800 से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल, मिसाइल से भी बरपा कहर, रूस ने यूक्रेन पर किया सबसे बड़ा हवाई हमला, कैबिनेट बिल्डिग भी धुआं-धुआं
रूस ने कीव पर सैकड़ों ड्रोन अटैक किए. हमले में 2 लोगों की मौत और 11 घायल हुए, जिनमें एक साल का बच्चा भी शामिल है. कीव की एक सरकारी इमारत में आग लगी और कई जिलों में ड्रोन का मलबा गिरा. इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की कोशिशें भी अब तक नाकाम रही हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों अपने शर्तों पर अड़े हैं.
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त कराने के लिए जहां लगातार वैश्विक प्रयास जारी हैं, वहीं दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमलों की गति और तेज कर दिया है. ताजा जानकारी के अनुसार, रूस ने एक बार फिर यूक्रेन की राजधानी कीव पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया है. इस हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में रूसी ड्रोन और मिसाइलों ने यूक्रेन की राजधानी कीव को निशाना बनाया.
मासूम बच्चे की हुई मौत
यूक्रेनी अधिकारियों ने जानकारी दी है कि रूस ने रविवार को सैकड़ों ड्रोन अटैक किए. इस हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हुई है और 11 लोग घायल हुए हैं. मृतकों में एक साल का बच्चा भी शामिल है, जिसका शव बचावकर्मियों ने मलबे से निकाला. इस दर्दनाक घटना ने युद्ध की विभीषिका को और गहरा कर दिया है. कीव नगर प्रशासन के प्रमुख तैमूर तकाचेंको ने बताया कि रूसी हमलों से कई आवासीय इलाकों को भी नुकसान पहुंचा है. मलबे के बीच लोगों को सुरक्षित निकालने का काम देर रात तक जारी रहा. वहीं, रूसी ड्रोन अटैक से कीव की एक सरकारी इमारत में भी आग लग गई, जिसे बुझाने के लिए दमकल विभाग को घंटों मशक्कत करनी पड़ी.
कीव में दहशत का माहौल
कीव के मेयर विटालि क्लिट्स्को ने कहा कि रूसी ड्रोन का मलबा स्वियातोशिन्स्की और डार्नित्स्की जिले में गिरा. इनमें से एक मलबा सीधे एक आवासीय इमारत पर गिरा, जिससे वहां रहने वाले लोग बुरी तरह घायल हो गए. हमले के बाद शहर भर में सायरन बजने लगे और लोग भूमिगत शेल्टर की ओर भागते दिखाई दिए. राजधानी की सड़कों पर दहशत का माहौल रहा.
युद्धविराम के प्रयास क्यों हो रहे नाकाम?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के लिए कई बार पहल की गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस दिशा में सक्रिय रहे हैं. बीते दिनों उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलास्का में मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से भी बातचीत की. लेकिन अब तक इन प्रयासों से कोई नतीजा नहीं निकला. दरअसल, समस्या यह है कि रूस और यूक्रेन दोनों ही अपने-अपने शर्तों पर अड़े हुए हैं. रूस चाहता है कि यूक्रेन कुछ क्षेत्रों पर उसके कब्जे को मान्यता दे. जबकि यूक्रेन इसके लिए तैयार नहीं है और अपनी संप्रभुता से किसी भी तरह का समझौता करने को इच्छुक नहीं है. यही वजह है कि युद्धविराम की कोशिशें अब तक असफल रही हैं.
युद्ध का बढ़ता पैमाना
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में कहा था कि सितंबर के पहले छह दिनों में ही रूस ने 1300 से ज्यादा ड्रोन अटैक किए हैं. इसके अलावा 900 गाइडेड हवाई बम और 50 से ज्यादा मिसाइलें भी दागी गई .। यह आंकड़ा बताता है कि युद्ध अब और ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है. हर दिन दर्जनों परिवार अपने घरों से बेघर हो रहे हैं. अस्पतालों में घायल लोगों की भीड़ बढ़ रही है. स्कूल और कॉलेज बंद हैं. बच्चे बंकरों में दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं. युद्ध का असर केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इसकी मार महसूस कर रही है.
वैश्विक राजनीति पर पड़ रहा असर
यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है. यूरोप से लेकर अमेरिका तक हर देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ रहा है. गैस और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, खाद्यान्न संकट और सुरक्षा चिंताएं अब वैश्विक समस्या बन चुकी हैं. यही वजह है कि दुनिया भर के देश चाहते हैं कि यह युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो. लेकिन सवाल यह है कि जब दोनों पक्ष अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं, तो शांति की राह आखिर कैसे निकलेगी.
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बताते चलें कि इस युद्ध को लेकर जानकारों का मानना है कि अगर यह युद्ध इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले महीनों में हालात और बिगड़ सकते हैं. यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से हथियार और मदद ले रहा है, जबकि रूस अपनी सैन्य शक्ति और बढ़ाने में जुटा है। ऐसे में यह संघर्ष लंबे समय तक खिंच सकता है.
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