबल डायलॉग में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जल्दबाजी या डेडलाइन पर कोई डील नहीं करेगा. उन्होंने यूरोपीय देशों के दोहरे रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा, चाहे मामला रूस से संबंधों का ही क्यों न हो.
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण आई दूरी फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है. ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बावजूद, भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश की अर्थव्यवस्था अब मजबूत है और कोई भी फैसला किसी दबाव में आकर नहीं लिया जाएगा.
हम डेडलाइन पर डील नहीं करते: पीयूष गोयल
भारत के इस रूख को एक बार फिर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित बर्लिन ग्लोबल डायलॉग (Berlin Global Dialogue) के दौरान दोहराया. उन्होंने कहा कि भारत किसी भी व्यापार समझौते (Trade Deal) में जल्दबाजी नहीं करेगा. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “हम अमेरिका से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन हम किसी डील में जल्दबाजी नहीं करते. हम डेडलाइन या सिर पर बंदूक रखकर समझौते नहीं करते.”
भारत दीर्घकालिक साझेदारी चाहता है: पीयूष गोयल
भारत अब वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ अपनी आर्थिक नीति रख रहा है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में स्पष्ट कहा कि भारत व्यापार को किसी दबाव या शर्त के रूप में नहीं, बल्कि विश्वास और दीर्घकालिक साझेदारी के नजरिए से देखता है. उन्होंने यूरोपीय देशों के दोहरे रवैये पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत किसी से यह नहीं मानेगा कि वह किसी तीसरे देश से संबंध न रखे, चाहे वह रूस ही क्यों न हो. गोयल ने कहा कि भारत आज मजबूती के दौर में है और अब किसी के दबाव में निर्णय लेने का वक्त नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत वैश्विक व्यापार में अपनी शर्तों पर भागीदारी करेगा, न कि दूसरों की नीतियों पर चलकर.
भारत-अमेरिका व्यापारिक तनाव बरकरार
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर गतिरोध अभी भी जारी है. अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी तक ऊंचे शुल्क लगाए हैं और रूसी तेल की खरीद पर 25 फीसदी टैक्स लगाया है. इसके बावजूद, पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और भारत एक न्यायसंगत और संतुलित समझौते की दिशा में काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि हाल ही में भारतीय वाणिज्य सचिव ने अमेरिका का दौरा किया और अपने समकक्षों से मुलाकात की है. हालांकि, जीएम (Genetically Modified) कृषि उत्पादों और अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों को लेकर मतभेद अब भी बने हुए हैं.
ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का अडिग रुख
रूस से सस्ते तेल की खरीद को लेकर पश्चिमी देशों के दबाव पर भी भारत ने अपना रुख दोहराया है. गोयल ने कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और सस्ते तेल की खरीद कोई राजनीतिक फैसला नहीं बल्कि आर्थिक जरूरत है. उन्होंने साफ कहा कि भारत अपने नागरिकों और उद्योगों को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण कुछ भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल की खरीद में कटौती करने की तैयारी में हैं, फिर भी भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा.
भारत-यूरोपीय संघ FTA में अड़चनें बरकरार
भारत और यूरोपीय संघ के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर बातचीत अब अंतिम चरण में है, लेकिन मतभेद अभी भी बने हुए हैं. यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत लक्जरी कारों, वाइन, मीट और स्पिरिट्स पर आयात शुल्क कम करे. वहीं भारत चाहता है कि उसके श्रम-प्रधान उद्योग जैसे कपड़ा, ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स को यूरोपीय बाजार में शुल्क-मुक्त प्रवेश मिले. सबसे बड़ी चुनौती यूरोप का कार्बन टैक्स है, जो 2026 से स्टील, सीमेंट और एल्युमिनियम पर लागू होगा. गोयल ने दो टूक कहा कि भारत किसी भी ऐसी नीति को स्वीकार नहीं करेगा जो उसके उद्योगों के लिए असमान प्रतिस्पर्धा पैदा करे.
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बता दें कि भारत का यह रुख साफ करता है कि अब देश वैश्विक व्यापार में शर्तों के नहीं, साझेदारी के दौर में प्रवेश कर चुका है. सरकार का संदेश स्पष्ट है– भारत अब किसी के दबाव में नहीं, बल्कि अपने हितों और सम्मान के साथ आगे बढ़ेगा.
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