नेतन्याहू का मिशन 'ट्रिपल H' पूरा... महीनों की तैयारी, सटीक इंटेल, अचूक वार...मोसाद ने एक झटके में खत्म कर दी विद्रोहियों की सरकार
हूतियों ने यमन में दोहराई ईरान वाली गलती, महीनों की तैयारी, खुफिया इंफो, सटीक निशाना...मोसाद ने एक झटके में खत्म की विद्रोहियों की सरकार, मिशन ट्रिपल H का नेतन्याहू का ख्वाब पूरा, रील नहीं, रियल है पूरी स्टोरी, पढ़कर दंग रह जाएंगे.
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इजरायल की जासूसी एजेंसी मोसाद का नाम सुनते ही दुश्मनों की रूह कांप जाती है. उसने इतिहास में अपने देश के दुश्मनों का खात्मा चुन-चुनकर किया है, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हों, किसी भी बिल में छुपे हों. इस बार भी उसने वैसा ही काम किया, जिसके बाद से पूरी दुनिया हैरान है. ईरान के बनाए कथित सीक्रेट “ट्रिपल H” नेटवर्क की आखिरी कड़ी हूती विद्रोहियों की टॉप लीडरशिप को मोसाद ने कुछ ही मिनटों में मिट्टी में मिला दिया. यमन की राजधानी सना में हुए इस सीक्रेट ऑपरेशन ने हूती प्रधानमंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक को खत्म कर दिया और विद्रोही सरकार की रीढ़ तोड़कर रख दी. ये ठीक उसी तरह का ऑपरेशन था जिस तरह बीते दिनों ईरानी IRGC के जनरलों, परमाणु वैज्ञानिकों का खात्मा तेहरान में किया गया था.
मोसाद ने फिर साबित कर दिया कि दुश्मनों को मिटाने में उसका कोई सानी नहीं. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लंबे समय से पाले गए सपने को एजेंसी ने अपनी सटीकता, रणनीतिक कौशल, और अचूक वार से साकार कर दिया. मुस्लिम देशों से चौतरफा घिरे दुनिया के एकमात्र यहूदी देश इजरायल के खात्मे के कथित इरादे से बनाए सीक्रेट खतरनाक गठजोड़ “ट्रिपल H” की आखिरी कड़ी को भी ध्वस्त कर दिया. इस ट्रिपल H में हमास, हिजबुल्ला और हूती विद्रोही शामिल थे. मोसाद ने यमन की राजधानी सना में ऐसा हमला किया जिसने हूती सरकार की टॉप लेवल लीडरशिप को एक झटके में समाप्त कर दिया.
महीनों की तैयारी, खुफिया सूचना और अचूक वार- ट्रिपल 'H' खत्म
खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह मिशन महीनों से तैयार हो रहा था. मोसाद के एजेंट्स ने सना में अपने नेटवर्क और तकनीकी निगरानी से पल-पल की सूचना इकट्ठा की. जैसे ही यह पुख्ता जानकारी मिली कि हूती सरकार के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और अन्य बड़े मंत्री एक ही इमारत में गुप्त बैठक कर रहे हैं, इजरायल ने ऑपरेशन को अंजाम देने में देर नहीं की. एफ-35 लड़ाकू विमान ने उस इमारत पर मिसाइलें दागीं और सेकेंडों में पूरा ढांचा मलबे में तब्दील हो गया. साथ ही हेरोन ड्रोन ने दूसरी लोकेशन पर हमला कर दिया, जहां रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख मौजूद थे.
हूती प्रधानमंत्री अहमद अल रहावी की मौत
इस हमले में मारे गए प्रमुख चेहरों में सबसे अहम नाम प्रधानमंत्री अहमद अल रहावी का है. उसे महज दस महीने पहले ही हूती सरकार का प्रमुख बनाया गया था. रहावी ने ईरान, हमास और हिजबुल्ला के साथ हूती विद्रोहियों का वैश्विक नेटवर्क खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. उसकी कूटनीतिक सक्रियता के चलते ही हूती आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी. रहावी का अंत विद्रोहियों की राजनीतिक ताकत को गहरी चोट पहुंचाने वाला साबित हुआ.
रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख भी खत्म
इसी ऑपरेशन में हूती सरकार का रक्षा मंत्री मुहम्मद नासिर अल अथाफी भी मारा गया. वह पिछले एक दशक से इजरायल विरोधी हमलों का बड़ा रणनीतिकार माना जाता था और ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से उसकी गहरी नजदीकी थी. अथाफी की अगुवाई में कई मिसाइल और ड्रोन हमले लाल सागर व इजरायल की सीमा तक किए गए थे.
सेना प्रमुख और चीफ ऑफ स्टाफ मुहम्मद अल गामरी भी इस हमले में ढेर हो गया. गामरी पर कुछ महीनों पहले भी हमला हुआ था लेकिन वह बच निकला था. उसका जिम्मा था सऊदी अरब, यूएई और लाल सागर के समुद्री मार्गों पर हमले का संचालन करना. गामरी की मौत से हूती विद्रोहियों की सैन्य शक्ति को करारा झटका माना जा रहा है.
*Eliminated:* Israeli media reports that among the Houthis leaders eliminated this afternoon were the Houthi president, defense minister, interior minister, chief of staff, and supreme leader.
— Israel Now (@neveragainlive1) August 28, 2025
The Houthis continue to deny that any of the individuals mentioned were eliminated. pic.twitter.com/Jz5DI4z50P
सीक्रेट बैठक और ईरान वाली गलती पड़ी भारी
यमन से आ रहीं मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह हमला उस वक्त हुआ जब प्रधानमंत्री रहावी और सरकार के मंत्री टीवी पर हूती नेता अब्दुल मलिक का संदेश सुनने के लिए एकत्रित हुए थे. अल मलिक का आदेश हूती विद्रोहियों के लिए सर्वोच्च माना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे ईरान में खमेनेई का. इसी दौरान फोन और गैजेट्स की लोकेशन एक जगह सक्रिय होने से मोसाद को उनकी मौजूदगी की पुष्टि हो गई. नतीजा यह हुआ कि मिनटों में पूरी नेतृत्व टीम मलबे में दफन हो गई.
इजरायल ने ईरान पर जून में अभूतपूर्व हमला किया, जिसमें ईरान के टॉप मिलिट्री लीडर्स और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे. ऐसा हमला करने के लिए सालों तक सावधानीपूर्वक खुफिया जानकारी इकट्ठा की गई थी. मोसाद ने हमला ईरान के अंदर से ही की थी. उन्हें ये तक पता था कि कौन-कौन एक बिल्डिंग में इकट्ठा हो रहे हैं और कहा पर. निशाना इतना सटीक था कि सिर्फ उसी अपार्टमेंट में रॉकेट दागे गए थे. ये भी हैरान करने वाली बात थी सारे जनरल और वैज्ञानिक एक ही जगह कैसे जमा हो गए जिन्हें खत्म करने में आसानी हुई. यही गलती हूतियों ने की और उन्हें इसका अजाम भुगतना पड़ा.
F-35, ड्रोन और मिसाइल के जरिए चौतरफा हमला
मोसाद की ओर से जुटाई गई सटीक जानकारी मिलते ही इजरायली सेना ने कार्रवाई शुरू कर दी. एफ-35 ने राजनीतिक नेतृत्व वाली इमारत को ध्वस्त कर दिया, जबकि हेरोन ड्रोन ने सैन्य कमांडर मौजूद दूसरी बिल्डिंग को टारगेट किया. दोनों हमले इतनी तेजी से हुए कि किसी को भागने का मौका तक नहीं मिला. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में हूती सरकार के 10 से ज्यादा मंत्री भी हलाक हो गए.
ढहा ईरान का ट्रिपल H का आखिरी किला
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हूती विद्रोही लंबे समय से इजरायल में मिसाइलें दाग रहे थे और लाल सागर में जहाजों पर हमले कर रहे थे. ईरान ने हमास, हिजबुल्ला और हूती को मिलाकर इजरायल के खिलाफ “ट्रिपल H” गठबंधन तैयार किया था. लेकिन इस ऑपरेशन के बाद यह गठजोड़ लगभग कमजोर पड़ गया है. प्रधानमंत्री रहावी, रक्षा मंत्री अथाफी और सेना प्रमुख गामरी की मौत को विद्रोहियों की रीढ़ टूटने जैसा माना जा रहा है.
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