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सीएम योगी की दिल्ली में ताबड़तोड़ मुलाकातें...पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा तक, जानें क्या है वजह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से अलग-अलग शिष्टाचार मुलाकात की. हालांकि ये भेंट औपचारिक बताई जा रही हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे बड़े सियासी संकेतों से जोड़ा जा रहा है. यूपी में पार्टी की रणनीति, संगठनात्मक बदलाव या भविष्य की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं.

20 Jul, 2025
( Updated: 21 Jul, 2025
10:45 AM )
सीएम योगी की दिल्ली में ताबड़तोड़ मुलाकातें...पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा तक, जानें क्या है वजह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार की देर शाम दिल्ली में एक के बाद एक कई राजनीतिक मुलाकातें कीं, जिनकी तस्वीरें और संदेश अब देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं. शनिवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से अलग-अलग भेंट की. इन शिष्टाचार मुलाकातों को लेकर भले ही किसी आधिकारिक चर्चा का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे 2024 के बाद के सियासी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है. खास बात यह रही कि तीनों नेताओं से भेंट के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर बेहद आदर और विनम्रता के साथ आभार भी जताया.

पीएम मोदी से मुलाकात

सीएम योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात को लेकर अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि उन्होंने ‘विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता’ से आत्मीय मार्गदर्शन प्राप्त किया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी ने उन्हें जो समय दिया, वह उनके लिए अत्यंत मूल्यवान है और इसके लिए वह हृदय से आभार व्यक्त करते हैं. प्रधानमंत्री से यह मुलाकात उनके सरकारी आवास पर हुई, जिसकी तस्वीरें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO India) की ओर से भी साझा की गईं. तस्वीरों में दोनों नेताओं के बीच गहरे आत्मीय संबंध साफ नजर आ रहे थे. इन मुलाकातों के दृश्य सिर्फ एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं बल्कि संभावित भविष्य की राजनीति का संकेत भी माने जा रहे हैं.

अंदरूनी राजनीति पर चर्चा के कयास

योगी आदित्यनाथ की दूसरी बड़ी मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई. यह मुलाकात दिल्ली स्थित गृह मंत्री के आधिकारिक आवास पर संपन्न हुई. योगी ने इस भेंट के लिए भी कृतज्ञता जताई और इसे ‘शिष्टाचार भेंट’ कहा, लेकिन भाजपा की कार्यशैली और अमित शाह की रणनीतिक भूमिका को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि इस चर्चा में उत्तर प्रदेश की आगामी योजनाओं, पार्टी संगठन, और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श हो सकता है. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ दोनों ही भाजपा के उन नेताओं में शामिल हैं, जो नीतियों से ज्यादा कार्रवाई पर भरोसा करते हैं. इसलिए इनकी मुलाकात को सियासी रूप से हल्के में नहीं लिया जा सकता.

संगठनात्मक दृष्टिकोण की चर्चा?

मुख्यमंत्री योगी की तीसरी और अंतिम मुलाकात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से हुई. यह भेंट भी दिल्ली में उनके सरकारी आवास पर हुई. योगी आदित्यनाथ ने एक्स हैंडल पर इस मुलाकात की जानकारी देते हुए लिखा कि उन्होंने जेपी नड्डा से शिष्टाचार भेंट की और उनके अमूल्य समय के लिए हार्दिक आभार प्रकट किया. गौर करने वाली बात यह है कि जेपी नड्डा इस समय न केवल पार्टी अध्यक्ष हैं, बल्कि महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. इस लिहाज से यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं, बल्कि संगठनात्मक और रणनीतिक भी हो सकती है.

क्या है इन मुलाकातों का राजनीतिक मतलब?

योगी आदित्यनाथ ने तीनों मुलाकातों को ‘शिष्टाचार भेंट’ करार दिया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इस एक दिन में हुई तीव्र गतिविधियों को सामान्य नहीं मानते. उत्तर प्रदेश की राजनीति राष्ट्रीय स्तर पर हमेशा से निर्णायक भूमिका में रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद अब राज्य की सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय राजनीति में भी मजबूत हुआ है. ऐसे में यह चर्चा भी उठ रही है कि कहीं यह मुलाकातें पार्टी के अंदर किसी बड़े बदलाव या आगामी लोकसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक फैसलों की भूमिका तो नहीं तय कर रही हैं. कुछ सूत्रों का यह भी मानना है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के साथ लगातार संवाद बनाकर योगी आदित्यनाथ एक नई सियासी भूमिका के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं. पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से एक ही दिन में मिलना सिर्फ संयोग नहीं माना जा सकता. यह योजनाबद्ध राजनीतिक संवाद का हिस्सा भी हो सकता है.

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बताते चलें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह तीन बड़ी मुलाकातें सिर्फ राजनीतिक शोपीस नहीं, बल्कि आने वाले दिनों के भाजपा के भीतर होने वाले संभावित फेरबदल, रणनीतिक योजनाओं और नेतृत्व से जुड़ी चर्चाओं की नींव भी हो सकती हैं. जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का मुखिया एक ही दिन में पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेताओं से मुलाकात करता है, तो इसका राजनीतिक संकेत साफ होता है. भविष्य की राजनीति अब सिर्फ राज्य के स्तर पर नहीं, बल्कि देश के बड़े फलक पर तय होने जा रही है.

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