Advertisement

भारत से पंगा एर्दोगन को पड़ा महंगा, पहले से ही खस्ताहाल तुर्की की अर्थव्यवस्था को लगा ₹770 करोड़ का झटका

भारत से पंगा लेकर तुर्की बुरी तरह से फंस गया है. पाकिस्तान का साथ देकर एर्दोगन ने भारत से रिश्ते ख़राब किए और अब भारत ने सख़्त संदेश दे दिया है जिससे तुर्की के व्यापारिक और आर्थिक संबंधों पर सीधा असर पड़ सकता है. भारत के इस कदम से इससे तुर्की को 770 करोड़ रुपये (7,70,40,58,500) का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है.

17 May, 2025
( Updated: 17 May, 2025
03:59 PM )
भारत से पंगा एर्दोगन को पड़ा महंगा, पहले से ही खस्ताहाल तुर्की की अर्थव्यवस्था को लगा ₹770 करोड़ का झटका
भारत और तुर्की के बीच जारी कूटनीतिक और वैचारिक तनाव का असर अब व्यापारिक क्षेत्रों में साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुर्की की तरफ़ से भारत के इंटरनल मामलों में टिप्पणी करना और लगातार पाकिस्तान का समर्थन करना अब उसपर क़हर बनकर टूट रहा है. दरअसल भारत ने तुर्की से होने वाले कुछ अहम इंपोर्ट्स पर न केवल रोक लगाने की काम शुरू किया है, बल्कि वैकल्पिक आपूर्ति श्रोतों की तलाशी भी तेज़ कर दी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत के इस कदम से तुर्की को 770 करोड़ रुपये (7,70,40,58,500) का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है. यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक स्पष्ट संदेश देता है – “भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता है, बल्कि कार्रवाई भी करता है.”  

तुर्की को भारत का सख्त संदेश

कश्मीर मुद्दे की आवाज़ अक्सर संयुक्त राष्ट्र में उठी है. इस मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोगन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, जिससे भारत सरकार को खासा नाराजगी हुई थी. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर पर बयान दिया हो, वो पहले भी ऐसा करते ही आए हैं. लेकिन इस बार भारत ने उनके बयान को गंभीरता से लिया है, इतना ही नहीं भारत ने तो जवाबी कार्रवाई के संकेत भी दे दिए हैं. भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी देश यदि भारत की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठाएगा, तो इसके व्यापारिक और आर्थिक संबंधों पर सीधा असर पड़ेगा.

तुर्की को होगा नुकसान!

बता दें कि भारत और तुर्की के बीच सालाना व्यापार लगभग 7 अरब डॉलर (करीब 58,000 करोड़ रुपये) के आसपास रहता है. भारत तुर्की से मशीनरी, खनिज, कीमती पत्थर, रसायन और स्टील जैसी वस्तुएं इंपोर्ट करता है. वहीं भारत तुर्की को ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, केमिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स का बड़ा एक्सपोर्ट करता है. हाल ही में भारत सरकार ने तुर्की से इंपोर्टेड कुछ उत्पादों पर सख्त जांच और क्लियरेंस में देरी की नीति अपनाई है. इसके कारण तुर्की के व्यापारिक एक्सपोर्टर को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. कहा जा रहा है कि तुर्की को अकेले 770 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ भारत से होने वाले निर्यात में गिरावट के चलते झेलना पड़ेगा.

वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता तलाश रहे
भारत ने तुर्की से आने वाले निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले स्टील और अन्य औद्योगिक उत्पादों की जगह अब वियतनाम, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों से समझौते करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा भारत की कई निजी कंपनियों ने भी तुर्की से व्यापार घटाने और दूसरे देशों से आयात बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया है.

एर्दोगान की बढ़ीं मुश्किलें

तुर्की पहले से ही गंभीर इकोनॉमिक क्राइसिस से जूझ रहा है. वहां महंगाई दर रिकॉर्ड स्तर पर है और मुद्रा लिरा (Lira) की कीमत में लगातार गिरावट हो रही है. अब भारत जैसे बड़े बाज़ार से व्यापार घटने से तुर्की की अर्थव्यवस्था को और बड़ा झटका लगेगा. भारत से होने वाले नुकसान से न केवल तुर्की के व्यापारियों में बेचैनी बढ़ी है, बल्कि एर्दोगन सरकार पर भी ख़ासा दबाव बन रहा है. विपक्षी दल अब सरकार की विदेश नीति की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि भारत जैसे बड़े आर्थिक साझेदार से रिश्ते खराब करना देशहित में नहीं है.

तुर्की ने जब भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की, तो उसे इसका व्यापारिक मूल्य चुकाना पड़ रहा है. भारत अब साफ संकेत दे चुका है कि उसकी विदेश नीति अब “कूटनीति और व्यापार एक साथ” के सिद्धांत पर आधारित होगी. यदि कोई देश भारत के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करेगा, तो उसे व्यापारिक रूप से भी गंभीर नुकसान उठाना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
इस्कॉन के ही संत ने जो बड़े-बड़े राज खोले, वो चौंका देंगे | Madan Sundar Das
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें