पुतिन के लिए बड़ा सिरदर्द! रूस के सैनिकों में तेजी से फैल रहा AIDS का खतरा, वजह कर देगी हैरान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी सैनिकों में HIV संक्रमण 20 से 40 गुना तक बढ़ गया है. सबसे बड़ा कारण है युद्ध का तनाव. ऐसी हालत में सैनिक बहुत प्रेशर में रहते हैं. इसके अलावे भी कई कारण है.
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रूस पहले से ही उन देशों में शामिल है जहां HIV के मामले दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं. अब यूक्रेन युद्ध की वजह से ये हालत और भी ज्यादा गंभीर हो गए है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी सैनिकों में HIV संक्रमण 20 से 40 गुना तक बढ़ गया है. कहा जा रहा है कि इस बढ़ोतरी के कई कारण हो सकते हैं. सबसे बड़ा कारण है युद्ध का तनाव. ऐसी हालत में सैनिक बहुत प्रेशर में रहते हैं. उन्हें लगता है कि कल क्या होगा, कुछ पता नहीं. इसी सोच में कई लोग बिना सुरक्षा के यौन संबंध बनाते हैं या नशे की लत में पड़ जाते हैं. कुछ रिपोर्ट्स में तो ये भी कहा गया है कि कुछ सैनिक एक ही सिरिंज से ड्रग्स ले रहे हैं, जिससे HIV फैलने का खतरा और भी बढ़ जाता है.
स्वास्थ्य संसाधनों में बरती जा रही लारवाही
यूक्रेन बॉर्डर के पास मौजूद रूसी आर्मी बेस पर हेल्थ सर्विसेज की हालत बहुत खराब है. कंडोम जैसे बेसिक प्रोटेक्शन का न मिलना, संक्रमित सैनिकों का बिना किसी सेफ्टी के फील्ड अस्पतालों में इलाज, और नसबंदी जैसे ज़रूरी कदमों का न उठाया जाना. ये सब HIV के फैलने की बड़ी वजह बन रहे हैं.
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई बार संक्रमित सैनिकों को इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है, लेकिन टाइम और रिसोर्सेज की कमी के चलते जरूरी सावधानियां नहीं अपनाई जातीं. इसका नतीजा ये है कि HIV और तेजी से फैल रहा है. ये सब मिलकर एक हेल्थकेयर इमरजेंसी की ओर इशारा कर रहे हैं, जो युद्ध की धूल में दबती जा रही है.
HIV पॉजिटिव कैदियों की आर्मी में भर्ती
रिपोर्ट्स में एक और हैरान करने वाली बात सामने आई है. रूस अब सीधे जेलों से सैनिकों की भर्ती कर रहा है, जिनमें कई HIV पॉजिटिव कैदी भी शामिल हैं. शायद यह कदम आर्मी की संख्या बढ़ाने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं.
यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि रूसी सेना में भर्ती किए गए कम से कम 20% नए सैनिक HIV पॉजिटिव हैं. इसका असर सिर्फ मिलिट्री तक ही नहीं रहेगा, बल्कि ये पूरे हेल्थकेयर सिस्टम को झकझोर सकता है. ये एक ऐसा मामला बनता जा रहा है जहां वॉर स्ट्रैटेजी और ह्यूमन राइट्स आपस में टकरा रहे हैं.
HIV पॉजिटिव सैनिकों
कुछ रूसी सैनिकों ने बताया है कि उन्हें HIV पॉजिटिव होने के बावजूद लड़ाई के लिए तैयार किया जा रहा है. उन्हें एंटी-वायरल दवाएं दी जाती हैं, जो बीमारी को पूरी तरह ठीक तो नहीं करतीं, लेकिन वायरस के असर को कम करती हैं और बॉडी की इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाती हैं. इससे उन्हें दूसरी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है.
हालांकि, वॉर ज़ोन में इन दवाओं की लगातार सप्लाई बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है. रिसोर्सेज की कमी और प्रशासन की लापरवाही की वजह से ये कोशिश अधूरी रह जाती है.
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