धागे से धरोहर तक: खादी बनी स्वदेशी की नई पहचान, महोत्सव में बिक्री ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
खादी महोत्सव में कुल कारोबार 3.20 करोड़ रुपए तक पहुंचा. जो साल 2024 के मुकाबले 42 प्रतिशत ज्यादा है.
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Khadi Mahotsav: योगी सरकार लगातार स्वदेशी पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में लखनऊ (Lucknow) के गोमतीनगर में 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 का शुभारंभ हुआ. जहां खादी की बिक्री ने नया रिकॉर्ड बना दिया.
गोमतीनगर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में खादी महोत्सव का आगाज हुआ. जहां लखनऊ ही नहीं पूरे UP से लोग पहुंचे. इस महोत्सव की थीम 'धागे से धरोहर तक' रखी गई. जिसमें योगी सरकार ने बताया कि भारत की खादी भारत की धरोहर है. भारत के अन्य उत्पादों की तरह ही खादी ने भी दुनिया में धूम मचा दी है.
तीन करोड़ से ज्यादा का कारोबार
खादी महोत्सव में कुल कारोबार 3.20 करोड़ रुपए तक पहुंचा. जो साल 2024 के मुकाबले 42 प्रतिशत ज्यादा है. उस समय खादी महोत्सव ने 2.25 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. सोमवार 1 दिसंबर को इस महोत्सव का आखिरी दिन था. जिसमें लोगों की भीड़ उमड़ी. देर शाम तक दुकानों में भारी भीड़ दिखाई दी. यहां खादी वस्त्र, हर्बल उत्पाद, जूट हस्तशिल्प और माटी कला इस बार ग्राहकों की पहली पसंद रहे. वहीं, खादी महोत्सव में UP सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना भी पहुंचे. यहां उन्होंने दुकानदारों से बातचीत की.
महोत्सव में खादी संस्थाओं के 32, ग्रामोद्योग के 120 और माटी कला के 8 स्टॉल सहित कुल 160 उद्यमियों ने भाग लिया. लखनऊ, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी, गोरखपुर सहित विभिन्न जिलों से आए कारीगरों ने बताया कि इस वर्ष न केवल भीड़ बढ़ी, बल्कि खरीदारी को लेकर उत्साह भी पहले की तुलना में ज्यादा देखी गई. पूरे महोत्सव में युवाओं, छात्रों और महिलाओं की लगातार मौजूदगी ने दुकानदारों का उत्साह बनाए रखा. ग्राहकों ने बताया कि एक ही जगह पर खादी, स्थानीय शिल्प और प्राकृतिक उत्पादों की इतनी व्यापक रेंज मिलना एक दिलचस्प और भरोसेमंद अनुभव रहा.
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महोत्सव के आखिरी दिन बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिशिर ने उद्यमियों और आयोजन टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि खादी अब केवल परिधान का विकल्प नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक उपभोक्ता दोनों की साझा पहचान बन चुकी है.
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