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CBI ने 183 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का किया भंडाफोड़, PNB के मैनेजर सहित 2 लोगों को किया गिरफ्तार

जांच से पता चला कि तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड ने 2023 में मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) से 974 करोड़ रुपए की तीन सिंचाई परियोजनाओं को सुरक्षित करने के लिए 183.21 करोड़ रुपए मूल्य की आठ जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत की थी. इन गारंटियों को फर्जी पीएनबी ईमेल आईडी से भेजे गए ईमेल के माध्यम से गलत तरीके से मान्य किया गया था, जिससे एमपीजेएनएल को अनुबंध देने में गुमराह किया गया था.

21 Jun, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:48 PM )
CBI ने 183 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का किया भंडाफोड़, PNB के मैनेजर सहित 2 लोगों को किया गिरफ्तार

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए इंदौर स्थित निजी फर्म मेसर्स तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड से जुड़े 183 करोड़ रुपये के बड़े फर्जी बैंक गारंटी घोटाले का पर्दाफाश किया है.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई गिरफ़्तारी

एजेंसी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के वरिष्ठ प्रबंधक गोविंद चंद्र हंसदा और मोहम्मद फिरोज खान की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. दोनों अधिकारी कथित तौर पर धोखाधड़ी के संचालन के केंद्र में थे. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद यह घोटाला प्रकाश में आया, जिसके बाद सीबीआई ने 9 मई 2025 को तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए.

183.21 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में मामला दर्ज 

जांच से पता चला कि तीर्थ गोपीकॉन लिमिटेड ने 2023 में मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) से 974 करोड़ रुपए की तीन सिंचाई परियोजनाओं को सुरक्षित करने के लिए 183.21 करोड़ रुपए मूल्य की आठ जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत की थी. इन गारंटियों को फर्जी पीएनबी ईमेल आईडी से भेजे गए ईमेल के माध्यम से गलत तरीके से मान्य किया गया था, जिससे एमपीजेएनएल को अनुबंध देने में गुमराह किया गया था.

सीबीआई की जांच जारी

सीबीआई की जांच के बाद 19 और 20 जून को पांच राज्यों (दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड और मध्य प्रदेश) में 23 स्थानों पर छापे मारे गए. गिरफ्तारियां कोलकाता में की गईं, जहां दोनों आरोपियों को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया और अब उन्हें आगे की पूछताछ के लिए ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है.

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प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चला कि कोलकाता से संचालित एक बड़े नेटवर्क की संलिप्तता है, जो सरकारी अनुबंधों को धोखाधड़ी से प्राप्त करने के लिए बैंक गारंटी बनाने में माहिर है. एजेंसी को संदेह है कि इस रैकेट में कई अन्य निजी संस्थाएं और सरकारी अधिकारी शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही गहन जांच होने पर और भी गिरफ़्तारियां होने की संभावना है.

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