'मैं टोक्यो पहुंच गया हूं...', जापान पहुंचते ही PM मोदी ने दिया बड़ा कूटनीतिक मैसेज, चीन को लेकर भी कही ऐसी बात कि चिढ़ जाएंगे ट्रंप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए टोक्यो पहुंचे, जहां हानेडा एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया गया. पीएम मोदी यह यात्रा दो चरणों में है. पहले वे जापान में रहेंगे और फिर चीन जाकर एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि यह दौरा भारत के हितों व वैश्विक सहयोग को मजबूत करेगा.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच चुके हैं. टोक्यो के हानेडा एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. प्रधानमंत्री मोदी इस बार दो अहम पड़ावों वाली विदेश यात्रा पर हैं. इसी कड़ी में सबसे पहले पीएम मोदी जापान पहुंचे हैं, इसके बाद वे चीन जाएंगे. जहां शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
दरअसल, मौजूदा वैश्विक हालात और अमेरिका संग भारत के रिश्तों में आए तनाव के बीच भारत की कूटनीति के लिहाज से यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी रवाना होने से पहले भरोसा जताया था कि यह दौरा न केवल भारत के हितों को मजबूत करेगा बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व सहयोग को भी नई दिशा देगा.
जापान दौरे पर क्या होगा खास
यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री मोदी 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे. यहां वे अपने जापानी समकक्ष शिगेरु इशिबा से मुलाकात करेंगे. दोनों नेताओं के बीच शिखर वार्ता होगी, जिसमें विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने पर जोर रहेगा. पीएम मोदी ने टोक्यो पहुंचने के बाद अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, “मैं टोक्यो पहुँच गया हूँ. भारत और जापान के बीच विकास सहयोग में निरंतर वृद्धि के बीच, मुझे उम्मीद है कि यह यात्रा प्रधानमंत्री इशिबा और अन्य नेताओं के साथ विचारों के आदान-प्रदान, मौजूदा साझेदारी को और मजबूत करने और नए सहयोग की संभावनाओं को तलाशने का अवसर प्रदान करेगी.” बता दें भारत और जापान की साझेदारी पिछले 11 वर्षों में लगातार मजबूत हुई है. हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना हो, तकनीकी सहयोग हो या रक्षा संबंध हर क्षेत्र में दोनों देशों ने अहम प्रगति की है. यही वजह है कि इस यात्रा को नए आयाम देने वाली यात्रा माना जा रहा है.
東京に到着しました。インドと日本が開発協力を引き続き強化する中、本訪問では石破総理をはじめとする方々と意見交換し、既存のパートナーシップを深化させ、新たな協力の可能性を探る機会となることを期待しています。@shigeruishiba pic.twitter.com/h4ZahMDIk2
— Narendra Modi (@narendramodi) August 29, 2025
आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर फोकस
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि जापान दौरे में आर्थिक और निवेश संबंधों को और विस्तार देने की कोशिश होगी. खासतौर पर एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन चुका है और जापान तकनीक का अग्रणी देश है. दोनों के बीच यह साझेदारी आने वाले समय में न केवल आर्थिक बल्कि तकनीकी शक्ति संतुलन को भी नई दिशा दे सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने इस यात्रा को भारत और जापान के सांस्कृतिक रिश्तों को और गहरा करने का अवसर भी बताया. सभ्यताओं का यह रिश्ता हजारों साल पुराना है. बौद्ध धर्म से लेकर आधुनिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक दोनों देशों की जड़ें आपस में जुड़ी रही हैं.
Over the next few days, will be in Japan and China to attend various bilateral and multilateral programmes. In Japan, will take part in the 15th Annual India-Japan Summit and hold talks with PM Shigeru Ishiba. The focus would be on deepening our Special Strategic and Global…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 2025
चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन
जापान यात्रा पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन के तियानजिन जाएंगे. वहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यह संगठन एशिया के कई बड़े देशों को एक मंच पर लाता है. भारत इसके सक्रिय और रचनात्मक सदस्य के रूप में कई नई पहल कर चुका है. चाहे वह हेल्थ सेक्टर हो, सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो या फिर इनोवेशन को बढ़ावा देना भारत ने हमेशा सकारात्मक भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत साझा चुनौतियों के समाधान और क्षेत्रीय सहयोग को गहराने पर फोकस करेगा. खासतौर पर आतंकवाद, आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत की भूमिका अहम रहेगी.
पीएम मोदी की चीन यात्रा और चिढ़ जाएंगे ट्रंप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के बाद चीन दौरे को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस दौरे से भारत और चीन के रिश्तों में नई दिशा मिलने की उम्मीद है. खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक राजनीति और व्यापारिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ का बोझ डाला था. इस कदम की चीन ने निंदा की थी. ऐसे में पीएम मोदी की चीन यात्रा को व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि इस दौरे में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने पर चर्चा होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा से भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव आ सकता है. आर्थिक और निवेश सहयोग को बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों पर भी दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना है. भारत ने अमेरिकी टैरिफ वार के आगे झुकने से साफ इनकार किया है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय विदेश नीति और चीन के साथ बढ़ते सहयोग से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नाराजगी बढ़ना तय माना जा रहा है.
वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. एशिया अब वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था का केंद्र बनता जा रहा है. भारत, जापान, चीन और रूस जैसे देशों के बीच संतुलन और सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अनिवार्य है. जानकारों की माने तो जापान और चीन दोनों के साथ पीएम मोदी की मुलाकातें भारत की विदेश नीति में नई दिशा तय करेंगी. एक तरफ तकनीकी और आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का मौका है तो दूसरी तरफ क्षेत्रीय सहयोग के बड़े मुद्दों पर चर्चा होगी.
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बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा सिर्फ औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है. यह भारत की विदेश नीति और वैश्विक भूमिका को मजबूत करने की बड़ी कवायद है. टोक्यो से तियानजिन तक का यह सफर भारत को न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया में एक जिम्मेदार और प्रभावशाली शक्ति के रूप में पेश करेगा. फिलहाल सबकी नजरें टोक्यो और तियानजिन में होने वाली बैठकों और वहां निकलने वाले नतीजों पर टिकी हैं. उम्मीद यही है कि यह यात्रा भारत के हितों को आगे बढ़ाने और वैश्विक सहयोग को मजबूत करने में ऐतिहासिक साबित होगी.
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