कोडीन सिरप केस में योगी सरकार की प्रभावी पैरवी का असर, हाईकोर्ट ने खारिज कीं आरोपियों की याचिकाएं, NDPS एक्ट के तहत चलेगा मुकदमा
कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन मामले में योगी सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी जीत मिली है. चार दिन तक चली बहस, प्रभावी पैरवी और ठोस सबूतों के आधार पर कोर्ट ने 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
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कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन से जुड़े मामलों के गुनहगारों को सीएम योगी किसी भी कीमत पर बख्शने के मूड में नहीं हैं. पहले लंबी प्लानिंग, कई राज्यों से सबूतों का एकत्रीकरण और लगातार फॉलो-अप के बाद देश का अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन किया गया. अब इसके नतीजे सामने आने लगे हैं. दरअसल, योगी सरकार को बड़ी कानूनी सफलता मिली है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को पूरी तरह सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
योगी सरकार की सख्त ड्रग नीति की बड़ी जीत!
कोर्ट ने 22 मामलों में आरोपियों द्वारा दाखिल अरेस्ट स्टे की रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को योगी सरकार की सख्त ड्रग नीति और कोर्ट में प्रभावी पैरवी की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कोडीन युक्त सिरप के कुल 22 मामलों में NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई न किए जाने की मांग को लेकर रिट याचिकाएं दायर की गई थीं.
कोर्ट से ड्रग तस्करों को बड़ा झटका!
इन याचिकाओं में यह तर्क दिया गया था कि कोडीन युक्त कफ सिरप पर NDPS एक्ट की धाराएं लागू नहीं होतीं और इसी आधार पर इनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द किया जाए. साथ ही, कई याचिकाकर्ताओं ने गिरफ्तारी पर रोक (अरेस्ट स्टे) की भी मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि यदि कोडीन युक्त सिरप का इस्तेमाल या भंडारण अवैध रूप से, बिना वैध लाइसेंस और निर्धारित मानकों के बाहर किया जाता है, तो वह NDPS एक्ट के दायरे में आता है और उस पर सख्त कार्रवाई पूरी तरह वैध है.
शुभम जायसवाल और आसिफ मोहम्मद पर कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ!
इन 22 मामलों में शुभम जायसवाल और आसिफ मोहम्मद के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग मामले भी शामिल थे. इन आरोपियों ने न केवल NDPS एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को चुनौती दी थी, बल्कि अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए भी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
चार दिनों तक बहस और दलील के बाद योगी सरकार की बड़ी जीत!
हाई कोर्ट ने उनकी अरेस्ट स्टे से जुड़ी रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिससे अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है. इस पूरे मामले में योगी सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने चार दिनों तक लगातार कोर्ट में प्रभावी बहस की.
उन्होंने हाई कोर्ट के समक्ष देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों को प्रस्तुत किया, जिनमें कोडीन युक्त सिरप के मामलों में NDPS एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को सही ठहराया गया है. सरकारी पक्ष ने यह भी बताया कि कफ सिरप की आड़ में नशे का अवैध कारोबार किया जा रहा है, जिससे समाज और युवाओं पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे मामलों में यदि NDPS एक्ट जैसी कड़ी कानूनी धाराएं लागू न की जाएं, तो नशे के नेटवर्क को तोड़ना मुश्किल हो जाएगा.
हाई कोर्ट ने FSDA, पुलिस और STF के साक्ष्यों को माना!
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में FSDA (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन), पुलिस और STF द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को महत्वपूर्ण माना. कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा गया कि कई मामलों में कफ सिरप की मात्रा, भंडारण का तरीका और वितरण NDPS नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करता है. इन्हीं तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी 22 रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया. सभी 22 रिट याचिकाओं के मामले वाराणसी, गाजियाबाद, जौनपुर, कानपुर नगर, बस्ती, सोनभद्र और बदायूं से जुड़े हैं.
किन-किन की रिट याचिकाएं खारिज हुईं?
हाई कोर्ट ने जिन आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज की हैं, उनमें अभिषेक शर्मा, विनोद अग्रवाल, प्रतीक मिश्रा और अन्य चार, विशाल कुमार जायसवाल और अन्य चार, भोला प्रसाद, नीरज सेठ और अन्य, शुभम जायसवाल, पप्पन यादव, मो. सलमान अंसारी, अनुप्रिया सिंह, अंकित कुमार श्रीवास्तव, दिलीप कुमार उमर, मेसर्स मिलन ड्रग सेंटर और 6 अन्य, मंजू शर्मा और अन्य, आसिफ मोहम्मद, अरुण सोनकर (सही नाम अर्जुन सोनकर), खुशबू गोयल, धर्मेंद्र कुमार अग्रवाल, अक्षत यादव और अजित यादव शामिल हैं.
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