पहले सनातन धर्म को टार्गेट किया, अब ब्राह्मणों को घसीटा... ट्रंप के बेकाबू सलाहकार की ओछी हरकत, भारत को घेरने के चक्कर में खो बैठे दिमागी संतुलन!
प्रधानमंत्री मोदी चीन में एससीओ समिट में शामिल हुए, जहाँ शी जिनपिंग ने भव्य स्वागत किया और पुतिन से उनकी अहम मुलाकात हुई. इन तस्वीरों को देखकर एम बार फिर अमेरिका की बौखलाहट बढ़ गई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार मामलों के सलाहकार पीटर नवारो ने रूस-भारत तेल खरीद पर नया बयान दिया है. नवारो ने कहा है कि रूस से तेल खरीद का फायदा भारत का सिर्फ एक छोटा अभिजात्य तबका (ब्राह्मण) उठा रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शिरकत कर रहे हैं. इस समिट ने न सिर्फ एशियाई देशों के बीच नई कूटनीतिक तस्वीर पेश की है बल्कि अमेरिका की बेचैनी भी साफ तौर पर उजागर कर दी है. चीन पहुंचने पर जिस अंदाज में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी का स्वागत किया और उसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई, उसने विश्व राजनीति में नए समीकरणों का संकेत दे दिया है. भारत, रूस और चीन की ये नजदीकियां अमेरिका को चुभ रही हैं. यही वजह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार मामलों के सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत को निशाने पर लेते हुए नया शिगूफा छोड़ा है.
अमेरिका ने चली गंदी चाल
फॉक्स न्यूज के साथ बातचीत में नवारो ने भारत की रूस से तेल खरीद पर विवादित टिप्पणी की. उनका दावा है कि रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत फायदा उठा रहा है और इस लाभ का फायदा केवल एक "छोटा अभिजात्य वर्ग" ले रहा है. नवारो ने खासतौर पर ब्राह्मणों का जिक्र करते हुए कहा कि वही इस सौदे से अमीर हो रहे हैं, जबकि देश की आम जनता नुकसान झेल रही है. नवारो का यह बयान सिर्फ़ एक बयान नहीं है बल्कि सोची समझी साज़िश हो सकती है कि भारत के अंदर अब जातियों में फूट डाला जाए ताकि लोग सरकार पर अमेरिका की बात मानने का दबाव बनाए. नवारो ने आगे आरोप लगाया कि भारतीय रिफाइनर सस्ता कच्चा तेल लेकर उसे प्रोसेस कर महंगे दामों पर निर्यात कर रहे हैं और इस प्रक्रिया से हुए मुनाफे का उपयोग रूस-यूक्रेन युद्ध को आगे बढ़ाने में कर रहा है.
This guy just said, “Only Brahmins are profiting from Russian oil.”
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) September 1, 2025
My God, Brahmin hate has officially gone global!
Someone’s clearly feeding him the script on caste politics - blame Brahmins for every single crisis.
Future is indeed worrying for Brahmins! pic.twitter.com/lD5TQjRHa7
सनातन को भी नवारो ने किया था टारगेट
इससे पहले पीटर नवारो ने पीएम मोदी की भगवा वस्त्रों वाली तस्वीर शेयर कर भारत की सभ्यता और सनातन विचारधारा पर निशाना साधा था. नवारो ने यह तस्वीर 2024 की अपलोड की, जब मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के बाद कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान लगाया था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दिखाता है कि ट्रंप प्रशासन की भारत नीति अब व्यापारिक मतभेद से ज्यादा निजी नाराजगी और हताशा से प्रभावित है.
भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत
यह बयान उस वक्त आया है जब प्रधानमंत्री मोदी चीन में समिट में हिस्सा ले रहे हैं. समिट में मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात को वैश्विक राजनीति में एक बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. भारत बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि उसकी विदेश नीति "राष्ट्रहित" पर आधारित है और वह किसी दबाव में अपने फैसले नहीं बदलेगा. रूस से तेल खरीद इसका ताजा उदाहरण है. दरअसल, भारत के लिए रूस ऊर्जा का अहम स्रोत है. सस्ता तेल घरेलू बाजार की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ आर्थिक स्थिरता में भी मदद करता है. यही कारण है कि अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद भारत ने यह कदम जारी रखा है.
अमेरिका की दोहरी मुश्किल
पीटर नवारो ने भारत को “ग्रेट लीडर” कहकर नरेंद्र मोदी की तारीफ तो की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र रूस और चीन के साथ खड़ा होकर वैश्विक स्थिरता को कमजोर कर रहा है. अमेरिका का तर्क है कि भारत के ऐसे फैसलों से न सिर्फ अमेरिकी उद्योग और कामगार प्रभावित हो रहे हैं बल्कि यूक्रेन युद्ध भी लंबा खिंच रहा है. अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक खींचतान भी लंबे समय से चली आ रही है. नवारो ने दोहराया कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है. उनका कहना है कि भारत अपने उत्पादों को अमेरिका में बेचता है लेकिन अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में मौका नहीं देता.
भारत-अमेरिका रिश्तों में लगातार बढ़ रही दूरी
बीते कुछ महीनों में भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास साफ दिखाई देने लगी है. रूस से भारत की बढ़ती खरीदारी और चीन के साथ मंच साझा करना अमेरिका के लिए चुनौती बन गया है. अमेरिका ने भारत पर कई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए हैं और भविष्य में और सख्त कदम उठाने की चेतावनी भी दी है. हालांकि भारत का रुख साफ है, वह अपनी नीतियां किसी दबाव में नहीं बदलेगा.
बदल रहा वैश्विक समीकरण
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मौजूदा समय में भारत वैश्विक राजनीति में एक अहम खिलाड़ी बन चुका है. रूस से तेल खरीदना केवल आर्थिक नहीं बल्कि रणनीतिक निर्णय भी है. भारत यह जानता है कि वैश्विक मंच पर उसे अपने हितों की रक्षा करनी है. मोदी की चीन यात्रा और वहां पुतिन व जिनपिंग से हुई मुलाकात ने यह संदेश दिया है कि भारत एशियाई देशों के साथ गहरे रिश्ते बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. वहीं अमेरिका को लग रहा है कि यह गठजोड़ उसके प्रभाव को कम कर सकता है.
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