महीनों की प्लानिंग, मेहनत और CM योगी की निगरानी...UP में कैसे हुआ कोडिनयुक्त कफ सिरप मामले में सबसे बड़ा क्रैकडाउन?
महीनों की मेहनत, 60 दिन, 52 जिलों की 332 फर्मों पर छापेमारी, 31 जिलों में 133 फर्मों के खिलाफ FIR और झारखंड, हरियाणा, हिमाचल से जुटाए सुबूतों के आधार पर यूपी और अन्य राज्यों की तुलना में कोडिनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन और इसके नशे की तस्करी पर अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन हुआ है. सीएम का साफ निर्देश था कि केवल लाइसेंस रद्दीकरण नहीं, नजीर पेश करने वाली कार्रवाई हो.
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उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश और दिशा-निर्देशों के मद्देनजर सूबे में अवैध नशे के सौदागरों की कमर तोड़ने और पूरे मकड़जाल को नेस्तनाबूद करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन शुरू किया गया. लंबी प्लानिंग, महीनों की मेहनत और झारखंड, हरियाणा और हिमाचल से जुटाए गए सुबूतों के आधार पर बच्चों और आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने वालों को मिट्टी में मिलाने का काम शुरू हो गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती और जीरो टॉलरेंस नीति का असर यह हुआ है कि पहली बार कोडिनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन पर NDPS और BNS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इससे पहले विभाग ऐसे मामलों में सिर्फ लाइसेंस रद्द करता था और पल्ला झाड़ लिया जाता था.
सीएम योगी के निर्देश पर FSDA ने प्रदेशभर में कोडिनयुक्त कफ सिरप और नारकोटिक्स श्रेणी की दवाओं के अवैध डायवर्जन पर शिकंजा कसते हुए 60 दिनों में 52 जिलों की 332 फर्मों पर छापेमारी की और 31 जिलों में 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इतना ही नहीं, कोडिनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वालों के खिलाफ योगी सरकार की इस सख्त कार्रवाई ने पूरे देश में मिसाल कायम की है. यह नशे के कारोबार पर अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन साबित हुआ.
कैसे हुआ लंबी प्लानिंग के बाद नशे के कारोबार पर सबसे बड़ा प्रहार?
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालते ही प्रदेश में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अवैध नशे के सौदागरों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. ऐसे में सीएम की मंशा के अनुसार वर्ष 2022 में ANTF का गठन किया गया. इसी क्रम में योगी सरकार के निर्देश पर FSDA ने कोडिनयुक्त कफ सिरप व NDPS श्रेणी की दवाओं के अवैध व्यापार और डायवर्जन के खिलाफ अभियान चलाया. विभाग ने देश का सबसे बड़ा क्रैकडाउन शुरू करने से पहले अंदरूनी गहन जांच शुरू की. विभाग ने झारखंड, हरियाणा, हिमाचल जैसे राज्यों में विवेचना की और उत्तर प्रदेश के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर के साथ उनके कारोबारी रिश्तों के सबूत जुटाए. इन सब प्रक्रियाओं के बाद दो माह पहले विभाग का क्रैकडाउन शुरू हुआ, जो अभी भी जारी है.
कोडिनयुक्त कफ सिरप तस्करी मामले में अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन!
दो माह में विभाग ने प्रदेशभर में छापेमारी कर 31 जनपदों में 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. इनमें फर्मों के आधा दर्जन से अधिक संचालकों को जेल भी भेजा जा चुका है. सीएम योगी के निर्देश पर FSDA ने कोडिनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जो पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन है. इसे दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल के तौर पर करार दिया जा रहा है.
पहली बार NDPS और BNS की धाराओं में मुकदमा
FSDA सचिव और आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के युवाओं को नशे के आगोश में धकेलने वालों से सख्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए थे. ऐसे में सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेशभर में कोडिनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वाले अपराधियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की योजना बनाई गई, जो अभी तक जारी है.
केवल लाइसेंस रद्द नहीं, ऐसी कार्रवाई जो नजीर बने: CM योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ-साफ दिशा-निर्देश दिए थे कि FSDA की कार्रवाई केवल लाइसेंस रद्द करने भर तक न थमे, बल्कि विभाग द्वारा ऐसा एक्शन होना चाहिए जो आने वाले समय के लिए पूरे देश में एक नजीर बने. सीएम ने निर्देश दिया था कि ऐसा एक्शन हो, जिससे युवाओं का जीवन बरबाद करने वालों का मकड़जाल पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सके. ऐसे में पहली बार FSDA ने कोडिनयुक्त कफ सिरप का अवैध डायवर्जन करने वालों के खिलाफ NDPS और BNS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया, जिसकी वजह से कार्रवाई और सख्त साबित हुई. वहीं जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया.
कैसे हुआ क्रैकडाउन सफल?
सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के 52 जिलों में 332 औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों के दस्तावेज और भंडारण की जांच की गई. जांच में सामने आया कि कई औषधि प्रतिष्ठान अस्तित्व में ही नहीं हैं, बल्कि केवल बिलिंग पॉइंट के रूप में काम किया जा रहा था. इसके अलावा कई प्रतिष्ठानों में पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था नहीं थी. साथ ही औषधियों के क्रय-विक्रय के अभिलेख भी नहीं पाए गए. जांच में 332 प्रतिष्ठानों में से 133 प्रतिष्ठानों द्वारा संगठित रूप से इन औषधियों का गैर-चिकित्सकीय उपयोग के लिए अवैध डायवर्जन कर नशे के रूप में दुरुपयोग किए जाने की पुष्टि हुई. इनके द्वारा मुख्य रूप से लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच के जरिए नेपाल और वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश में नशे के रूप में भेजा जा रहा था.
CM योगी के दिशा-निर्देश के तहत कार्रवाई
दो माह पहले सीएम योगी ने नारकोटिक्स श्रेणी की दवा और कोडिनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन पर स्पष्ट रूप से अंकुश लगाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि पूरे प्रदेश में जहां पर भी ऐसा हो रहा है, उस पर तत्काल कड़ी कार्रवाई करते हुए रोका जाए. इसका पूरा ध्यान रखा जाए कि प्रदेश से किसी भी अन्य राज्य और देश में नशे के रूप में दवाओं का डायवर्जन न हो. सीएम ने एक्शन के दौरान छोटे व्यापारी को परेशान न करने के निर्देश दिए. उन्होंने गोरखधंधे में शामिल सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए. सीएम योगी के निर्देश पर पहली बार विभाग ने गोरखधंधे में शामिल लोगों के खिलाफ NDPS और BNS एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई. सभी DM को गैंगस्टर के तहत कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया.
किन शहरों में सामने आए कोडिनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी के मामले?
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आपको बता दें कि यूपी के वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, रायबरेली, संतकबीर नगर, हरदोई, भदोही, अमेठी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, बस्ती, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मीरजापुर, बांदा और कौशांबी में कोडिनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी के मामले सामने आए थे.
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