'क्या आपको कन्नड़ आती है?', सिद्धारमैया के सवाल पर राष्ट्रपति मुर्मू की हाजिरजवाबी ने जीता दिल, तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा हॉल
मैसूरु में एक समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और CM सिद्धारमैया के बीच कन्नड़ भाषा को लेकर हुई हल्की-फुल्की बातचीत का वीडियो वायरल हो रहा है. सिद्धारमैया के सवाल पर राष्ट्रपति ने कन्नड़ को लेकर ऐसा विनम्र जवाब दिया जिससे पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा.
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कर्नाटक सहित पूरे देश में चल रहे भाषाई विवाद के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा जिसने सबका दिल जीत लिया है. इतना ही नहीं बतौर उड़िया भाषी होते हुए भी उन्होंने एक राज्य विशेष की सबसे प्रमुख भाषा के प्रति जो आदर दिखाया है उसकी खूब चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति के इस तरीके को अगर सभी भारतवासी अपनाएं और अंगीकार कर लें तो सारा झगड़ा ही खत्म हो जाए. अब आते हैं असल मुद्दे पर और आपको बताते हैं क्या है पूरी स्टोरी.
दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को कर्नाटक के मैसूरु पहुंचीं थीं, जहां उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (AIISH) की हीरक जयंती (डायमंड जुबली) समारोह में भाग लिया. इस मौके पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राष्ट्रपति मुर्मू के बीच खुशनुमा माहौल में मंच पर हुई हंसी-मजाक की बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
जब सीएम सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति से पूछा- "क्या आपको कन्नड़ आती है?
कार्यक्रम की शुरुआत में जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया स्वागत भाषण देने के लिए मंच पर आए, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए राष्ट्रपति से पूछा, "क्या आपको कन्नड़ आती है?" और तुरंत ही खुद जवाब देते हुए बोले, "तो फिर मैं कन्नड़ में ही बोलता हूं."
'राष्ट्रपति की हाजिरजवाबी से हर कोई रह गया हैरान'
इस पर राष्ट्रपति मुर्मू ने भी मुस्कुराकर सहज अंदाज में कहा, "मुख्यमंत्री जी को मैं बताना चाहूंगी कि भले ही कन्नड़ मेरी मातृभाषा नहीं है, लेकिन मुझे भारत की हर भाषा, संस्कृति और परंपरा से गहरा जुड़ाव महसूस होता है. मैं उनका दिल से सम्मान करती हूँ."
मैं धीरे-धीरे कन्नड़... और ये सुनते ही गूंज उठा पूरा हॉल
राष्ट्रपति ने आगे भाषण में कहा कि भारत की असली शक्ति उसकी विविधता में निहित है. उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे अपनी मातृभाषा, संस्कृति और परंपराओं को संजोकर रखें और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ. राष्ट्रपति ने यह भी जोड़ा कि वह कन्नड़ भाषा को धीरे-धीरे सीखने का प्रयास अवश्य करेंगी. जैसे ही उन्होंने यह बात कही, सभागार में मौजूद श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिवादन किया.
President Murmu’s Kannada Moment
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) September 1, 2025
At AIISH Diamond Jubilee, #Karnataka CM Siddaramaiah asked President Murmu: “Do you know Kannada?”
President Murmu replies saying she respects all Indian languages & pledged to learn Kannada “little by little” ❤️ pic.twitter.com/r3BgDmE4Em
भाषा पर कर्नाटका में खूब हो रही है राजनीति
ध्यान देने योग्य है कि कर्नाटक में भाषा का सवाल लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र रहा है. अक्सर इस मुद्दे को लेकर विवाद भी सामने आते रहे हैं. कई मौकों पर प्रवासी नागरिकों को केवल इसलिए परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि वे कन्नड़ में बातचीत नहीं कर पाते थे.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुद कन्नड़ भाषा के अधिकतम उपयोग के समर्थक रहे हैं. कुछ समय पहले उन्होंने बयान दिया था कि "कर्नाटक में रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ बोलना सीखना चाहिए, क्योंकि हम सभी कन्नड़िगा हैं." उनके इस कथन की विपक्ष ने आलोचना करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
भाषा विवाद सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि सार्वजनिक जीवन में यह बार-बार उठता रहा है. हाल ही में राज्य सरकार ने नियम बनाया कि राज्य भर में सभी साइनबोर्ड पर कम से कम 60 प्रतिशत हिस्सा कन्नड़ में ही लिखा जाए. दिसंबर 2023 में कर्नाटक रक्षणा वेदिके (KRV) नामक कन्नड़ समर्थक संगठन ने बेंगलुरु में बड़ा प्रदर्शन कर इस नियम को पूरी सख्ती से लागू करने की माँग की थी.
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इसके अतिरिक्त, कई प्रोकन्नड़ संगठन शिक्षा, सरकारी कार्य और प्रशासन में कन्नड़ भाषा की भूमिका बढ़ाने और तमिलनाडु की तरह दो-भाषा मॉडल अपनाने पर जोर दे रहे हैं.
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