UK में एंटी-इमिग्रेशन को लेकर भारी बवाल... जानिए कौन हैं टॉमी रॉबिन्सन, जिनकी एक अपील ने लंदन की सड़कों पर खड़ा कर दिया लाखों लोगों का जनसैलाब
लंदन की सड़कों पर एंटी-इमिग्रेशन 'यूनाइट द किंगडम' मार्च में करीब 1.10 लाख लोग जुटे. प्रदर्शन का नेतृत्व विवादित एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन ने किया जिनका असली नाम स्टीफन याक्सली लेनन है. 41 वर्षीय रॉबिन्सन कई बार जेल जा चुके हैं और लंबे समय से इस्लाम, प्रवासियों व मीडिया के खिलाफ नाराजगी जताते रहे हैं.
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ब्रिटेन की राजधानी लंदन ने इस सप्ताह एक अलग नजारा देखने को मिला जब हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. हाथों में यूनियन फ्लैग और सेंट जॉर्ज क्रॉस के झंडे, और जुबां पर एंटी-इमिग्रेशन नारे. यह भीड़ एकजुट हुई थी 'यूनाइट द किंगडम' मार्च के बैनर तले, जिसका नेतृत्व कर रहा था कुख्यात एंटी-इमिग्रेशन एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिन्सन. अनुमान है कि इस मार्च में करीब 1 लाख 10 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं बल्कि ब्रिटेन की मौजूदा राजनीति और समाज में गहराते विभाजन की गवाही थी. इस प्रदर्शन को एलन मस्क ने भी अपना समर्थन दिया है.
कौन हैं टॉमी रॉबिन्सन?
41 वर्षीय टॉमी रॉबिन्सन का असली नाम स्टीफन याक्सली-लेनन है. उनका जीवन विवादों और अदालतों के चक्करों से भरा रहा है. रॉबिन्सन लंबे समय से इस्लाम, प्रवासियों और मुख्यधारा की मीडिया पर नाराजगी जताते रहा हैं. उन्होंने कई बार स्वीकार किया है कि समर्थकों से जुटाई गई आर्थिक मदद का बड़ा हिस्सा उन्होंने शराब और पार्टियों में खर्च कर दिया. इसके बावजूद, ब्रिटेन के एक बड़े तबके में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई.
इंग्लिश डिफेंस लीग से पहचान
2009 में रॉबिन्सन ने इंग्लिश डिफेंस लीग (EDL) की स्थापना की थी. यह एक ऐसा संगठन था जिसने सड़कों पर आंदोलनों और प्रदर्शनों के जरिए पहचान बनाई, लेकिन जल्द ही हिंसक झड़पों और फुटबॉल होलीगनिज्म से जुड़ गया. इस संगठन की पहचान मुस्लिम विरोधी बयानों और प्रदर्शनों से जुड़ी रही. उनकी छवि हमेशा एक ऐसे नेता की रही है जो प्रवासियों और खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर तीखे बयान देते रहे हैं.2013 में उन्होंने नेता पद से इस्तीफा दे दिया, हालांकि एक कार्यकर्ता और ऑनलाइन प्रचारक के रूप में वे लगातार सक्रिय रहे.
Massive Protest in England 🚨
— Mayank (@mayankcdp) September 13, 2025
A far right rally called "Unite the Kingdom" led by Tommy Robinson, took place in London, UK.
The march was framed around "free speech" and anti-immigration themes.
Over 1 million protesters Participated.
Video 📷 #UnitedKingdom #immigrants pic.twitter.com/1mjwZTzrfh
लंबा है आपराधिक रिकॉर्ड
रॉबिन्सन का क्रिमिनल रिकॉर्ड काफी लंबा है. उन पर हमला, बंधक बनाने, धोखाधड़ी और अदालत की अवमानना जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. 2018 में एक ट्रायल के बाहर लाइव स्ट्रीमिंग करने पर उन्हें जेल जाना पड़ा. 2024 में हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर उन्हें 18 महीने की सजा सुनाई गई. इन मामलों ने उनकी छवि को और विवादास्पद बना दिया.
जुए से कैसे गंवा दिए लाखों पाउंड
रॉबिन्सन की वित्तीय परेशानियां भी किसी से छुपी नहीं हैं. 2021 में उन्होंने खुद को दिवालिया घोषित किया और बताया कि लाखों पाउंड की दान राशि उन्होंने जुए में गंवा दी. आलोचक इसे जनता के विश्वास के साथ धोखा बताते हैं, लेकिन समर्थक अब भी उन्हें देशभक्ति और अभिव्यक्ति की आज़ादी का पुरोधा मानते हैं. रॉबिन्सन को 2018 में ट्विटर से बैन कर दिया गया था. लेकिन एलोन मस्क के ट्विटर (अब X) संभालने के बाद उन्हें फिर से वापसी का मौका मिला. आज उनके X अकाउंट पर 1 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर उनकी अपील इतनी मजबूत है कि उनकी एक कॉल पर हजारों लोग सड़कों पर उतर आते हैं, जैसा कि 'यूनाइट द किंगडम' मार्च में देखने को मिला.
रॉबिन्सन विभाजनकारी या देशभक्त, क्या है?
टॉमी रॉबिन्सन को लेकर ब्रिटेन समाज बंटा हुआ है. आलोचकों के लिए वे नफरत और विभाजन को बढ़ावा देने वाले एक्टिविस्ट हैं. वहीं समर्थकों के लिए वे एक ऐसे नेता हैं जो फ्री स्पीच और देश की अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनकी मौजूदगी ब्रिटेन के राजनीतिक माहौल को लगातार प्रभावित कर रही है और यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में उनका नाम यूं ही सुर्खियों में बना रहेगा.
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बताते चलें कि लंदन का 'यूनाइट द किंगडम' मार्च यह बताता है कि ब्रिटेन में प्रवास और पहचान को लेकर बहस कितनी गहरी हो चुकी है. टॉमी रॉबिन्सन की अगुवाई में हुआ यह प्रदर्शन देश के सामने नए सवाल खड़े करता है, क्या यह आंदोलन सामाजिक एकता को तोड़ेगा या फिर किसी बदलाव की दिशा में रास्ता खोलेगा.
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