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'मेरे दोस्त पुतिन...', ट्रंप की धमकियों ने और कर दी भारत-रूस की दोस्ती पक्की, PM मोदी की पुतिन से हुई फोन पर बात, दिया बड़ा न्यौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बातचीत की. बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन से जुड़े हालिया घटनाक्रमों की जानकारी दी. प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तारपूर्वक जानकारी साझा करने के लिए राष्ट्रपति पुतिन का आभार व्यक्त किया और भारत की यह स्थायी नीति दोहराई कि संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण संवाद और कूटनीति के माध्यम से होना चाहिए.

09 Aug, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
02:57 PM )
'मेरे दोस्त पुतिन...', ट्रंप की धमकियों ने और कर दी भारत-रूस की दोस्ती पक्की, PM मोदी की पुतिन से हुई फोन पर बात, दिया बड़ा न्यौता
Image: Narendra Modi / Vladimir Putin (File Photo)

रूस के साथ ऑयल-सैन्य ट्रेड को लेकर भारत पर बढ़ रहे दबाव और टैरिफ की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक महत्वपूर्ण और विस्तृत टेलीफोनिक बातचीत हुई है. इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, रूस-यूक्रेन संघर्ष की वर्तमान स्थिति और भविष्य में सहयोग को लेकर विस्तार से चर्चा की.

प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन से संबंधित हालिया घटनाक्रमों पर राष्ट्रपति पुतिन द्वारा साझा की गई जानकारियों के लिए आभार प्रकट किया. उन्होंने एक बार फिर भारत की नीति, 'संवाद, कूटनीति और शांति के मार्ग ' पर आधारित दृष्टिकोण को दोहराया.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का आमंत्रण भी दिया, और आशा व्यक्त की कि वे वर्ष 2025 के अंत में भारत की यात्रा पर आएंगे. दोनों नेताओं ने इस अवसर पर भारत-रूस संबंधों को और नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए मिलकर कार्य करने के संकल्प को भी दोहराया.

पीएम मोदी और पुतिन से की फोन पर बातचीत

बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में भारत की यह स्थायी नीति दोहराई कि संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण संवाद और कूटनीति के माध्यम से होना चाहिए. दोनों नेताओं ने भारत-रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई. साथ ही, आपसी द्विपक्षीय एजेंडे की प्रगति की समीक्षा भी की.

पीएम मोदी ने पुतिन दिया भारत आने का न्यौता

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने के लिए आमंत्रित किया है, जब 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर भी बातचीत की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से बहुत ही अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई. यूक्रेन को लेकर हालिया घटनाक्रम साझा करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया. हमने द्विपक्षीय एजेंडे की प्रगति की समीक्षा की और भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई. इस वर्ष के अंत में भारत में राष्ट्रपति पुतिन की मेजबानी की प्रतीक्षा है.”

6 दिसंबर, 2021 को आखिरी बार भारत आये थे रूस के राष्ट्रपति

बता दें कि रूस के राष्ट्रपति की आखिरी भारत यात्रा 6 दिसंबर, 2021 को हुई थी, जब वह 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आए थे.

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष रूस के दो अहम दौरे किए. जुलाई में उन्होंने 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया और फिर अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया. इन दौरों और बैठकों से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए निरंतर संपर्क में हैं.

रूस से संबंध तोड़ने का अमेरिका बढ़ा कहा दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर किए गए तीखे हमलों के बीच भारत सरकार ने बीते दिनों साफ कर दिया था कि रूस के साथ उसके संबंध किसी बाहरी दबाव से संचालित नहीं होते है और न होंगे. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि भारत अपने द्विपक्षीय रिश्ते अपने राष्ट्रीय हितों और स्वतंत्र नीति के आधार पर बनाता है, न कि किसी तीसरे देश की अनुमति या नजरिये से. इसके साथ ही मंत्रालय ने इशारों ही इशारों में ट्रंप और अन्य देशों को सलाह दी कि बाइलेटरल रिलेशन को इसे किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ब्रीफिंग में साफ-साफ शब्दों में कहा था कि अलग-अलग देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध हमारी शर्तों पर आधारित हैं और इसे किसी तीसरे देश के चश्मे से न देखा जाए और न ही इस कारण रिश्ते प्रभावित होने देना चाहिए." 

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'रूस के साथ हमारे टाइम टेस्टेड रिश्ते'
रूस के साथ संबंधों पर बात करते हुए विदेश मंत्रालय ने कूटनीतिक शब्दों में साफ कर दिया था कि हमारे बीच एक स्थिर और जांची-परखी (टाइम टेस्टेड) साझेदारी है." उन्होंने कहा कि किसी भी देश के साथ हमारे संबंध उसकी योग्यता पर आधारित हैं और उन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. 

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