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सुकांत मजूमदार ने अपनी जान को TMC से बताया खतरा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखा पत्र

डॉ. सुकांत मजूमदार ने नोटिस में लिखा, "19 जून 2025 को जब मैं राजनीतिक हिंसा के पीड़ितों से मिलने और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति का आंकलन करने के लिए डायमंड हार्बर का दौरा कर रहा था, मेरे आधिकारिक काफिले को घेर लिया गया और कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भीड़ द्वारा हिंसक हमला किया गया"

पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर बताया है कि गुरुवार को महेशतला में उन पर हमला किया गया.

मजूमदार ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

मजूमदार ने लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों के नियम 222 के तहत एक नोटिस दिया है, जिसमें एक संसद सदस्य और केंद्रीय मंत्री की गरिमा, सुरक्षा और आवागमन की स्वतंत्रता पर गंभीर हमले और विशेषाधिकार के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं.

मजूमदार ने TMC से बताया अपनी जान को खतरा

डॉ. सुकांत मजूमदार ने नोटिस में लिखा, "19 जून 2025 को जब मैं राजनीतिक हिंसा के पीड़ितों से मिलने और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति का आंकलन करने के लिए डायमंड हार्बर का दौरा कर रहा था, मेरे आधिकारिक काफिले को घेर लिया गया और कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भीड़ द्वारा हिंसक हमला किया गया.मेरे काफिले पर पथराव किया गया, वाहनों में तोड़फोड़ की गई और मेरे साथ मौजूद कई लोग घायल हो गए.इस हमले से मेरी और वहां मौजूद लोगों की जान को सीधा और गंभीर खतरा पैदा हो गया.इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इस जघन्य घटना के दौरान पुलिस अधीक्षक ( राहुल गोस्वामी) मौके पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई सुरक्षात्मक कार्रवाई नहीं की, जो जानबूझकर लापरवाही, कर्तव्य की अवहेलना और राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देने के बराबर है."

उन्होंने कहा कि डायमंड हार्बर के एसडीपीओ उनके दौरे की पूर्व सूचना के बावजूद मौके पर मौजूद नहीं थे.स्थिति को केवल सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों के समय पर हस्तक्षेप के कारण ही नियंत्रित किया जा सका, क्योंकि मुझे पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार द्वारा जेड सुरक्षा कवर दिया गया है.इस घटना ने न केवल एक जनप्रतिनिधि के जीवन को खतरे में डाला, बल्कि एक सांसद की गरिमा और विशेषाधिकार पर भी सीधा हमला किया.उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारियों द्वारा हिंसा और निष्क्रियता के ऐसे कृत्य हमारे संस्थानों के लोकतांत्रिक कामकाज और इस सदन के निर्वाचित सदस्यों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों के साथ गंभीर रूप से समझौता करते हैं.

उन्होंने लिखा, "यह घटना विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन और सदन की अवमानना ​​है.मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इस मामले का संज्ञान लें और इसे उचित जांच और कार्रवाई के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजें."

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