बुके नहीं बुक दीजिए… AI के दौर में CM धामी ने बताई किताबों की अहमियत, कंटेंट क्रिएटर्स को दिया खास मैसेज
लेखक जय सिंह रावत की किताब में उत्तराखंड के राजनीतिक, प्रशासनिक और विकास की यात्रा के बारे में बताया गया है. जिसके विमोचन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी पहुंचे थे. दोनों के बीच बातचीत के हल्के फुल्के पल भी साझा हुए.
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उत्तराखंड (Uttarakhand) के CM पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक जय सिंह रावत की किताब ‘उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास’ का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने AI और तकनीक के दौर में किताबों की अहमियत समझाई.
लेखक जय सिंह रावत की किताब में उत्तराखंड के राजनीतिक, प्रशासनिक और विकास की संपूर्ण यात्रा के बारे में बताया गया है. कार्यक्रम में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी शामिल हुए. इस दौरान दोनों के बीच बातचीत के हल्के फुल्के पल भी साझा हुए.
‘किताबों का कोई विकल्प नहीं’
CM पुष्कर सिंह धामी ने किताबों की अहमियत समझाते हुए कहा, चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, ज्ञान, विचार और समझ की गहराई के लिए किताबों का कोई विकल्प नहीं है. उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति और लोक परंपराओं पर कई किताबें मौजूद हैं, लेकिन राज्य स्थापना के बाद की ढाई दशक की घटनाओं को तथ्यों, दस्तावेजों और विश्लेषण के आधार पर संग्रहित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे लेखक जय सिंह रावत ने उत्कृष्टता के साथ पेश किया है.
जय सिंह रावत की तारीफ
CM धामी ने कहा कि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने एक लंबा राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा. जिसका प्रभाव विकास की रफ्तार पर पड़ा. उन्होंने कहा, पत्रकार जय सिंह रावत की तारीफ करते हुए कहा, उन्होंने इस संपूर्ण कालखंड का प्रामाणिक प्रस्तुतिकरण करते हुए दुर्लभ दस्तावेजों और प्रेस कतरनों की मदद से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संकलन तैयार किया है. उन्होंने आगे कहा, इतिहास लिखना एक गंभीर दायित्व है, जिसमें तथ्य, दृष्टि और ईमानदारी का होना जरूरी है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, आज के इंटरनेट युग में जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन किताबों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता. पुस्तकें हमारे विचारों को गहराई देती हैं और ज्ञान को स्थायी रूप से संजोती हैं.
#WATCH | Dehradun: Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami says, "Everyone in Uttarakhand is familiar with state's history, culture, folk traditions, and numerous texts. However, having the courage to document in such detail the journey of the past 2.5 decades since its… https://t.co/OEHWkgJxJ2 pic.twitter.com/LPtIeWKwRW
— ANI (@ANI) November 22, 2025
नई पीढ़ी को जड़ों से जुड़ने का दिया संदेश
CM धामी ने गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी सहित उत्तराखंड की सभी क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण को राज्य सरकार की प्राथमिकता माना. उन्होंने कहा, इस तकनीक के इस बदलते दौर में डिजिटल माध्यमों के जरिए मातृभाषाओं को और मजबूत करने की जरूरत है. उन्होंने कंटेंट क्रिएटर्स से भी स्थानीय कला और संस्कृति को प्रमोट करने की अपील की, ताकि नई पीढ़ी जड़ों को समझे. उन्होंने कहा, सरकार स्थानीय भाषाओं में लेखन, शोध, गीत-संग्रह और डिजिटल कंटेंट तैयार करने वाले युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए नई पहल शुरू कर रही है. भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाज केवल अभिव्यक्ति के माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और विरासत की नींव हैं. इसलिए जरूरी है कि हम अपनी बोली-भाषाओं का संरक्षण करें.
CM धामी ने सभी से बुके नहीं बुक देने की अपील की. इससे न केवल किताबों में लोगों की रूचि बढ़ेगी बल्कि लेखकों को भी मोटिवेशन मिलेगा. किताब पढ़ने की आदत पर जोर देते हुए CM धामी ने कहा, AI कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, किताबों को रिप्लेस करने का कोई विकल्प नहीं है. पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि सोचने, समझने और सीखने की एक गहरी प्रक्रिया हैं.
CM धामी ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को यह बताना बहुत जरूरी है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों और संघर्षों के बीच अपनी परंपराओं, सामाजिक मूल्यों और भाषा को बचाए रखा.
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