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बच्चों की जिंदगी का सवाल… स्कूली वाहनों का रियलिटी चेक, सड़क पर खुद उतरे जज, खुली खामियों की पोल

प्रशासन ने जयपुर में स्कूल वाहनों के बढ़ते हादसों को देखते हुए ये कदम उठाया. चूंकि मुद्दा बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए पुलिस प्रशासन के साथ-साथ जज खुद सड़कों पर उतरे.

जयपुर (Jaipur) की सड़कों पर उस वक्त हलचल तेज हो गई जब वाहन चेकिंग के लिए सुबह-सुबह जज सड़कों पर उतर आए. उनके साथ मजिस्ट्रेट, RTO और ट्रैफिक पुलिस की टीम भी नजर आई. इस दौरान स्कूल वैन, बसों और ऑटो रिक्शा की जांच की गई. टीम ने नियमों का पालन नहीं करने वालों के धड़ाधड़ चालान काटे और कई वाहन भी जब्त किए गए. 

दरअसल, ये पूरा अभियान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशों पर चलाया गया था. जहां डग्गामार वाहनों से लेकर नियमों का उल्लंघन कर रहे वाहनों पर एक्शन लिया गया. इसी कड़ी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों (जज) ने खुद सड़कों पर उतरकर अभियान को संभाला. उन्होंने शहर में स्कूल वाहनों को चेक किया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रथम के सचिव दीपेंद्र माथुर और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वितीय की सचिव पल्लवी शर्मा ने करीब दो घंटे तक वाहनों की सघन जांच की. 

अधिकारियों को क्या लापरवाही मिली? 

जिला विधिक प्राधिकरण की टीम सुबह-सुबह सड़कों पर उतरी और वाहनों का रियलिटी चेक किया. प्रशासनिक और न्यायिक टीम ने स्कूल वाहनों की 21 पॉइंट पर जांच की, लेकिन एक भी वाहन ऐसा नहीं मिला, जिसने सभी नियमों का पालन किया हो. न तो किसी में मेडिकल किट थी न ही GPS सिस्टम था. स्कूल वैन और ऑटो में तो इमरजेंसी एग्जिट तक नहीं थी. जो बच्चों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े करता है. इसके अलावा, किसी वाहन में ड्राइवर के साथ सहायक चालक नहीं था तो किसी के पास लाइसेंस नदारद था. इस बड़ी लापरवाही पर टीम ने सख्त एक्शन लेते हुए चालान काटे और वाहनों को थाने में रखवाया. 

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों ने ट्रैफिक पुलिस और अधिकारियों को स्कूल वाहनों की लगातार चेकिंग के निर्देश दिए हैं. साथ ही सभी वाहनों की वार्षिक रिपोर्ट भी मांगी है. दरअसल, प्रशासन ने स्कूल वाहनों के बढ़ते हादसों को देखते हुए ये कदम उठाया. चूंकि मुद्दा बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए प्रशासन एक्शन मोड़ में हैं. मामले की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि जज खुद सड़कों पर उतरकर चेकिंग कर रहे हैं. इस चेकिंग के बाद साफ हो गया कि जिन वाहनों पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं वो उनके लिए कितना बड़ा खतरा बने हुए हैं. इस अभियान ने स्कूलों की परिवहन व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. 

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