प्रिय दोस्त से भरोसेमंद साथी तक... मोदी-पुतिन की जुगलबंदी ने खींचा पूरी दुनिया का ध्यान, द्विपक्षीय बैठक में क्या-क्या हुई बात, जानें
एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने द्विपक्षीय बैठक की. बैठक में दोनों नेताओं ने रिश्तों को नई ऊंचाई देने पर जोर दिया. पुतिन ने पीएम मोदी को 'प्रिय दोस्त' कहा और भारत को रूस का अहम साझेदार बताया. वहीं पीएम मोदी ने रूस को कठिन समय का साथी कहा और यूक्रेन में शांति प्रयासों की जरूरत पर बल दिया.
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चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने भारत-रूस संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है. इस द्विपक्षीय बैठक में दोनों नेताओं ने न केवल अतीत की मजबूत दोस्ती को याद किया, बल्कि भविष्य की नई दिशा भी तय की है. साझा बयान में जहां पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को 'प्रिय दोस्त' कहकर संबोधित किया, वहीं पीएम मोदी ने रूस को भारत का कठिन वक्त का सच्चा साथी बताया.
Sharing my remarks during meeting with President Putin. https://t.co/PADOdRjsBs
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
पुतिन ने मोदी को कहा प्रिय दोस्त
बैठक की शुरुआत में ही राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी के साथ गर्मजोशी भरे शब्द साझा किए. उन्होंने कहा कि भारत-रूस संबंध सिद्धांतों और विश्वास पर आधारित हैं और यही रिश्तों की असली मजबूती है. पुतिन ने याद दिलाया कि 21 दिसंबर को भारत-रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी को 15 साल पूरे हो रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे बीच बहुमुखी सहयोग जारी है और आज की बातचीत ने हमारे रिश्तों को और आगे बढ़ाने का अवसर दिया है. हम अपने प्रयासों को और तेज करेंगे.' पुतिन ने यह भी कहा कि भारत रूस के लिए सिर्फ एक साझेदार नहीं बल्कि विश्वसनीय मित्र है. उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों देश मिलकर न सिर्फ अपने संबंधों को मजबूत करेंगे बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी योगदान देंगे.
PM मोदी ने जताया पुतिन का आभार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में रूस को भारत का भरोसेमंद साथी बताया. उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने हर मुश्किल वक्त में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है. पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत शांति का समर्थक है और यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए लगातार बातचीत की जा रही है. मोदी ने पुतिन से मुलाकात को यादगार करार देते हुए कहा, 'आपसे मिलना हमेशा खास होता है. हम लगातार संपर्क में रहते हैं और उच्चस्तरीय बैठकें हमारे रिश्तों को और मजबूती देती हैं.' प्रधानमंत्री ने भारत-रूस संबंधों को क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता का अहम स्तंभ बताया.
यूक्रेन युद्ध को लेकर भी हुई चर्चा
इस बैठक में यूक्रेन संकट पर भी विस्तृत चर्चा हुई. पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि संघर्ष को खत्म करने के लिए सभी प्रयास जरूरी हैं. भारत का मानना है कि दुनिया की शांति और स्थिरता के लिए संवाद और कूटनीति ही सही रास्ता है. पुतिन ने भी माना कि भारत का दृष्टिकोण संतुलित और व्यवहारिक है.
PM मोदी सोशल मीडिया पर साझा की जानकारी
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक शानदार बैठक हुई. व्यापार, उर्वरक, अंतरिक्ष, सुरक्षा और संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने पर चर्चा हुई. साथ ही यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए गए.' पीएम मोदी के इस संदेश से यह साफ झलकता है कि भारत और रूस के रिश्ते सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं बल्कि हर क्षेत्र में गहराते जा रहे हैं.
Провёл отличную встречу с Президентом Путиным на полях саммита ШОС в Тяньцзине. Обсудили пути углубления двустороннего сотрудничества во всех сферах, включая торговлю, удобрения, космос, безопасность и культуру. Обменялись мнениями о региональных и глобальных процессах, включая… pic.twitter.com/VKr3nK5sLh
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
रणनीतिक साझेदारी का महत्व
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भारत-रूस की 'स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप' आज वैश्विक परिदृश्य में एक मिसाल मानी जाती है. ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कई क्षेत्रों में दोनों देशों का सहयोग लगातार बढ़ रहा है. तियानजिन की बैठक ने इस साझेदारी को और मजबूत करने का रास्ता साफ किया है. तियानजिन में हुई यह द्विपक्षीय बैठक केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि भारत और रूस की गहरी दोस्ती का प्रतीक बनी. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने दुनिया को यह संदेश दिया कि दोनों देश हर परिस्थिति में साथ खड़े रहेंगे. यूक्रेन संकट पर शांति की पहल हो या व्यापार और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की बात, भारत-रूस साझेदारी आज भी उतनी ही मजबूत है जितनी दशकों पहले थी. बता दें कि यह मुलाकात इस तथ्य को दोहराती है कि वैश्विक अस्थिरता के दौर में भी भारत और रूस के रिश्ते न केवल कायम हैं बल्कि भविष्य की राह दिखाने वाले हैं.
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