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दिल्ली में NIA को मिली बड़ी कामयाबी, माओवादी सदस्य गिरफ्तार, कई राज्यों तक फैला है नेटवर्क

NIA ने दिल्ली में बड़ी कार्रवाई की है. CPI (माओवादी) की उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो को फिर से मजबूत करने की साजिश से जुड़े एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान विशाल सिंह के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा का रहने वाला है.

23 Jun, 2025
( Updated: 23 Jun, 2025
06:39 PM )
दिल्ली में NIA को मिली बड़ी कामयाबी, माओवादी सदस्य गिरफ्तार, कई राज्यों तक फैला है नेटवर्क

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सीपीआई (माओवादी) की उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो को फिर से मजबूत करने की साजिश से जुड़े एक और प्रमुख आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.

दिल्ली में माओवादी साजिश का भंडाफोड़

गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान विशाल सिंह के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा का रहने वाला है. एनआईए ने पश्चिमी दिल्ली स्थित उसके आवास की तलाशी के दौरान कई डिजिटल उपकरण जैसे हार्ड ड्राइव, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है.

जांच में सामने आया है कि आरोपी सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय सदस्य है और उसने बिहार के चकरबंदा/पंचरुखिया के जंगलों में संगठन के नेताओं तक एक ड्रोन पहुंचाया था, जिसका उपयोग हिंसक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाना था.

इसके अलावा, वह माओवादी कैडरों को तकनीकी प्रशिक्षण दे चुका है और साल 2019 में बिहार के घने जंगलों में संगठन की केंद्रीय समिति की बैठकों में भी शामिल हुआ था.

एनआईए ने इससे पहले अजय सिंगल को किया था गिरफ्तार 

इस मामले में एनआईए ने इससे पहले अगस्त 2024 में अजय सिंगल उर्फ अमन को गिरफ्तार किया था, जो हरियाणा और पंजाब के लिए सीपीआई (माओवादी) की राज्य संगठन समिति का प्रभारी था.

यह मामला माओवादी संगठन की उस गहरी साजिश से जुड़ा है, जिसके तहत वह उत्तर भारत में (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) अपनी कमजोर हो चुकी पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.

शहरी क्षेत्रों में छिपकर काम कर रहे है कई माओवादी 

इस साजिश के तहत शहरी क्षेत्रों में छिपकर काम कर रहे कैडरों और सामाजिक कार्यकर्ता बनकर काम कर रहे ओवर ग्राउंड वर्कर्स के माध्यम से भर्ती और प्रचार गतिविधियां चलाई जा रही थीं.

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संगठन ने कई फ्रंटल संगठन और छात्र संगठनों के जरिए इस अभियान को गति दी. इन गतिविधियों के लिए झारखंड स्थित पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो से वित्तीय सहायता भी मिल रही थी. एनआईए इस मामले में आगे की जांच जारी रखे हुए है.

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