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भूकंप के जोरदार झटकों से थर्राया अफगानिस्तान, 6.3 रही तीव्रता; अब तक 7 की मौत, 150 से अधिक घायल

उत्तरी अफगानिस्तान के खोल्म के पास सोमवार तड़के 6.3 तीव्रता का भूकंप आया. झटकों से कई इमारतों में दरारें आईं और लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए. इससे पहले भी इसी इलाके में 4.9 तीव्रता का झटका महसूस हुआ था. अफगानिस्तान पहले भी कई बार भूकंप की तबाही झेल चुका है, जिससे हजारों लोगों की जान जा चुकी है.

03 Nov, 2025
( Updated: 03 Nov, 2025
02:03 PM )
भूकंप के जोरदार झटकों से थर्राया अफगानिस्तान, 6.3 रही तीव्रता; अब तक 7 की मौत, 150 से अधिक घायल
Earthquake

अफगानिस्तान की धरती एक बार फिर तेज झटकों से हिल गई है. सोमवार तड़के उत्तरी अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने लोगों में दहशत फैला दी. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र खोल्म शहर के पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में करीब 22 किलोमीटर दूर था और इसकी गहराई 28 किलोमीटर बताई गई. शमसाद न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इस भूकंप में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

एक दिन पहले भी आया था भूकंप

भूकंप का झटका इतना तेज था कि घरों की दीवारें हिलने लगीं और लोग नींद से जागकर घरों से बाहर भागे. स्थानीय मीडिया के अनुसार, कई इमारतों में दरारें आई हैं और बिजली आपूर्ति भी कुछ इलाकों में प्रभावित हुई है. राहत और बचाव टीमें घटनास्थल पर भेजी गई हैं. गौर करने वाली बात यह है कि एक दिन पहले भी इसी इलाके में भूकंप महसूस किया गया था. जर्मनी के जियोसाइंस रिसर्च सेंटर (GFZ) ने जानकारी दी कि हिंदू कुश क्षेत्र में 6.3 तीव्रता का भूकंप करीब 10 किलोमीटर की गहराई पर आया था. शनिवार देर रात भी 4.9 तीव्रता का झटका दर्ज किया गया था.

कई बार भूकंप का दंश झेल चुका है अफगानिस्तान 

अफगानिस्तान पहले भी भूकंप से भारी तबाही झेल चुका है. 31 अगस्त 2025 को पाकिस्तान सीमा के पास आए 6.0 तीव्रता के भूकंप में 2,200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. वहीं 7 अक्टूबर 2023 को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप ने चार हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. लगातार आ रहे ये झटके एक बार फिर इस बात की याद दिलाते हैं कि अफगानिस्तान भूकंप प्रभावित इलाकों में से एक है, जहां ज़मीन के नीचे हमेशा हलचल बनी रहती है.

सरल शब्दों में भूकंप को समझिए 

वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की सतह टेक्टॉनिक प्लेटों से बनी है, जो गर्म लावा पर तैरती रहती हैं. जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं तो किनारे मुड़ जाते हैं और दबाव बढ़ने पर टूट जाते हैं. इस दौरान दबाव में दबी ऊर्जा बाहर निकलती है और भूकंप आता है. यह प्रक्रिया करोड़ों सालों से जारी है. हिंदूकुश जैसा इलाका प्लेटों की अधिक सक्रियता के कारण बार-बार भूकंप झेलता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन पैटर्न को समझकर हम बचाव के उपाय कर सकते हैं. जैसे भूकंप-रोधी इमारतें बनाना और आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग लेना.

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता?

भूकंप की ताकत को रिक्टर स्केल से मापा जाता है. यह एक गणितीय पैमाना है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहा जाता है. यह स्केल सामान्यतः 1 से 9 तक होती है और भूकंप के केंद्र यानी एपीसेंटर से निकली ऊर्जा पर आधारित होती है. रिक्टर स्केल भूकंपीय तरंगों की शक्ति को लॉगरिदमिक तरीके से मापता है, यानी स्केल पर हर अगला अंक पिछले की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक ऊर्जा दर्शाता है. उदाहरण के तौर पर, 5.0 तीव्रता का भूकंप 4.0 से करीब 10 गुना अधिक शक्तिशाली होता है. हाल ही में आया यह भूकंप 6.0 तीव्रता का था, जो काफी मजबूत माना जाता है. 

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बताते चलें कि अफगानिस्तान में आए इस ताज़ा भूकंप ने एक बार फिर वहां की नाजुक भौगोलिक स्थिति और तैयारी की कमी को उजागर कर दिया है. लगातार आने वाले झटके यह दिखाते हैं कि हिंदूकुश क्षेत्र हमेशा खतरे में रहता है. जानकारों का मानना है कि आधुनिक तकनीक, मजबूत बुनियादी ढांचा और जागरूकता ही ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के नुकसान को कम कर सकती है. फिलहाल, प्रभावित इलाकों में राहत कार्य जारी हैं और लोग एक बार फिर सुरक्षित आशियाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

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